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रिजल्ट के 180 दिन के अंदर देना होगा छात्रों को डिग्री सर्टिफिकेट, यूजीसी की नई गाइडलाइन - ETV Jharkhand

विश्वविद्यालयों को फाइनल रिजल्ट निकलने के 180 दिन के अंदर ही अब सफल अभ्यर्थियों को डिग्री सर्टिफिकेट देना अनिवार्य किया गया है. यूजीसी की ओर से इसे लेकर गाइडलाइन जारी किया गया है. वहीं, 16 महीनों बाद भी आरयू में एमए इन एजुकेशन कोर्स धरातल पर नहीं उतारा जा सका है.

Ranchi University
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Published : Apr 18, 2022, 2:13 PM IST

रांची: विद्यार्थियों को समय पर डिग्री नहीं मिलती है तो उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वह नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर पाते हैं. उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए अन्य विश्वविद्यालयों में नामांकन समय पर नहीं ले पाते हैं. हालांकि, इन परेशानियों को दूर करने के लिए यूजीसी ने तमाम विश्वविद्यालयों के लिए एक गाइडलाइन जारी किया है. इस गाइडलाइन के तहत विश्वविद्यालय और कॉलेजों को अब फाइनल रिजल्ट निकालने के लिए 180 दिन के अंदर ही सफल अभ्यर्थियों को डिग्री सर्टिफिकेट देना अनिवार्य कर दिया गया है.

इसे भी पढ़ें: विश्वविद्यालय सुधार : अब एक साथ हासिल कर सकेंगे दो डिग्री

आरयू में अब तक शुरू नहीं हुआ यह कोर्स: इस मामले में अन्य विश्वविद्यालयों से रांची विश्वविद्यालय बेहतर है. रांची विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के पास आउट होने के साथ ही उन्हें सर्टिफिकेट दे देती है. वहीं, समय रहते दीक्षांत समारोह का भी आयोजन इस विश्वविद्यालय में किया जाता है. आरयू इस दिशा में बेहतर काम कर रही है. हालांकि यह विश्वविद्यालय गेस्ट फैकल्टी और कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों के भरोसे बीते कई वर्षों से संचालित हो रहा है. बीते 2 साल में 12 से अधिक कोर्स भी शुरू हो चुके हैं, लेकिन ऐसे कई अहम कोर्स हैं जो शिक्षकों के कमी के कारण धरातल पर अब तक उतारा नहीं जा सका है. इसमें से एक महत्वपूर्ण कोर्स एमए इन एजुकेशन (MA in Education) है. इस कोर्स को संचालित करने के लिए साल 2020 के दिसंबर महीने में रांची यूनिवर्सिटी में तैयारी की गई थी. एकेडमिक काउंसिल की ओर से इस प्रस्ताव को तैयार कर अनुमति भी दे दी गई थी. इसके बाद इस कोर्स के संचालन के लिए कुल 13 पद सृजित किए गए हैं. लेकिन लगभग 16 महीने के बाद भी यह कोर्स शुरू नहीं किया जा सका है. इस मामले को लेकर यूनिवर्सिटी प्रबंधन से बात की गई तो, उनका कहना है कि इससे संबंधित प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. अब तक सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है. इसी वजह से 16 महीने से यह कोर्स धरातल पर नहीं उतारा जा सका है .

देखें पूरी खबर


कोर्स को लेकर अलग विभाग बनाने की योजना: इस कोर्स को शुरू करने के लिए अलग विभाग बनाने की बात भी कही गई थी. मोरहाबादी स्थित लीगल स्टडीज सेंटर कैंपस में भवन बनाने की बात हुई थी. इसके लिए कैंपस में जगह चिन्हित किया गया था. इतना कुछ किए जाने के बाद इस प्रस्ताव को उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से हरी झंडी नहीं मिल पाई है. फिलहाल, रांची विश्वविद्यालय नैक ग्रेडिंग के लिए तैयारियों में जुटा है. इसे लेकर लगातार एकेडमिक काउंसिल के साथ-साथ सिंडिकेट की बैठक भी हो रही है. जल्द ही विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों को नैक ग्रेडिंग के लिए केंद्रीय टीम आने वाली है. जिसकी तैयारी विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से की जा रही है. इस संबंध में पूरी जानकारी रांची विश्वविद्यालय की कुलपति कामिनी कुमार ने दी है.

