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साहिबगंज में गंगा किनारे बसे लोगों को सता रहा कटाव का डर, पिछले साल 7 गांव हुए थे तबाह - Ganga erosion

झारखंड में मानसून शुरू होने से पहले साहिबगंज में ग्रामीणों को गंगा से कटाव का डर (fear of Ganga erosion) सता रहा है. पिछले साल कटाव की वजह से साहिबगंज के सात गांव तबाह हो गए थे.

Sahibganj villagers fear of Ganga erosion during Monsoon
Sahibganj villagers fear of Ganga erosion during Monsoon
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Published : Jun 13, 2022, 12:08 PM IST

Updated : Jun 13, 2022, 12:54 PM IST

साहिबगंज: जून का महीना शुरू हो चुका है. मानसून प्रवेश करने के साथ गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी होना शुरू हो जाता है. इस साल झारखंड में मानसून शुरू होने को है, फिर से मानसून शुरू होने के साथ गंगा का जलस्तर बढ़ने लगेगा. आने वाले दिनों में बाढ़ आएगी. जिसका डर इस क्षेत्र के ग्रामीणों को एक बार फिर सताने लगा है. हालांकि इस दिशा में गंगा कटाव रोधी कार्य की शुरुआत की गई है. फिर भी ग्रामीणों में डर व्याप्त है.

इसे भी पढ़ें: Ganga Erosion: नदी में समाया जीतनगर गांव, बेघर हुआ 139 परिवार

पिछले साल 7 गांव हुए थे तहस नहस: पिछले साल गंगा नदी के कटाव में सात गांव चपेट में आ चुके थे. गंंगा अपने मूल स्थान से लगभग तीन किमी को छोड़कर शहर की तरफ मुड़ गयी थी. बाढ़ को रोकने का एकमात्र उपाय गंगा कटाव रोधी कार्य है. वहीं अब मानसून प्रवेश करने ही वाला है कि लोगों की नींद उड़ चुकी है. वे डर रहे हैं कि अगर कटाव हुआ तो घर गंगा की गोद में समा जाएगा. गंगा कटाव में पिछले साल मलाही टोला, ओझा टोली, धोबी टोला, हरिजन टोला, सूर्यदेव घाट, शीतल घाट सहित दर्जनों घर चपेट में आए थे.

देखें पूरी खबर

अभी अभी रखी गई आधारशिला: बता दें कि इस बार गंगा नदी का कटाव जारी रहा तो लगभग एक हजार से अधिक लोग बेघर हो जाएंगे. इस गंगा कटाव में करोड़ो की राशि से बना सीवरेज प्लांट भी चपेट में आ चुका है. इस दिशा में एसटीपी को बचाने और इस आपदा से तटीय क्षेत्र के लोगों को बचाने के लिए कई टीम दौरा कर अपनी रिपोर्ट भेजी है. रुड़की से एक प्रोफेसर और सीवरेज के पदाधिकारी सहित राजमहल विधायक ने दौरा कर इस दिशा में पहल की जिसके बाद गंगा कटाव रोधी कार्य को लेकर आधारशिला रखी गई है लेकिन, मानसून नजदीक है और अभी अभी आधारशिला रखी गई तो लोग दहशत में हैं.

अभी से शुरू हो गया कटाव: गंगा किनारे गांव में रहने वाले लोग कहते हैं कि मलाही टोला के नजदीक गंगा का पानी अथाह है. जिसकी वजह से यात्री जहाज नजदीक से पास करती है. पानी का तेज बहाव होने से मिट्टी का चट्टान गिरने लगा है. मानसून के साथ कटाव तो दूर की बात है, अभी से कटाव शुरू हो चुका है. घर से मात्र दस से बारह फीट पर गंगा बह रही है. ग्रामीणों ने कहा कि इस दिशा में जिला प्रशासन कुछ नहीं करती तो हमारे घर गंगा की गोद में समा जाएंगे.

शहर की ओर मुड़ गई गंगा: ग्रामीणों का कहना है कि तीस साल के बाद गंगा नदी अपने मूल जगह पहुंची है. पहले इसी जगह गंगा बहती थी लेकिन, सालों तक दूसरे जगह बहने से लोग इस ओर बस गए. लोग पक्के का घर बनाकर रह रहे हैं. पिछले साल गंगा कटाव में गंगा नदी तीन किमी हटकर शहर की तरफ मुड़कर बह रही है लेकिन. गंगा कटाव को रोकने के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है. एक बार फिर से गंगा कटाव शुरू हुआ तो इस बार घर नहीं बचेंगे, हम ग्रामीण बेघर हो जाएंगे.


