साहिबगंज: हिंदू पंचांग के अनुसार आज (6 अक्टूबर ) अश्विन मास (क्वार माह) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी सर्व पितृ अमावस्या है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन पितृपक्ष का समापन होता है और पूर्वज अपने लोक चले जाते हैं. इसी को लेकर जिले में उत्तरवाहिनी गंगा में पितृ तर्पण को लेकर लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है. सुबह से ही लोग कतार लगाकर अपने पूर्वजों को पूरे विधि-विधान के साथ तर्पण कर अंतिम विदाई दे रहे हैं.
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सुबह 4 बजे से घाटों पर लगी है भीड़
आज पितृपक्ष का अंतिम दिन है. जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है, वैसे लोग आज के दिन तर्पण करते हैं. जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने स्थान पर विराजमान हो जाते हैं. ऐसे में सुबह 4 बजे से ही घाटों पर लोगों को पहुंचना शुरू हो गया. लोग जल्द से जल्द तर्पण कर अपने पितरों को मोक्ष दिलाना चाह रहे हैं. शहर के मुक्तेश्वर गंगा घाट पर लगभग दस ब्राह्मण हैं जो पूरे विधि विधान के साथ तर्पण करा रहे हैं.
कैसे होता है तर्पण
पुरोहित की मानें तो तर्पण के लिए सबसे पहले गंगा में स्नान किया जाता है, जिसके बाद पिंड दान किया जाता है. उसके बाद पीपल के पेड़ के नीचे अगरबत्ती और दीपक जलाकर नमन किया जाता है और अपने पूर्वजों को स्थान ग्रहण करने के लिए कहा जाता है. क्षमा याचना के बाद सुख शांति आशीर्वाद की कामना की जाती है. पुरोहित के अनुसार घर जाने के बाद पांच ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान पुण्य करना चाहिए. इसके अलावे जानवरों और पक्षियों को भी भोजन कराना पुण्य माना जाता है. धर्मशास्त्र में ऐसा माना जाता है कि हम जो भी भोजन कराते हैं वह हमारे पूर्वजों को अदृश्य रूप में प्राप्त होता है.
शुरू हो जाएगा शुभ कार्य
पुरोहितों और पंडितों के मुताबिक पितृपक्ष के अंतिम दिन माहलया अमावस्या मनाया जाता है. इस दिन के बाद से ही हर शुभ काम शुरू हो जाता है. इसके साथ ही तर्पण करने की अवधि समाप्त हो जाती है. इस दिन के बाद तर्पण करने के बाद बाद कुछ भी लाभ नहीं मिलता है.