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सरायकेलाः स्कूल बना नशेड़ियों का अड्डा, जिला प्रशासन का ढुलमुल रवैया - दिंदली कन्या मध्य विद्यालय

सरायकेला के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत घनी आबादी के बीच स्थित वर्षों पुराना दिंदली कन्या मध्य विद्यालय अब अपने अस्तित्व से जूझ रहा है. स्कूल पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं. शहरी आबादी के बीच स्थित यह स्कूल आए दिन नशेड़ी, जुआरी और चोरों के कोप का भाजन बनता है, नतीजतन जिस स्कूल में शिक्षा का प्रसार होना चाहिए अब वहां चोरों के आतंक का साया दिन-रात मंडरा रहा है और यह सिर्फ शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैया के कारण हो रहा है.

Middle school becomes a hub of drug addicts in Saraikela
स्कूल बना नशेड़ियां का अड्डा
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Published : Aug 15, 2020, 11:13 AM IST

Updated : Aug 15, 2020, 3:32 PM IST

सरायकेला: जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत घनी आबादी के बीच स्थित वर्षों पुराना दिंदली कन्या मध्य विद्यालय विगत कई वर्षों से चोर, नशेड़ी और जुआरियों का अड्डा बन चुका है. घनी आबादी के बीच यह स्कूल चोरों का अड्डा बन चुका है. यहां कई बार चोरी की छोटी बड़ी घटनाएं होती रही है. लेकिन बीते माह 25 जुलाई को हुई चोरी की घटना के बाद अब स्कूल प्रबंधन स्कूल की प्रिंसिपल और शिक्षिकाओं का मनोबल पूरी तरह से टूट चुका है और अब परिस्थितियां ऐसी बनी है कि स्कूल की प्रिंसिपल, शिक्षिकाएं स्कूल आने से डर रही हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

असुरक्षित माहौल में डरे सहमे हैं शिक्षक

चोरों ने 25 जुलाई की रात स्कूल के चारदीवारी फांद कर खिड़की तोड़ लाखों मूल्य के चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया गया था. जिसमें किचन सेट, खाद्यान्न, बर्तन, रसोई गैस समेत स्कूली बच्चों के कॉपी किताब तक की चोरा कर ली थी. इतना ही नहीं चोर स्कूल में लगे खिड़कियों को भी उखाड़ कर अपने साथ ले गए. हालांकि पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन चोरी किया गया सामान अब तक बरामद नहीं हुआ है.

ब्राउन शूगर सेवन का सेफ जोन बना स्कूल
पिछले कई महीनों से स्कूल ब्राउन शूगर और नशापान के लिए सेफ जोन बन चुका है. 3 महीने से लॉकडाउन रहने के कारण स्कूल पूरी तरह बंद है, ऐसे में नशेड़ियों ने यहां अपना कब्जा जमाया, स्कूल से सटे घनी बस्ती में ब्राउन शूगर का अवैध कारोबार कई वर्षों से फलफूल रहा है. ऐसे में नशे का सेवन करने वाले बंद पड़े इस स्कूल में खुलेआम नशा करते हैं.

स्कूल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
लगातार चोरी की घटनाएं होने के कारण स्कूल की संपत्तियां अब पूरी तरह से लुट चुकी है. स्कूल की प्राचार्या सुनिता कुजूर बताती हैं कि बतौर प्राचार्या पदभार ग्रहण करने के बाद इन्होंने स्कूल में शौचालय, पानी के लिए बोरिंग, मोटर, वायरिंग की पूरी व्यवस्था की थी, लेकिन चोरों के आतंक के आगे यह सभी संपत्तियां तबाह हो गईं. अब स्कूल में पेयजल शौचालय समेत कई गंभीर समस्या और मूलभूत सुविधाओं का अभाव बनता जा रहा है. स्कूल प्राचार्या और शिक्षकों ने कई बार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी इस संबंध में समस्याओं से अवगत कराया गया है, लेकिन हर बार खानापूर्ति कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने दुमका के पुलिस लाइन मैदान में फहराया तिरंगा

स्कूलों की सुरक्षा स्कूल प्रबंधन समिति के जिम्मे होती है
जिला समेत प्रखंड के सभी सरकारी विद्यालयों की सुरक्षा और संचालन को लेकर स्कूल प्रबंधन समिति का गठन किया गया है. शिक्षा विभाग की ओर से गठित स्कूल प्रबंधन समिति में कुल 16 सदस्य होते हैं, जिसमें एक अध्यक्ष समेत अन्य पदेन सदस्य भी होते हैं. इस दौरान हर महीने की अंतिम शनिवार को स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक स्कूल में आयोजित होती है. जहां शिक्षक और स्कूल के अन्य कर्मचारी अपनी समस्याओं से प्रबंधन समिति अध्यक्ष को अवगत कराते हैं. जिस पर सामूहिक प्रयास से समस्याओं को दूर किया जाता है. लेकिन दिंदली कन्या मध्य विद्यालय में स्कूल प्रबंधन समिति का कोई अता-पता नहीं है, ऐसे में कई महीनों से प्रबंधन समिति की बैठक भी नहीं हो सकी है.

