सरायकेला: जिले के आदित्यपुर नगर निगम कार्यालय के पास वर्षों से सड़क किनारे फुटपाथ दुकानदारों को हटाने का मामला सामने आया है. यहां फल की दुकान लगाकर आजीविका चलाने वाले लोगों को स्थानीय आदिवासी कल्याण समिति का दंश झेलना पड़ रहा है. दरअसल आदिवासी कल्याण समिति के वर्षों पुराने श्मशान के जमीन के पास यहां बसे दुकानदारों को जबरन हटाने का प्रयास किया गया. उनकी दुकानों में तोड़फोड़ की और सामान को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. दुकानदारों ने बताया कि उन्हें कुछ दिन पहले आदिवासी कल्याण समिति के अध्यक्ष समेत अन्य लोगों ने दुकानें हटाने की चेतावनी दी थी और उसके बाद अचानक समिति से जुड़े लोगों ने तोड़फोड़ कर दी.
बताया जाता है कि नगर निगम कार्यालय के पास की सरकारी जमीन पर वर्षों पूर्व आदिवासी समाज का श्मशान हुआ करता था. लेकिन वर्तमान में एक अरसे से उस खाली जमीन पर फुटपाथ दुकानदार फल की दुकान लगाकर अपना गुजारा कर रहे हैं. समिति की ओर से जमीन से सटे मुख्य सड़क किनारे वर्षों से फुटपाथ पर फल आदि का दुकान लगाने वाले ठेले और खोमचे वालों को हटाने की कोशिश की जा रही है.
सरकारी आदेश की तरह दुकानदारों को दिया नोटिस
आदिवासी कल्याण समिति ने दुकानदारों के अपनी दुकान हटाने का नोटिस कुछ दिन पहले दिया था. जिसमें दुकानदारों को एक सप्ताह का वक्त दिया गया था. इसको लेकर दुकानदारों का कहना है कि दुकान हटाने का नोटिस नगर निगम या एसडीओ कार्यालय की ओर से दिया जाता है. किसी भी सामाजिक संगठन के पास नोटिस देकर सड़क खाली कराने का अधिकार नहीं है.
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पूरे मामले पर आदिवासी कल्याण समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र सुंडी ने कहा कि सड़क किनारे जहां दुकान लगायी जा रही हैं उसके पीछे आदिवासियों की शमशान भूमि है. इसलिए समिति वहां किसी को दुकान लगाने की इजाजत नहीं देगी. 10 दिन पूर्व भी आदिवासी श्मशान भूमि के पास नगर निगम के सीवरेज निर्माण योजना का आदिवासी समिति के सदस्यों द्वारा विरोध किया जा चुका है, जिसके बाद समिति ने विरोध कर निर्माण कार्य भी रुकवा दिया था.