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'बांस एंबुलेंस' के भरोसे गर्भवती महिला की जान, पहाड़ी रास्ते पर तय किया 30 किलोमीटर का कठिन सफर

झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर नेता भले ही बड़े-बड़े दावे कर ले, लेकिन आज भी झारखंड के कई जिलो में स्वास्थ्य की हाल 50 साल पहले की याद दिलाती है. साहिबगंज तालझारी प्रखंड के अंतर्गत छोटा बेतौना में एंबुलेंस की सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिला को बांस पर टांग कर ले जाया गया.

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Published : Oct 16, 2019, 5:49 PM IST

साहिबगंज: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही तब समझ में आयी जब एक गर्भवती महिला को गंभीर हालत में बांस के सहारे टांग कर सदर अस्पताल लाया गया. परिजनों ने पहाड़ी रास्तों पर करीब 30 किलोमीटर का कठिन सफर तय किया और महिला को अस्पताल पहुंचाया. रास्ते में जो भी लोग इस नजारे को देख रहे थे, सभी के सभी अवाक थे.

देखिए पूरी खबर

एंबुलेंस की नहीं मिली सुविधा
ये मामला गर्भवती महिला तालझारी प्रखंड के अंतर्गत छोटा बेतौना का रहने वाले मरांग सोरेन की पत्नी चिता हांसदा का है. पत्नी के पेट में अचानक दर्द होने पर मरांग सोरेन ने 108 एंबुलेंस की सुविधा लेने चाही लेकिन समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने पर उसने बांस पर गर्भवती पत्नी को टांगा और कांधे पर लेकर निकल पड़ा.

मरीज को मिला बांस का सहारा
परिजन का कहना है कि 108 एंबुलेंस का लाभ नहीं मिल पाया तो ऐसी स्थिति में जल्दीबाजी में बांस के सहारे सदर अस्पताल पहुंचना मुनासिब समझा. यदि देर हो जाती तो जच्चा और बच्चा की मौत भी हो सकती थी. ऐसी स्थिति में हम क्या करें. 108 एंबुलेंस सेवा गांव में काम नहीं कर रही.

पहाड़ी क्षेत्र में एंबुलेंस की नहीं है व्यवस्था
सदर अस्पताल के डीएस ने कहा कि पहाड़ पर एंबुलेंस नहीं जा सकता है. क्योंकि जगह बहुत सकरा रहता है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति के लिए पूर्व सीएस बी मरांडी ने पालकी के द्वारा डिलीवरी पेशेंट को लाने की पहल की थी. चुकी यह सेंट्रल से होना था अभी क्या स्थिति है मुझे नहीं मालूम, लेकिन बांस के सहारे एक गर्भवती महिला आई है यह जानकारी है. अभी वह सदर अस्पताल में भर्ती है. डीएस ने कहा कि 108 एंबुलेंस हमेशा तत्पर रहता है कभी भी किसी भी वक्त सिर्फ कॉल करने पर सेवा के लिए तत्पर रहता है, लेकिन क्या परिस्थिति हुई जो लोग बांस के सहारे मरीज को सदर अस्पताल लाया गया.

ये भी पढ़ें: 17 साल तक करते रहे इंतजार, फिर ग्रामीणों ने खुद कर दिया रेलवे स्टेशन का किया शिलन्यास
मामला जो भी हो, लेकिन बांस के सहारे इस आत्याधुनिक युग में भी गर्भवती महिला का सदर अस्पताल पहुंचना एक अपने आप में सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. इससे साफ जाहिर होता है कि आज भी सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

साहिबगंज: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही तब समझ में आयी जब एक गर्भवती महिला को गंभीर हालत में बांस के सहारे टांग कर सदर अस्पताल लाया गया. परिजनों ने पहाड़ी रास्तों पर करीब 30 किलोमीटर का कठिन सफर तय किया और महिला को अस्पताल पहुंचाया. रास्ते में जो भी लोग इस नजारे को देख रहे थे, सभी के सभी अवाक थे.

देखिए पूरी खबर

एंबुलेंस की नहीं मिली सुविधा
ये मामला गर्भवती महिला तालझारी प्रखंड के अंतर्गत छोटा बेतौना का रहने वाले मरांग सोरेन की पत्नी चिता हांसदा का है. पत्नी के पेट में अचानक दर्द होने पर मरांग सोरेन ने 108 एंबुलेंस की सुविधा लेने चाही लेकिन समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने पर उसने बांस पर गर्भवती पत्नी को टांगा और कांधे पर लेकर निकल पड़ा.

मरीज को मिला बांस का सहारा
परिजन का कहना है कि 108 एंबुलेंस का लाभ नहीं मिल पाया तो ऐसी स्थिति में जल्दीबाजी में बांस के सहारे सदर अस्पताल पहुंचना मुनासिब समझा. यदि देर हो जाती तो जच्चा और बच्चा की मौत भी हो सकती थी. ऐसी स्थिति में हम क्या करें. 108 एंबुलेंस सेवा गांव में काम नहीं कर रही.

