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असंवैधानिक थी डिलिस्टिंग महारैली, 4 फरवरी को आदिवासी एकता महारैली कर दिया जाएगा जवाबः बंधु तिर्की

Tribal Unity Maharally in ranchi. 4 फरवरी को रांची में आदिवासी एकता महारैली का आयोजन हो रहा है. इसकी तैयारियों को लेकर बैठक की गई. इसके साथ ही पिछले दिनों रांची में हुई डिलिस्टिंग महारैली को असंवैधानिक बताया गया.

Tribal Unity Maharally will be organized in Ranchi on 4th February
Tribal Unity Maharally will be organized in Ranchi on 4th February
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 6, 2024, 7:52 AM IST

Updated : Jan 6, 2024, 7:58 AM IST

आदिवासी एकता महारैली की जानकारी देते बंधु तिर्की

रांची: 24 दिसंबर 2023 को रांची के मोरहाबादी मैदान में धर्म बदलने वाले आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का लाभ लेने से रोकने की मांग के साथ डिलिस्टिंग रैली जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले की गई थी. लोकसभा में डिप्टी स्पीकर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री करिया मुंडा के संरक्षण में यह महारैली हुई थी. राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने डिलिस्टिंग महारैली को आरएसएस-भाजपा की चाल बताते हुए इसके जवाब में आदिवासी एकता महारैली करने की घोषणा की है.

बंधु तिर्की ने रांची के मोरहाबादी स्थित संगम गार्डन में महारैली की तैयारियों को लेकर बैठक की. इसमें अलग अलग सामाजिक संगठनों के साथ साथ कुछेक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. बंधु तिर्की ने कहा कि 4 फरवरी 2024 को होने वाली आदिवासी एकता महारैली कांग्रेस के बैनर तले नहीं बल्कि झारखंड जनाधिकार मंच के बैनर तले आयोजित की जाएगी. उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर 2023 की डिलिस्टिंग महारैली जहां जनजातीय समाज को कमजोर करने के लिए थी, उस महारैली में न सरना धर्म की बात हुई और न ही आदिवासियों के हक और अधिकार की. सिर्फ भाजपा और आरएसएस के इशारे पर जनजातीय सुरक्षा मंच के माध्यम से समाज को कमजोर करने की कोशिश की गई. बंधु तिर्की ने कहा कि 4 फरवरी की महारैली, आदिवासी समाज के जन मुद्दों को लेकर होगी.

असंवैधानिक थी 24 दिसम्बर की डिलिस्टिंग रैलीः पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि 24 दिसंबर 2023 को मोरहाबादी में जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले की गई डिलिस्टिंग महारैली को हम और सभी जनजाति समाज असंवैधानिक मानता है. इस महारैली में आदिवासियों के जन मुद्दा, सरना धर्म कोड, तीन लाख से अधिक आदिवासी आरक्षित पदों के बैकलॉग, जनजातीय समाज के जमीन संबंधी मामले, पांचवी अनुसूची, फॉरेस्ट राइट जैसे मामलों पर डिलिस्टिंग रैली में एक शब्द भी नहीं बोला गया. सिर्फ सनातनी आदिवासी, धर्म परिवर्तन, ईसाई और मुस्लिम बने आदिवासियों को आरक्षण का लाभ लेने से वंचित कर देने के लिए जनजातीय लिस्ट से बाहर कर देने की मांग कर आदिवासी समाज के बीच जहर घोलने की बात हुई, जिसका पूरा जनजाति समाज विरोध करता है.

आदिवासी एकता महारैली की जानकारी देते बंधु तिर्की

रांची: 24 दिसंबर 2023 को रांची के मोरहाबादी मैदान में धर्म बदलने वाले आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का लाभ लेने से रोकने की मांग के साथ डिलिस्टिंग रैली जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले की गई थी. लोकसभा में डिप्टी स्पीकर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री करिया मुंडा के संरक्षण में यह महारैली हुई थी. राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने डिलिस्टिंग महारैली को आरएसएस-भाजपा की चाल बताते हुए इसके जवाब में आदिवासी एकता महारैली करने की घोषणा की है.

बंधु तिर्की ने रांची के मोरहाबादी स्थित संगम गार्डन में महारैली की तैयारियों को लेकर बैठक की. इसमें अलग अलग सामाजिक संगठनों के साथ साथ कुछेक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. बंधु तिर्की ने कहा कि 4 फरवरी 2024 को होने वाली आदिवासी एकता महारैली कांग्रेस के बैनर तले नहीं बल्कि झारखंड जनाधिकार मंच के बैनर तले आयोजित की जाएगी. उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर 2023 की डिलिस्टिंग महारैली जहां जनजातीय समाज को कमजोर करने के लिए थी, उस महारैली में न सरना धर्म की बात हुई और न ही आदिवासियों के हक और अधिकार की. सिर्फ भाजपा और आरएसएस के इशारे पर जनजातीय सुरक्षा मंच के माध्यम से समाज को कमजोर करने की कोशिश की गई. बंधु तिर्की ने कहा कि 4 फरवरी की महारैली, आदिवासी समाज के जन मुद्दों को लेकर होगी.

असंवैधानिक थी 24 दिसम्बर की डिलिस्टिंग रैलीः पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि 24 दिसंबर 2023 को मोरहाबादी में जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले की गई डिलिस्टिंग महारैली को हम और सभी जनजाति समाज असंवैधानिक मानता है. इस महारैली में आदिवासियों के जन मुद्दा, सरना धर्म कोड, तीन लाख से अधिक आदिवासी आरक्षित पदों के बैकलॉग, जनजातीय समाज के जमीन संबंधी मामले, पांचवी अनुसूची, फॉरेस्ट राइट जैसे मामलों पर डिलिस्टिंग रैली में एक शब्द भी नहीं बोला गया. सिर्फ सनातनी आदिवासी, धर्म परिवर्तन, ईसाई और मुस्लिम बने आदिवासियों को आरक्षण का लाभ लेने से वंचित कर देने के लिए जनजातीय लिस्ट से बाहर कर देने की मांग कर आदिवासी समाज के बीच जहर घोलने की बात हुई, जिसका पूरा जनजाति समाज विरोध करता है.

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Last Updated : Jan 6, 2024, 7:58 AM IST
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