ग्रामीणों की स्थिति दयनीय: गांव के लोग कहते हैं कि कई बार लोग आए और नापी करके गए लेकिन अभी तक कहां कुछ हुआ. पिछले साल बाढ़ में समस्या शुरू हुई थी. अब फिर समय आ चुका है कि गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ परेशानी शुरू जाएगी. ग्रामीणों का कहना है कि रात की नींद उड़ चुकी है यदि घर गंगा में समाया तो हम बेघर हो सकते हैं. बाल बच्चे को परेशानी हो सकती है. ग्रामीण कहते हैं, हम गरीब की कोई सुनने वाला नहीं है.

साहिबगंज: जून का महीना शुरू हो चुका है. मानसून प्रवेश करने के साथ गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी होना शुरू हो जाता है. इस साल झारखंड में मानसून शुरू होने को है, फिर से मानसून शुरू होने के साथ गंगा का जलस्तर बढ़ने लगेगा. आने वाले दिनों में बाढ़ आएगी. जिसका डर इस क्षेत्र के ग्रामीणों को एक बार फिर सताने लगा है. हालांकि इस दिशा में गंगा कटाव रोधी कार्य की शुरुआत की गई है. फिर भी ग्रामीणों में डर व्याप्त है.

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पिछले साल 7 गांव हुए थे तहस नहस: पिछले साल गंगा नदी के कटाव में सात गांव चपेट में आ चुके थे. गंंगा अपने मूल स्थान से लगभग तीन किमी को छोड़कर शहर की तरफ मुड़ गयी थी. बाढ़ को रोकने का एकमात्र उपाय गंगा कटाव रोधी कार्य है. वहीं अब मानसून प्रवेश करने ही वाला है कि लोगों की नींद उड़ चुकी है. वे डर रहे हैं कि अगर कटाव हुआ तो घर गंगा की गोद में समा जाएगा. गंगा कटाव में पिछले साल मलाही टोला, ओझा टोली, धोबी टोला, हरिजन टोला, सूर्यदेव घाट, शीतल घाट सहित दर्जनों घर चपेट में आए थे.

देखें पूरी खबर

अभी अभी रखी गई आधारशिला: बता दें कि इस बार गंगा नदी का कटाव जारी रहा तो लगभग एक हजार से अधिक लोग बेघर हो जाएंगे. इस गंगा कटाव में करोड़ो की राशि से बना सीवरेज प्लांट भी चपेट में आ चुका है. इस दिशा में एसटीपी को बचाने और इस आपदा से तटीय क्षेत्र के लोगों को बचाने के लिए कई टीम दौरा कर अपनी रिपोर्ट भेजी है. रुड़की से एक प्रोफेसर और सीवरेज के पदाधिकारी सहित राजमहल विधायक ने दौरा कर इस दिशा में पहल की जिसके बाद गंगा कटाव रोधी कार्य को लेकर आधारशिला रखी गई है लेकिन, मानसून नजदीक है और अभी अभी आधारशिला रखी गई तो लोग दहशत में हैं.

अभी से शुरू हो गया कटाव: गंगा किनारे गांव में रहने वाले लोग कहते हैं कि मलाही टोला के नजदीक गंगा का पानी अथाह है. जिसकी वजह से यात्री जहाज नजदीक से पास करती है. पानी का तेज बहाव होने से मिट्टी का चट्टान गिरने लगा है. मानसून के साथ कटाव तो दूर की बात है, अभी से कटाव शुरू हो चुका है. घर से मात्र दस से बारह फीट पर गंगा बह रही है. ग्रामीणों ने कहा कि इस दिशा में जिला प्रशासन कुछ नहीं करती तो हमारे घर गंगा की गोद में समा जाएंगे.

शहर की ओर मुड़ गई गंगा: ग्रामीणों का कहना है कि तीस साल के बाद गंगा नदी अपने मूल जगह पहुंची है. पहले इसी जगह गंगा बहती थी लेकिन, सालों तक दूसरे जगह बहने से लोग इस ओर बस गए. लोग पक्के का घर बनाकर रह रहे हैं. पिछले साल गंगा कटाव में गंगा नदी तीन किमी हटकर शहर की तरफ मुड़कर बह रही है लेकिन. गंगा कटाव को रोकने के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है. एक बार फिर से गंगा कटाव शुरू हुआ तो इस बार घर नहीं बचेंगे, हम ग्रामीण बेघर हो जाएंगे.


ग्रामीणों की स्थिति दयनीय: गांव के लोग कहते हैं कि कई बार लोग आए और नापी करके गए लेकिन अभी तक कहां कुछ हुआ. पिछले साल बाढ़ में समस्या शुरू हुई थी. अब फिर समय आ चुका है कि गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ परेशानी शुरू जाएगी. ग्रामीणों का कहना है कि रात की नींद उड़ चुकी है यदि घर गंगा में समाया तो हम बेघर हो सकते हैं. बाल बच्चे को परेशानी हो सकती है. ग्रामीण कहते हैं, हम गरीब की कोई सुनने वाला नहीं है.

Last Updated : Jun 13, 2022, 12:54 PM IST
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