रांची: विद्यार्थियों को समय पर डिग्री नहीं मिलती है तो उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वह नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर पाते हैं. उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए अन्य विश्वविद्यालयों में नामांकन समय पर नहीं ले पाते हैं. हालांकि, इन परेशानियों को दूर करने के लिए यूजीसी ने तमाम विश्वविद्यालयों के लिए एक गाइडलाइन जारी किया है. इस गाइडलाइन के तहत विश्वविद्यालय और कॉलेजों को अब फाइनल रिजल्ट निकालने के लिए 180 दिन के अंदर ही सफल अभ्यर्थियों को डिग्री सर्टिफिकेट देना अनिवार्य कर दिया गया है.

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आरयू में अब तक शुरू नहीं हुआ यह कोर्स: इस मामले में अन्य विश्वविद्यालयों से रांची विश्वविद्यालय बेहतर है. रांची विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के पास आउट होने के साथ ही उन्हें सर्टिफिकेट दे देती है. वहीं, समय रहते दीक्षांत समारोह का भी आयोजन इस विश्वविद्यालय में किया जाता है. आरयू इस दिशा में बेहतर काम कर रही है. हालांकि यह विश्वविद्यालय गेस्ट फैकल्टी और कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों के भरोसे बीते कई वर्षों से संचालित हो रहा है. बीते 2 साल में 12 से अधिक कोर्स भी शुरू हो चुके हैं, लेकिन ऐसे कई अहम कोर्स हैं जो शिक्षकों के कमी के कारण धरातल पर अब तक उतारा नहीं जा सका है. इसमें से एक महत्वपूर्ण कोर्स एमए इन एजुकेशन (MA in Education) है. इस कोर्स को संचालित करने के लिए साल 2020 के दिसंबर महीने में रांची यूनिवर्सिटी में तैयारी की गई थी. एकेडमिक काउंसिल की ओर से इस प्रस्ताव को तैयार कर अनुमति भी दे दी गई थी. इसके बाद इस कोर्स के संचालन के लिए कुल 13 पद सृजित किए गए हैं. लेकिन लगभग 16 महीने के बाद भी यह कोर्स शुरू नहीं किया जा सका है. इस मामले को लेकर यूनिवर्सिटी प्रबंधन से बात की गई तो, उनका कहना है कि इससे संबंधित प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. अब तक सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है. इसी वजह से 16 महीने से यह कोर्स धरातल पर नहीं उतारा जा सका है .

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कोर्स को लेकर अलग विभाग बनाने की योजना: इस कोर्स को शुरू करने के लिए अलग विभाग बनाने की बात भी कही गई थी. मोरहाबादी स्थित लीगल स्टडीज सेंटर कैंपस में भवन बनाने की बात हुई थी. इसके लिए कैंपस में जगह चिन्हित किया गया था. इतना कुछ किए जाने के बाद इस प्रस्ताव को उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से हरी झंडी नहीं मिल पाई है. फिलहाल, रांची विश्वविद्यालय नैक ग्रेडिंग के लिए तैयारियों में जुटा है. इसे लेकर लगातार एकेडमिक काउंसिल के साथ-साथ सिंडिकेट की बैठक भी हो रही है. जल्द ही विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों को नैक ग्रेडिंग के लिए केंद्रीय टीम आने वाली है. जिसकी तैयारी विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से की जा रही है. इस संबंध में पूरी जानकारी रांची विश्वविद्यालय की कुलपति कामिनी कुमार ने दी है.

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