रांची: सोमवार को राज्यभर के टाना भगत और आदिवासी संगठन से जुड़े हजारों की संख्या में लोगों ने बिरसा चौक से राजभवन तक पैदल मार्च किया. लोगों का कहना है कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है. यहां पर आदिवासी और टाना भगत के लोगों को पांचवीं अनुसूची का अधिकार मिलना चाहिए. राजभवन पहुंचने के बाद अपनी मांगों को लेकर टाना भगत और आदिवासी समुदाय के लोग राज्यपाल से मुलाकात करना चाहते थे. इसको देखते हुए प्रशासन ने राजभवन पहुंचने से पहले ही गेट पर सभी प्रदर्शनकारियों को रोक दिया.
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12 जिलों को अनुसूचित जिला घोषित करने की मांग
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे धनेश्वर टोप्पो ने बताया कि झारखंड आदिवासी राज्य है और यहां पर शासन चलाने का अधिकार भी आदिवासियों को होना चाहिए जिसका जिक्र संविधान की पांचवीं अनुसूची में भी किया गया है. लेकिन इसके बावजूद भी झारखंड के आदिवासियों को अधिकार नहीं मिल पा रहा है. झारखंड के 12 जिलों को पूर्ण रूप से और तीन जिलों को आंशिक रूप से अनुसूचित जिला घोषित किया जाए क्योंकि इन सभी जिलों में ज्यादातर आदिवासी समाज के लोग रहते हैं.
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि झारखंड में पांचवीं अनुसूची जल्द से जल्द धरातल पर लागू हो और सरकार की वर्तमान व्यवस्था को राज्य के 15 जिलों में समाप्त किया जाए. टाना भगत और आदिवासी संगठन के लोग राजभवन के सामने काफी देर तक डटे रहे और राज्यपाल से मिलने की मांग करते रहे. आक्रोशित लोगों ने कुछ देर के लिए कचहरी रोड को भी जाम कर दिया था जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें समझा बुझाकर जाम हटाया.
क्या है पांचवीं अनुसूची?
भारत के संविधान में पांचवीं अनुसूची के जरिये आदिवासी क्षेत्रों (अनुसूचित क्षेत्रों) के तहत एक ऐसी व्यवस्था बनाने की पहल की गई है, जिनसे आदिवासी/आदिम जनजाति समुदायों के साथ होते रहे अन्याय और उपेक्षा को खत्म किया जा सके. उनकी अस्मिता की सुरक्षा के साथ वे अपनी व्यवस्थाएं भी बरकरार रख सकें.