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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019ः जेएमएम का गढ़ है बरहेट विधानसभा सीट, बीजेपी की आज तक नहीं हुई है जीत

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Published : Nov 26, 2019, 3:07 PM IST

बरहेट विधानसभा सीट को जेएमएम का गढ़ माना जाता है. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण इस सीट पर आज तक बीजेपी नहीं जीत सकी है. माना जाता है कि यहां की जनता चेहरा नहीं चुनाव चिन्ह देखकर वोट देती है.

कमल खिलाने में जुटी बीजेपी
बरहेट विधानसभा सीट

साहिबगंजः बरहेट विधानसभा क्षेत्र जेएमएम का गढ़ रहा है. इस सीट पर लगातार चार दशक से जेएमएम का कब्जा रहा है. इस पर बीजेपी आज नहीं जीत सकी है. इसबार झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी का दावा है कि बरहेट विधानसभा सीट पर कमल जरुर खिलेगा. जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं.

देखें पूरी खबर

साहिबगंज के बरहेट विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा रहा है. आज तक इस विधानसभा सीट पर बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया पाया है. बरहेट विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इस विधानसभा सीट पर प्रत्याशी को देखकर नहीं, बल्कि चुनाव चिन्ह तीर धनुष को देखकर जनता वोट देती है. क्योंकि आदिवासियों की परंपरागत हथियार तीर-धनुष को यहां के लोग देवता के स्वरूप में पूजते हैं. यही वजह है कि 1990 से लगातार 2014 तक इस बरहेट विधानसभा सीट पर जेएमएम का कब्जा रहा है.

जेएमएम का रहा है दबदबा

बरहेट विधानसभा सीट की बात करें तो 1957 में यह अस्तित्व में आया था. 1990 से पहले विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों का इस सीट पर कब्जा रहा है, लेकिन 1990 के बाद 2014 तक जेएमएम लगातार इस सीट पर जीत हासिल करता आ रहा है. बीजेपी इस सीट पर लगातार प्रयास करती आ रही है, बावजूद यहां अपना खाता नहीं खोल सकी है. इस बार फिर हेमंत सोरेन इस सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, तो वहीं बीजेपी के प्रत्याशी साइमन माल्टो भी जीत को लेकर आश्वस्त हैं.

2 दिसंबर हेमंत करेंगे नामांकन
जेएमएम के केंद्रीय सचिव का कहना है कि बरहेट विधानसभा सिद्धू-कान्हू की पवित्र धरती रही है और शुरू से लेकर आज तक जेएमएम का कब्जा रहा है. लगातार इस सीट से जेएमएम की जीत हो रही है और इस बार रिकॉर्ड मत से हेमंत सोरेन की फिर से जीत होगी. इनका कहना है कि इस सीट से बीजेपी की कभी जीत नहीं हुई है, और न कभी जीत होगी. जबकि बीजेपी की इस बार जमानत जब्त हो जाएगी. बताया कि हेमंत सोरेन 2 दिसंबर को बरहेट विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे.

हेमंत ने 5 साल में नहीं किया कोई विकास- बीजेपी
वहीं, बीजेपी जिला अध्यक्ष का दावा है कि इस बार बरहेट विधानसभा बीजेपी मय हो चुकी है. इस बार इस विधानसभा की जनता बदलाव देखना चाह रही हैं, क्योंकि हेमंत सोरेन से जनता नाखुश है. हेमंत सोरेन ने बरहेट में अपने 5 साल के कार्यकाल में कुछ भी काम नहीं किया है. इसलिए जनता इस बार बीजेपी को जीत हासिल कराएगी और बीजेपी प्रत्याशी साइमन मालटो बरहेट विधानसभा से रिकॉर्ड मत से जीतेंगे.

ये भी पढ़ें- सरयू राय के तरकश से निकला तीर रघुवर दास को दे सकता है 'घाव'

तीर-धनुष आदिवासियों का भगवान
बहरहाल, बरहेट विधानसभा सीट बीजेपी के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि बीजेपी का आज तक इस सीट से खाता नहीं खुल पाया है, वजह यह भी है कि आदिवासी कमल को नहीं बल्कि तीर-धनुष को देवता स्वरूप मान कर वोट देती है. आदिवासियों का मानना है कि तीर धनुष हमारा भगवान है, हम इससे गद्दारी नहीं कर सकते हैं.

