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निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत BPL कार्डधारी बच्चों का दाखिला लेना है अनिवार्य, स्कूल प्रबंधन कर रही है आनाकानी - Violation of government rules in private schools

शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत राज्य के निजी स्कूलों में बीपीएल कार्डधारी बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य किया गया है. इसके बावजूद कई ऐसे निजी स्कूल हैं, जो ऐसे बच्चों का नामांकन लेना ही नहीं चाहते हैं. राइट टू एजुकेशन के तहत निजी विद्यालयों में 25 फीसदी बीपीएल बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य है, लेकिन 1360 सीट में अब तक 350 गरीब बच्चों का दाखिला ही हो पाया है.

Violation of government rules in private schools of Jharkhand
झारखंड के निजी स्कूलों में सरकारी नियमों का उल्लंघन
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Published : Apr 7, 2021, 5:13 AM IST

रांची: शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत राज्य के निजी विद्यालयों में बीपीएल कार्डधारी बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य किया गया है. इसके बावजूद कई ऐसे निजी स्कूल हैं, जो ऐसे बच्चों का नामांकन लेना ही नहीं चाहते हैं. मामले को लेकर राजधानी रांची के गुरु नानक स्कूल में जिला शिक्षा अधीक्षक के साथ निजी विद्यालय के प्रिंसिपल और प्रतिनिधियों की एक विशेष बैठक हुई. इस बैठक के दौरान शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने कई निजी स्कूलों को फटकार भी लगाई है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-बोकारोः निजी स्कूल की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का हंगामा, चास सीओ ने अभिभावकों को शांत करने के बदले उलझे



निजी विद्यालयों में 25 फीसदी बीपीएल बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य
राइट टू एजुकेशन के तहत निजी विद्यालयों में 25 फीसदी बीपीएल बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य है, लेकिन 1360 सीट में अब तक 350 गरीब बच्चों का दाखिला ही हो पाया है. राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों का दाखिला क्यों नहीं हो पा रहा है. आखिर क्यों एप्लीकेशन रिजेक्ट किया जा रहा है. ऐसे ही कई विषयों को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने निजी विद्यालय के प्रिंसिपल और प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक के दौरान ऐसे स्कूल प्रबंधकों से सवाल-जवाब भी किया गया, जहां विद्यार्थियों का एप्लीकेशन रिजेक्ट किया गया है.

स्कूलों पर होगी विभागीय कार्रवाई

रांची जिला अधीक्षक के साथ बैठक में लगभग 95 स्कूल के प्रिंसिपल शामिल थे. सभी ने बारी-बारी से अपनी समस्याओं को बताया. इसमें रांची जिले के मिशन स्कूल और डीएवी स्कूल ने राइट टू एजुकेशन के नियमों का पालन किया है और ऐसे अधिकतर मिशन स्कूल और डी ग्रुप के स्कूल में बच्चों का नामांकन भी बेहतर हुई है. रांची जिले के डीपीएस स्कूल और जेवीएम श्यामली जैसे स्कूलों में नामांकन के प्रतिशत काफी दयनीय है. मामले को लेकर शिक्षा अधीक्षक कमला सिंह ने कहा कि यदि राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों का दाखिला नहीं दिया जाता है, तो ऐसे स्कूलों पर विभागीय कार्रवाई होगी. उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है. एक बार फिर ऐसे स्कूलों को चिन्हित करने को लेकर उपायुक्त स्तर पर जांच की जाएगी और जांच में ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई होगी.

ये भी पढ़ें-छोटे बच्चों के लिए स्कूल खोलने की मांग, अभिभावकों ने कहा- घट रहा बच्चों के शिक्षा का स्तर


निजी स्कूल सरकारी नियमों का नहीं करते हैं पालन

निजी विद्यालयों में हमेशा से ही सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती रही है और शिक्षा विभाग को गुमराह करने के लिए कई बहाने भी बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार विभाग इस मामले को लेकर गंभीर है और ऐसे स्कूलों को चिन्हित करने का काम शुरू भी कर दिया है. डीपीएस स्कूल को एक बार फिर अल्टीमेटम दिया गया है, साथ ही तमाम स्कूलों को जल्द से जल्द नामांकन का लक्ष्य 10 दिनों के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया गया.

रांची: शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत राज्य के निजी विद्यालयों में बीपीएल कार्डधारी बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य किया गया है. इसके बावजूद कई ऐसे निजी स्कूल हैं, जो ऐसे बच्चों का नामांकन लेना ही नहीं चाहते हैं. मामले को लेकर राजधानी रांची के गुरु नानक स्कूल में जिला शिक्षा अधीक्षक के साथ निजी विद्यालय के प्रिंसिपल और प्रतिनिधियों की एक विशेष बैठक हुई. इस बैठक के दौरान शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने कई निजी स्कूलों को फटकार भी लगाई है.

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निजी विद्यालयों में 25 फीसदी बीपीएल बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य
राइट टू एजुकेशन के तहत निजी विद्यालयों में 25 फीसदी बीपीएल बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य है, लेकिन 1360 सीट में अब तक 350 गरीब बच्चों का दाखिला ही हो पाया है. राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों का दाखिला क्यों नहीं हो पा रहा है. आखिर क्यों एप्लीकेशन रिजेक्ट किया जा रहा है. ऐसे ही कई विषयों को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने निजी विद्यालय के प्रिंसिपल और प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक के दौरान ऐसे स्कूल प्रबंधकों से सवाल-जवाब भी किया गया, जहां विद्यार्थियों का एप्लीकेशन रिजेक्ट किया गया है.

स्कूलों पर होगी विभागीय कार्रवाई

रांची जिला अधीक्षक के साथ बैठक में लगभग 95 स्कूल के प्रिंसिपल शामिल थे. सभी ने बारी-बारी से अपनी समस्याओं को बताया. इसमें रांची जिले के मिशन स्कूल और डीएवी स्कूल ने राइट टू एजुकेशन के नियमों का पालन किया है और ऐसे अधिकतर मिशन स्कूल और डी ग्रुप के स्कूल में बच्चों का नामांकन भी बेहतर हुई है. रांची जिले के डीपीएस स्कूल और जेवीएम श्यामली जैसे स्कूलों में नामांकन के प्रतिशत काफी दयनीय है. मामले को लेकर शिक्षा अधीक्षक कमला सिंह ने कहा कि यदि राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों का दाखिला नहीं दिया जाता है, तो ऐसे स्कूलों पर विभागीय कार्रवाई होगी. उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है. एक बार फिर ऐसे स्कूलों को चिन्हित करने को लेकर उपायुक्त स्तर पर जांच की जाएगी और जांच में ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई होगी.

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निजी स्कूल सरकारी नियमों का नहीं करते हैं पालन

निजी विद्यालयों में हमेशा से ही सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती रही है और शिक्षा विभाग को गुमराह करने के लिए कई बहाने भी बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार विभाग इस मामले को लेकर गंभीर है और ऐसे स्कूलों को चिन्हित करने का काम शुरू भी कर दिया है. डीपीएस स्कूल को एक बार फिर अल्टीमेटम दिया गया है, साथ ही तमाम स्कूलों को जल्द से जल्द नामांकन का लक्ष्य 10 दिनों के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया गया.

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