साहिबगंजः कोरोना काल और संकट की इस घड़ी में हर कोई मुश्किल से जूझ रहा है. ऐसे में प्रकृति की मार से भी ग्रामीण परेशान हो रहे हैं. साहिबगंज में गंगा नदी का बढ़ता जलस्तर सभी के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. गंगा वार्निंग लेवल से उपर जा पहुंचा है और धीरे-धीरे खतरे के निशान से उपर बढ़ रहा है. एक तरफ लोग पलायन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ खेत की खड़ी फसल नष्ट हो चुकी है. ऐसे में किसान काफी परेशान है. अब बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लोग अब सुरक्षित स्थानों पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही लोगों ने आशंका जता रहे हैं कि बारिश लगातार हुई तो गंगा उफान पर होगी और पूरा जिला बाढ़ की चपेट में आ जाएगा.
इस बार संभावित बाढ़ को देखते हुए किसान के हित मे फैसला लिया गया है कि जो किसान मकई फसल लगाया है. सर्वे का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है सरकारी कर्मचारी का सहयोग कर रहे हैं और सही सही जानकारी और फोटोग्राफ फसल का दें ताकि बाढ़ में डूबने पर उनको आपदा विभाग से क्षतिपूर्ति राशि दिया जा सके. हालांकि बढ़ते जलस्तर से कइयों की फसल नष्ट हो चुकी है.
संकट की इस घड़ी में अब शासन-प्रशासन ने किसानों को उनके नुकसान का मुआवजा देने मन बना रही है. इसके लिए प्रशासन ने संभावित बाढ़ को देखते हुए किसानों को राहत देने का फैसला किया है. जिन किसानों ने मकई की फसल लगाई है उनका सर्वे किया जा रहा है और किसानों के अपने खेत की ताजा तस्वीर भी ली जा रही है. ताकि बाढ़ के दौरान नुकसान हुई फसल का सही अनुमान लगाकर उनका उचित मुआवजा किसानों को मिल सके. इस बाबत कृषि पदाधिकारी तैयारी कर ली है.
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प्रकृति की इस मार के दौरान प्रशासन के किसानों को बड़ी राहत दी है. चौतरफा मार झेल रहा किसान इस संकट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में शासन-प्रशासन की थोड़ी मदद उनके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगी. जिला प्रशासन का कदम सराहनीय है इस बार किसान की जेब ढीली नहीं होगी. इस बार जिला प्रशासन को अपनी जमीन का राशि जमा करें और मकई का क्षतिपूर्ति राशि मिल जाएगा. निश्चित रूप से किसान के लिए खुशखबरी और राहत की खबर है.