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ऐतिहासिक धरोहर जामी मस्जिद की है खास विशेषता, दूर-दूर से घूमने आते हैं सैलानी - Jami Masjid built by King Mansingh

साहिबगंज में ऐतिहासिक धरोहर जामी मस्जिद को देखने देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं. मस्जिद की कलाकृतियां इतनी प्रभावशाली हैं कि एक विद्वान ने इस मस्जिद को अभिभूत कलाकृति का दर्जा भी दिया है.

Jami Masjid of Sahibganj is considered as a historical heritage
ऐतिहासिक धरोहर जामी मस्जिद की है खास विशेषता
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Published : Feb 12, 2020, 6:04 PM IST

Updated : Feb 12, 2020, 6:55 PM IST

साहिबगंज: मुगल काल के ऐतिहासिक धरोहर जामी मस्जिद को देखने देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं. इस मस्जिद का निर्माण राजा मानसिंह ने 16वीं सदी में करवाया था. जो सम्राट अकबर के राज्यपाल थे.

देखें स्पेशल स्टोरी

जामी मस्जिद ऊंचे स्थान पर स्थित है. 1592 में गंगा नदी के प्रवाह के बदलाव के कारण से इसे राजधानी में स्थापित किया गया. इस मस्जिद के अंदर एक विशाल प्रार्थना कक्ष है, जो पश्चिम की ओर स्थित है. इसके अंदर एक बड़ा आंगन है, जो ऊंचे अहाते से घिरा हुआ है. जामी मस्जिद में तीन द्वार हैं. मस्जिद की कलाकृतियां इतनी प्रभावशाली हैं कि एक विद्वान ने इस मस्जिद को अभिभूत कलाकृति का दर्जा दिया है.

इसे भी पढ़ें:- साहिबगंज: श्रमिक होंगे महत्वाकांक्षी योजना से लाभांवित, 21 हजार मजदूरों को पैंट-शर्ट और साड़ी दिए जाएंगे

राजमहल के मंगल हाट बाजार में स्थित मंदिर परिसर में पर्यटकों को लुभाने के लिए बाग बगीचा लगाया गया है. इस बगीचे का क्षेत्रफल 4 एकड़ है. प्रत्येक दिन झारखंड के अलावा भी सैकड़ों सैलानी इस बाग बगीचे को देखने पहुंचते हैं. पर्यटकों का कहना है गर्मी के मौसम में यहां का नजारा कुछ अलग ही होता होता है, उस समय यहां काफी आनंद मिलता है. मस्जिद के गंगा किनारे होने के कारण यहां आने वाले पर्यटकों को काफी सुकून मिलता है.

जिले के उपायुक्त ने बताया कि 'रंग भरे साहिबगंज' कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी और ऐतिहासिक भवनों का रंग रोहन किया जाएगा, ताकि यह लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सके. इस कार्यक्रम के तहत पर्यटकों के जीवन में भी रंग रोहन की खुशियां भरी जाए, ताकि हमारा जिला कलरफुल, एंजॉयफुल और चियरफूल बन सके.

साहिबगंज: मुगल काल के ऐतिहासिक धरोहर जामी मस्जिद को देखने देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं. इस मस्जिद का निर्माण राजा मानसिंह ने 16वीं सदी में करवाया था. जो सम्राट अकबर के राज्यपाल थे.

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जामी मस्जिद ऊंचे स्थान पर स्थित है. 1592 में गंगा नदी के प्रवाह के बदलाव के कारण से इसे राजधानी में स्थापित किया गया. इस मस्जिद के अंदर एक विशाल प्रार्थना कक्ष है, जो पश्चिम की ओर स्थित है. इसके अंदर एक बड़ा आंगन है, जो ऊंचे अहाते से घिरा हुआ है. जामी मस्जिद में तीन द्वार हैं. मस्जिद की कलाकृतियां इतनी प्रभावशाली हैं कि एक विद्वान ने इस मस्जिद को अभिभूत कलाकृति का दर्जा दिया है.

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जिले के उपायुक्त ने बताया कि 'रंग भरे साहिबगंज' कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी और ऐतिहासिक भवनों का रंग रोहन किया जाएगा, ताकि यह लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सके. इस कार्यक्रम के तहत पर्यटकों के जीवन में भी रंग रोहन की खुशियां भरी जाए, ताकि हमारा जिला कलरफुल, एंजॉयफुल और चियरफूल बन सके.

Last Updated : Feb 12, 2020, 6:55 PM IST
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