सरायकेला: छऊ नृत्य कला के पुरोधा माने जाने वाले पद्मश्री गुरु श्यामा चरण पति का निधन बुधवार की देर रात रांची स्थित हॉस्पिटल में हो गया, वो 80 वर्ष के थे. उनके निधन की खबर मिलते ही छऊ कला जगत सहित उनके पैतृक गांव ईचा में शोक की लहर फैल गई. इस अवसर पर कला जगत के लोग उनके पैतृक गांव राजनगर प्रखंड के ईचा गांव भी पहुंचे. हालांकि उनका परिवार वर्तमान में राउरकेला में बसा हुआ बताया जा रहा है लेकिन उनका अंतिम संस्कार बेंगलुरु में रह रहे उनके पुत्र के पहुंचने के बाद ही होने की बात बताई जा रही है.
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स्वर्गीय गुरु पद्मश्री श्यामा चरण पति की जीवन यात्रा
ईचा गांव के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में 1940 में उनका जन्म हुआ था. इसके बाद जमशेदपुर में रहकर उन्होंने गुरु बन बिहारी आचार्य से कत्थक और भरतनाट्यम की शिक्षा हासिल की. बाद में पंचानन सिंहदेव और तारिणी प्रसाद सिंहदेव जैसे गुरुओं से छऊ नृत्य कला की विधिवत शिक्षा ली. उन्होंने सुजाता माहेश्वरी और शोभानाव्रत सिरकर जैसे कई शिष्यों को छऊ नृत्य कला की शिक्षा भी दी. देश सहित विदेशों में भी विभिन्न मंचों से उन्होंने छऊ नृत्य कला का प्रदर्शन कर ख्याति हासिल की थी. वर्ष 2006 में इन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से इंडियन डांस में श्रेष्ठ योगदान के लिए सम्मानित किया गया था, इन्हें छऊ नृत्य कला में महिलाओं के प्रवेश कराने में विशेष योगदान के लिए भी याद किया जाता है. इनकी पुत्री सुष्मिता पति एक बेहतर छऊ कलाकार है.
कला और संस्कृति के प्रेमी थे स्वर्गीय गुरु
पैतृक गांव निवासी बताते हैं कि हर वर्ष गुरु श्यामा चरण पति ईचा गांव दुर्गा पूजा और रामनवमी के अवसर पर विशेष रुप से पहुंचते थे और उक्त त्योहारों के अवसर पर छऊ नृत्य का आयोजन कराते थे, इसके साथ ही छऊ नृत्य कला के संवर्धन के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे.