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सीएम आवास पर वास्तु दोष! क्या सियासी संकट के पीछे छह गेट का भी है कोई रहस्य, पढ़े रिपोर्ट

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की तलवार लटक रही है. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है. उसी चर्चा में से एक है झारखंड का मुख्यमंत्री आवास.

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झारखंड का मुख्यमंत्री आवास
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Published : May 10, 2022, 7:25 PM IST

रांची: झारखंड का मुख्यमंत्री आवास एक बार फिर चर्चा में है. वजह है इसका वास्तु दोष. यह ऐसा आवास है जहां रघुवर दास से पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सियासी भंवर में फंसने के बाद फिर से वास्तु दोष वाला चैप्टर खुल गया है. उनपर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की तलवार लटक रही है. इस आवास का खौफ ऐसा रहा है कि 2013 में सीएम बनने के बावजूद हेमंत सोरेन अपने मौजूदा आवास में ही रहे. इस सिलसिले को उन्होंने 2019 के चुनावी नतीजों के बाद भी जारी रखा. अभी भी वह सरकारी सीएम आवास से सटे उसी आवास में रहते हैं जो उन्हें 2010 में गठित अर्जुन मुंडा की सरकार में डिप्टी सीएम के तौर पर आवंटित हुआ था. सीएम का वर्तमान आवास उनके लिए लक्की रहा है. डिप्टी सीएम के बाद इसी आवास में रहते हुए 17 माह के लिए सीएम बने. फिर 2014 में रघुवर दास की सरकार बनी तो नेता प्रतिपक्ष बन गए. फिर 2019 के चुनाव में सारे चुनावी गणित को तोड़ते हुए सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे.

ये भी पढ़ें- ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामला: सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा जेएमएम- सुदिव्य कुमार

लेकिन 2019 में सीएम बनने के बाद पुराने सीएम आवास से वर्तमान आवास के बीच खोला गया गेट फलदायी नहीं रहा. वास्तु के जानकार कहते हैं कि दो प्लॉट के मध्य से दक्षिण की तरफ गेट तभी शुभ होगा जब उसका क्षेत्रफल ज्यादा होगा. इसके अलावा भी वास्तु के जानकारों का कहना है कि अगर किसी आवास में रहते हुए दूसरे आवास का सुख शामिल होता है तो उस आवास से आना-जाना करना श्रेयस्कर माना जाता है. वर्तमान में सीएम आवास में कुल छह गेट हैं. दो गेट पूरब की तरफ खुलते हैं. तीन गेट पश्चिम की तरफ और एक गेट दोनों प्लॉट के मध्य में उत्तर-दक्षिण की तरफ.

आपको बता दें साल 2014 से पहले इस आवास में आए किसी भी सीएम ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया था. इस मिथक को तोड़ा रघुवर दास ने. हालांकि उनको वास्तु दोष खत्म करने के लिए विशेष पूजा कराना पड़ी थी. वह पहले मुख्यमंत्री थे जो 30 जनवरी 2015 को अभिजीत मुहूर्त में मोरहाबादी की तरफ पूरब में खुलने वाले गेट से प्रवेश किए थे. यह सब ज्योतिषाचार्य के सुझाव पर हुआ था. इसका फायदा भी हुआ. रघुवर दास पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

ये भी पढ़ें- Office of Profit: चुनाव आयोग को जवाब देने के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने मांगा समय

अर्जुन मुंडा ने करवाया था मंदिर का निर्माण: मोरहाबादी की तरफ खुलने वाले दरवाजे से पहले दाहिनी ओर बजरंगबली का मंदिर पड़ता है. इस मंदिर का निर्माण 2012 में कराया गया था. उस दौरान मई महीने में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, उनकी पत्नी मीरा मुंडा समेत तीन अन्य लोगों की जान एक हेलीकॉप्टर लैंडिंग में बाल-बाल बच गई थी. वास्तु के हिसाब से यह पूजन और मंदिर के स्थापना के लिए सबसे बढ़िया स्थान होता है. ऐसी मान्यता है कि वहां से गुजरने वाले व्यक्ति पर बजरंगबली की दृष्टि पड़ती है. ऐसी स्थिति में उसके ऊपर आने वाली हर आपदा का मुकाबला बजरंगबली करते हैं.