पहाड़ी क्षेत्र में एंबुलेंस की नहीं है व्यवस्था
सदर अस्पताल के डीएस ने कहा कि पहाड़ पर एंबुलेंस नहीं जा सकता है. क्योंकि जगह बहुत सकरा रहता है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति के लिए पूर्व सीएस बी मरांडी ने पालकी के द्वारा डिलीवरी पेशेंट को लाने की पहल की थी. चुकी यह सेंट्रल से होना था अभी क्या स्थिति है मुझे नहीं मालूम, लेकिन बांस के सहारे एक गर्भवती महिला आई है यह जानकारी है. अभी वह सदर अस्पताल में भर्ती है. डीएस ने कहा कि 108 एंबुलेंस हमेशा तत्पर रहता है कभी भी किसी भी वक्त सिर्फ कॉल करने पर सेवा के लिए तत्पर रहता है, लेकिन क्या परिस्थिति हुई जो लोग बांस के सहारे मरीज को सदर अस्पताल लाया गया.

ये भी पढ़ें: 17 साल तक करते रहे इंतजार, फिर ग्रामीणों ने खुद कर दिया रेलवे स्टेशन का किया शिलन्यास
मामला जो भी हो, लेकिन बांस के सहारे इस आत्याधुनिक युग में भी गर्भवती महिला का सदर अस्पताल पहुंचना एक अपने आप में सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. इससे साफ जाहिर होता है कि आज भी सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

Intro:एम्बुलेंस नही मिला तो एक गर्भवती महिला बांस के सहारे पहुची सदर अस्पताल। एक दृश्य को लोग देखते रह गए। क्या यही स्वास्थ्य विभाग का दावा।

नोट--रिपोर्टर्स एप्प से विसुअल,बाइट फ़ाइल कर चुके है।


Body:एम्बुलेंस नही मिला तो एक गर्भवती महिला बांस के सहारे पहुची सदर अस्पताल। एक दृश्य को लोग देखते रह गए। क्या यही स्वास्थ्य विभाग का दावा।
स्टोरी-साहिबगंज-- स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही तब समझ मे आयी जब एक गर्भवती महिला को सीरियस स्थिति में बांस के सहारे टांग कर सदर अस्पताल लाया गया। रास्ते मे जो भो लोग इस नजारा को देख रहा था सभी के सभी आबाक रह गए।मामला यह गर्भवती महिला तालझारी प्रखंड के अंतर्गत छोटा बेतौना का रहने वाला मरांग सोरेन की पत्नी चिता हांसदा है। मरांग सोरेन अपनी 23 वर्षीय पत्नी चिता हांसदा गर्भवती थी अचानक दर्द होने से बांस के सहारे सदर अस्पताल पहुच गया।
परिजन का कहना है कि 108 एंबुलेंस का लाभ नहीं मिल पाया तो ऐसी स्थिति में जल्दी बाजी में बांस के सहारे सदर अस्पताल पहुंचना मुनासिब समझा यदि देर हो जाती तो जच्चा और बच्चा की मौत भी हो सकती थी ऐसी स्थिति में हम क्या करें 108 एंबुलेंस का सेवा मेला और ना ही गांव में काम कर रही साहिया का सहयोग मिला।
चुकी डिलीवरी पेशेंट का परिजन हिंदी बहुत कम बोल पाता है ऐसी स्थिति में इनके समस्या को जानना बड़ा मुश्किल हो रहा था एक सहयोगी इनके भाषा को ट्रांसलेट कर यह बताने का प्रयास कर रही थी कि यह लोग 108 एंबुलेंस का सहयोग लेना चाहा लेकिन एंबुलेंस नहीं मिलने से यह लोग जल्दी बाजी में बांस के सहारे हॉस्पिटल पहुंच गई।
बाइट- चिता हासदा, पेशेंट, सोई हुई बेड पर
बाइट--बड़की मुर्मू, सास, संथाली भाषा मे बोल रही है।
बाइट-- सहयोगी, भाषा का ट्रांसलेट कर बताना
बाइट- मरांग सोरेन,पति
सदर अस्पताल के डी एस ने कहा कि पहाड़ पर एंबुलेंस नहीं जा सकता है क्योंकि जगह बहुत सकरा रहता है ऐसी स्थिति में पूर्व सीएस बी मरांडी द्वारा पालकी के द्वारा डिलीवरी पेशेंट को लाने का पहल किया गया था। चुकी यह सेंट्रल से होना था अभी क्या स्थिति है मुझे नहीं मालूम लेकिन बांस के सहारे एक गर्भवती महिला आई है यह जानकारी है अभी वह हमारे सदर अस्पताल में भर्ती हैं डीएस ने कहा कि 108 एंबुलेंस हमेशा तत्पर रहता है कभी भी किसी भी वक्त सिर्फ कॉल करने पर सेवा के लिए तत्पर रहता है लेकिन क्या परिस्थिति हुई जो लोग बांस के सहारे सदर अस्पताल पहुंचे ।
बाइट-मोहन पासवान, डीएस,साहिबगंज


Conclusion:मामला जो भी हो लेकिन बांस के सहारे आज के दिन भी गर्भवती महिला का सदर अस्पताल पहुंचना एक अपने आप में सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करता है इससे साफ जाहिर होता है कि आज भी सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है
बांस के सहारे गर्भवती का जिला अस्पताल पहुंचना शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है सभी लोग सरकार और जिला प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह उठा रहे हैं कहां हो रही है गलती क्यों नहीं मिला इस गरीब महिला को 108 की सुविधा सवाल बहुत है जांच के विषय है आंखें इसका दोषी कौन है।
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