साहिबगंजः बरहेट विधानसभा क्षेत्र जेएमएम का गढ़ रहा है. इस सीट पर लगातार चार दशक से जेएमएम का कब्जा रहा है. इस पर बीजेपी आज नहीं जीत सकी है. इसबार झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी का दावा है कि बरहेट विधानसभा सीट पर कमल जरुर खिलेगा. जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं.

देखें पूरी खबर

साहिबगंज के बरहेट विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा रहा है. आज तक इस विधानसभा सीट पर बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया पाया है. बरहेट विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इस विधानसभा सीट पर प्रत्याशी को देखकर नहीं, बल्कि चुनाव चिन्ह तीर धनुष को देखकर जनता वोट देती है. क्योंकि आदिवासियों की परंपरागत हथियार तीर-धनुष को यहां के लोग देवता के स्वरूप में पूजते हैं. यही वजह है कि 1990 से लगातार 2014 तक इस बरहेट विधानसभा सीट पर जेएमएम का कब्जा रहा है.

जेएमएम का रहा है दबदबा

बरहेट विधानसभा सीट की बात करें तो 1957 में यह अस्तित्व में आया था. 1990 से पहले विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों का इस सीट पर कब्जा रहा है, लेकिन 1990 के बाद 2014 तक जेएमएम लगातार इस सीट पर जीत हासिल करता आ रहा है. बीजेपी इस सीट पर लगातार प्रयास करती आ रही है, बावजूद यहां अपना खाता नहीं खोल सकी है. इस बार फिर हेमंत सोरेन इस सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, तो वहीं बीजेपी के प्रत्याशी साइमन माल्टो भी जीत को लेकर आश्वस्त हैं.

2 दिसंबर हेमंत करेंगे नामांकन
जेएमएम के केंद्रीय सचिव का कहना है कि बरहेट विधानसभा सिद्धू-कान्हू की पवित्र धरती रही है और शुरू से लेकर आज तक जेएमएम का कब्जा रहा है. लगातार इस सीट से जेएमएम की जीत हो रही है और इस बार रिकॉर्ड मत से हेमंत सोरेन की फिर से जीत होगी. इनका कहना है कि इस सीट से बीजेपी की कभी जीत नहीं हुई है, और न कभी जीत होगी. जबकि बीजेपी की इस बार जमानत जब्त हो जाएगी. बताया कि हेमंत सोरेन 2 दिसंबर को बरहेट विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे.

हेमंत ने 5 साल में नहीं किया कोई विकास- बीजेपी
वहीं, बीजेपी जिला अध्यक्ष का दावा है कि इस बार बरहेट विधानसभा बीजेपी मय हो चुकी है. इस बार इस विधानसभा की जनता बदलाव देखना चाह रही हैं, क्योंकि हेमंत सोरेन से जनता नाखुश है. हेमंत सोरेन ने बरहेट में अपने 5 साल के कार्यकाल में कुछ भी काम नहीं किया है. इसलिए जनता इस बार बीजेपी को जीत हासिल कराएगी और बीजेपी प्रत्याशी साइमन मालटो बरहेट विधानसभा से रिकॉर्ड मत से जीतेंगे.

ये भी पढ़ें- सरयू राय के तरकश से निकला तीर रघुवर दास को दे सकता है 'घाव'

तीर-धनुष आदिवासियों का भगवान
बहरहाल, बरहेट विधानसभा सीट बीजेपी के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि बीजेपी का आज तक इस सीट से खाता नहीं खुल पाया है, वजह यह भी है कि आदिवासी कमल को नहीं बल्कि तीर-धनुष को देवता स्वरूप मान कर वोट देती है. आदिवासियों का मानना है कि तीर धनुष हमारा भगवान है, हम इससे गद्दारी नहीं कर सकते हैं.