बहरहाल, झारखंड में आगे क्या कुछ होगा, इसके बारे में सिर्फ अनुमान और कयास ही लगाए जा सकते हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी को पूरा भरोसा है कि इस संकट से भी पार पा लिया जाएगा.

रांची: झारखंड का मुख्यमंत्री आवास एक बार फिर चर्चा में है. वजह है इसका वास्तु दोष. यह ऐसा आवास है जहां रघुवर दास से पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सियासी भंवर में फंसने के बाद फिर से वास्तु दोष वाला चैप्टर खुल गया है. उनपर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की तलवार लटक रही है. इस आवास का खौफ ऐसा रहा है कि 2013 में सीएम बनने के बावजूद हेमंत सोरेन अपने मौजूदा आवास में ही रहे. इस सिलसिले को उन्होंने 2019 के चुनावी नतीजों के बाद भी जारी रखा. अभी भी वह सरकारी सीएम आवास से सटे उसी आवास में रहते हैं जो उन्हें 2010 में गठित अर्जुन मुंडा की सरकार में डिप्टी सीएम के तौर पर आवंटित हुआ था. सीएम का वर्तमान आवास उनके लिए लक्की रहा है. डिप्टी सीएम के बाद इसी आवास में रहते हुए 17 माह के लिए सीएम बने. फिर 2014 में रघुवर दास की सरकार बनी तो नेता प्रतिपक्ष बन गए. फिर 2019 के चुनाव में सारे चुनावी गणित को तोड़ते हुए सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे.

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लेकिन 2019 में सीएम बनने के बाद पुराने सीएम आवास से वर्तमान आवास के बीच खोला गया गेट फलदायी नहीं रहा. वास्तु के जानकार कहते हैं कि दो प्लॉट के मध्य से दक्षिण की तरफ गेट तभी शुभ होगा जब उसका क्षेत्रफल ज्यादा होगा. इसके अलावा भी वास्तु के जानकारों का कहना है कि अगर किसी आवास में रहते हुए दूसरे आवास का सुख शामिल होता है तो उस आवास से आना-जाना करना श्रेयस्कर माना जाता है. वर्तमान में सीएम आवास में कुल छह गेट हैं. दो गेट पूरब की तरफ खुलते हैं. तीन गेट पश्चिम की तरफ और एक गेट दोनों प्लॉट के मध्य में उत्तर-दक्षिण की तरफ.

आपको बता दें साल 2014 से पहले इस आवास में आए किसी भी सीएम ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया था. इस मिथक को तोड़ा रघुवर दास ने. हालांकि उनको वास्तु दोष खत्म करने के लिए विशेष पूजा कराना पड़ी थी. वह पहले मुख्यमंत्री थे जो 30 जनवरी 2015 को अभिजीत मुहूर्त में मोरहाबादी की तरफ पूरब में खुलने वाले गेट से प्रवेश किए थे. यह सब ज्योतिषाचार्य के सुझाव पर हुआ था. इसका फायदा भी हुआ. रघुवर दास पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

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अर्जुन मुंडा ने करवाया था मंदिर का निर्माण: मोरहाबादी की तरफ खुलने वाले दरवाजे से पहले दाहिनी ओर बजरंगबली का मंदिर पड़ता है. इस मंदिर का निर्माण 2012 में कराया गया था. उस दौरान मई महीने में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, उनकी पत्नी मीरा मुंडा समेत तीन अन्य लोगों की जान एक हेलीकॉप्टर लैंडिंग में बाल-बाल बच गई थी. वास्तु के हिसाब से यह पूजन और मंदिर के स्थापना के लिए सबसे बढ़िया स्थान होता है. ऐसी मान्यता है कि वहां से गुजरने वाले व्यक्ति पर बजरंगबली की दृष्टि पड़ती है. ऐसी स्थिति में उसके ऊपर आने वाली हर आपदा का मुकाबला बजरंगबली करते हैं.

बहरहाल, झारखंड में आगे क्या कुछ होगा, इसके बारे में सिर्फ अनुमान और कयास ही लगाए जा सकते हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी को पूरा भरोसा है कि इस संकट से भी पार पा लिया जाएगा.

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