अभिभावक और स्थानीय लोगों की भी है सुरक्षा की जिम्मेदारी
गम्हरिया प्रखंड के प्रखंड शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी रविकांत भगत बताते हैं कि स्कूल प्रबंधन समिति के अलावा सरकारी विद्यालयों की देख-रेख, रख-रखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक और स्थानीय नागरिकों की भी होती है, इन्होंने बताया कि अधिकांश स्कूल दिन में चलते हैं ऐसे में रात में नाइट गार्ड की कोई सुविधा स्कूलों में मौजूद नहीं होती, लिहाजा स्कूलों में इस प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं.

सरायकेला: जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत घनी आबादी के बीच स्थित वर्षों पुराना दिंदली कन्या मध्य विद्यालय विगत कई वर्षों से चोर, नशेड़ी और जुआरियों का अड्डा बन चुका है. घनी आबादी के बीच यह स्कूल चोरों का अड्डा बन चुका है. यहां कई बार चोरी की छोटी बड़ी घटनाएं होती रही है. लेकिन बीते माह 25 जुलाई को हुई चोरी की घटना के बाद अब स्कूल प्रबंधन स्कूल की प्रिंसिपल और शिक्षिकाओं का मनोबल पूरी तरह से टूट चुका है और अब परिस्थितियां ऐसी बनी है कि स्कूल की प्रिंसिपल, शिक्षिकाएं स्कूल आने से डर रही हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

असुरक्षित माहौल में डरे सहमे हैं शिक्षक

चोरों ने 25 जुलाई की रात स्कूल के चारदीवारी फांद कर खिड़की तोड़ लाखों मूल्य के चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया गया था. जिसमें किचन सेट, खाद्यान्न, बर्तन, रसोई गैस समेत स्कूली बच्चों के कॉपी किताब तक की चोरा कर ली थी. इतना ही नहीं चोर स्कूल में लगे खिड़कियों को भी उखाड़ कर अपने साथ ले गए. हालांकि पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन चोरी किया गया सामान अब तक बरामद नहीं हुआ है.

ब्राउन शूगर सेवन का सेफ जोन बना स्कूल
पिछले कई महीनों से स्कूल ब्राउन शूगर और नशापान के लिए सेफ जोन बन चुका है. 3 महीने से लॉकडाउन रहने के कारण स्कूल पूरी तरह बंद है, ऐसे में नशेड़ियों ने यहां अपना कब्जा जमाया, स्कूल से सटे घनी बस्ती में ब्राउन शूगर का अवैध कारोबार कई वर्षों से फलफूल रहा है. ऐसे में नशे का सेवन करने वाले बंद पड़े इस स्कूल में खुलेआम नशा करते हैं.

स्कूल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
लगातार चोरी की घटनाएं होने के कारण स्कूल की संपत्तियां अब पूरी तरह से लुट चुकी है. स्कूल की प्राचार्या सुनिता कुजूर बताती हैं कि बतौर प्राचार्या पदभार ग्रहण करने के बाद इन्होंने स्कूल में शौचालय, पानी के लिए बोरिंग, मोटर, वायरिंग की पूरी व्यवस्था की थी, लेकिन चोरों के आतंक के आगे यह सभी संपत्तियां तबाह हो गईं. अब स्कूल में पेयजल शौचालय समेत कई गंभीर समस्या और मूलभूत सुविधाओं का अभाव बनता जा रहा है. स्कूल प्राचार्या और शिक्षकों ने कई बार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी इस संबंध में समस्याओं से अवगत कराया गया है, लेकिन हर बार खानापूर्ति कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.

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स्कूलों की सुरक्षा स्कूल प्रबंधन समिति के जिम्मे होती है
जिला समेत प्रखंड के सभी सरकारी विद्यालयों की सुरक्षा और संचालन को लेकर स्कूल प्रबंधन समिति का गठन किया गया है. शिक्षा विभाग की ओर से गठित स्कूल प्रबंधन समिति में कुल 16 सदस्य होते हैं, जिसमें एक अध्यक्ष समेत अन्य पदेन सदस्य भी होते हैं. इस दौरान हर महीने की अंतिम शनिवार को स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक स्कूल में आयोजित होती है. जहां शिक्षक और स्कूल के अन्य कर्मचारी अपनी समस्याओं से प्रबंधन समिति अध्यक्ष को अवगत कराते हैं. जिस पर सामूहिक प्रयास से समस्याओं को दूर किया जाता है. लेकिन दिंदली कन्या मध्य विद्यालय में स्कूल प्रबंधन समिति का कोई अता-पता नहीं है, ऐसे में कई महीनों से प्रबंधन समिति की बैठक भी नहीं हो सकी है.

अभिभावक और स्थानीय लोगों की भी है सुरक्षा की जिम्मेदारी
गम्हरिया प्रखंड के प्रखंड शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी रविकांत भगत बताते हैं कि स्कूल प्रबंधन समिति के अलावा सरकारी विद्यालयों की देख-रेख, रख-रखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक और स्थानीय नागरिकों की भी होती है, इन्होंने बताया कि अधिकांश स्कूल दिन में चलते हैं ऐसे में रात में नाइट गार्ड की कोई सुविधा स्कूलों में मौजूद नहीं होती, लिहाजा स्कूलों में इस प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं.

Last Updated : Aug 15, 2020, 3:32 PM IST
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