Intro:जेएमएम का गढ़ है बरहेट विधानसभा । चार दशक से जेएमएम का लगातार कब्जा रहा। बीजेपी का नही खिला आज तक कमल। जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन का सामना करेंगे बीजेपी का सिमोन मलतो।
1990 से 2014 तक जेएमएम का लगातार कब्जा।
2014 में जेएमएम का कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की जीत हुई थी।
आदिवासी बहुल बहुल क्षेत्र है यहां की आदिवासी प्रत्याशी का चेहरा को देखकर हॉट नहीं देती वह देती है अपना परंपरागत देवता समान तीर धनुष सिंबॉल को देखकर वोट देती है यही वजह है बीजेपी का आज तक इस विधानसभा से कमल नही खिल पाया है। इसलिए जेएमएम कहती है की बरहेट विधानसभा हमारा गढ़ है।



Body:जेएमएम का गढ़ है बरहेट विधानसभा । चार दशक से जेएमएम का लगातार कब्जा रहा। बीजेपी का नही खिला आज तक कमल। जेएमएम प्रत्याशी हेमंत सोरेन का सामना करेंगे बीजेपी का सिमोन मलतो।
स्टोरी-साहिबगंज-- साहिबगंज का बरहेट विधानसभा झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा रहा है आज तक इस विधानसभा सीट पर बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया पाया है। बरहेट विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है आज भी इस विधानसभा का आदिवासी प्रत्याशी को देखकर वोट नहीं देती है बल्कि चुनाव चिन्ह तीर धनुष को देखकर वोट देती है क्योंकि आदिवासियों का परंपरागत हथियार और इसे देवता का स्वरूप में पूजते हैं यही वजह है कि 1990 से लगातार 2014 तक इस बरहेट विधानसभा में जेएमएम का कब्जा रहा है।
बरहेट विधानसभा की बात करें तो 1957 में इस विधानसभा अस्तित्व में आया था। 1990 से पहले विभिन क्षेत्रीय पार्टियों का इस सीट पर कब्जा रहा है लेकिन 1990 के बाद 2014 तक जमीन का लगातार इस सीट पर जीत हासिल करती आ रही हैं बीजेपी इस सीट पर लगातार प्रयास करती है सीट निकाल लिया जाए लेकिन बीजेपी सफल नही हो पाती हैं।
2014 में बेहट विधानसभा से जेएमएम का कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन इस सीट पर जीत हासिल किया था और बीजेपी की हार हुई थी । इस बार एक बार फिर हेमंत सोरेन इस सीट पर अपना किस्मत आजमा रहे हैं और बीजेपी इस बरहेट विधानसभा से सिमोन मलतो को टिकट देकर भरोसा जताया है।
जेएमएम का केंद्रीय सचिव ने कहा कि बेहट विधानसभा सिद्धू कानू की पवित्र धरती रही है और शुरू से लेकर आज तक जेएमएम का कब्जा रहा है लगातार इस सीट से जेएमएम के जीत हो रही है और इस बार रिकॉर्ड मत से हेमंत सोरेन की जीत होगी। कहा कि इस सीट से बीजेपी का ना कभी जीत हुई थी और ना कभी जीत होगी। बीजेपी का इस बार जमानत जब्त हो जाएगा। कहा हेमंत सोरेन 2 दिसंबर को बरहेट विधानसभा से नामांकन दाखिल करेंगे।
बाइट-- पंकज मिश्रा, केंद्रीय सचिव,जेएमएम
बीजेपी जिला अध्यक्ष का दावा है कि इस बार बरहेट विधानसभा बीजेपी मय हो चुकी है इस बार इस विधानसभा के जानता बदलाव देखना चाह रही हैं क्योंकि हेमंत सोरेन से जानता नाखुश है। हेमंत सोरेन विधानसभा में अपने 5 साल में उन्होंने कुछ भी काम नहीं किया है इसलिए जानता इस बार बीजेपी को जीत हासिल कराएगी और बीजेपी प्रत्याशी सिमोन मलतो बरहेट विधानसभा से रिकॉर्ड मत से जीतेंगे।
बाइट-- बिश्वनाथ गुप्ता,विजेपी जिला अध्यक्ष,




Conclusion:बेड विधानसभा बीजेपी के लिए बहुत बड़ा चुनौती है क्योंकि बीजेपी का आज तक इस सीट से खाता नहीं खुल पाया है वजह यह भी है आदिवासी कमल को नहीं अपना तीर धनुष देवता स्वरूप सिंबॉल को देखकर वोट देती है आदिवासियों का मानना है कि तीर धनुष हमारा भगवान है हम इसे गद्दारी नहीं कर सकते है।
इसलिए इस विधानसभा से जेएमएम बीजेपी पर भारी पड़ सकता है।
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