रांचीः त्योहरों और शादी में भारतीय परंपरा में मिठाईयों का विशेष चलन होता है. इस अवसर पर लोग एक-दूसरे का मुंह मिठाईयों से ही मीठा कराते हैं. इसलिए त्योहारों और शादी-विवाह के अवसर पर मिठाईयां की जमकर बिक्री होती है, लेकिन जो मिठाईयां हम लोग इस्तेमाल करते हैं वह हानिकारक या खराब तो नहीं हैं, इसकी जानकारी ग्राहक को नहीं होती है और जाने-अनजाने में मिलावटी, केमिकलयुक्त और बासी मिठाईयां खरीद लेते हैं, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक हैं.
नियम के अनुसार शोकेस में मिठाई निर्माण की तिथि डिस्प्ले करना अनिवार्यः इस पर रोक लगाने के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने जून 2020 से यह जरूरी कर दिया था कि खुदरा मिठाई विक्रेता भी शोकेस में हर मिठाई के साथ इसका डिस्प्ले करेंगे कि वह मिठाई कब बनी है और उपयोग के लिए कब तक ठीक रहेगी, लेकिन झारखंड के दूर-दराज इलाकों की बात छोड़िए राजधानी रांची में ही ज्यादातर मिठाई दुकानदार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के नियमों का पालन नहीं करते हैं.
नहीं हो रहा FSSAI के नियमों का पालनः मिठाई दुकान पर शोकेस में सजायी गई मिठाईयों की कीमत तो दुकानदार डिस्प्ले करते हैं, लेकिन यह कब बनी है यह नहीं लिखा होता है. कई मिठाइयों में तो ऐसी अस्पष्ट जानकारी लिखी होती है उससे पता ही नहीं चलता कि मिठाई की निर्माण तिथि क्या है. कई मिठाइयों में आज की बनी लिख दी जाती है, जो हर दिन के लिए आज ही होती है.
सिविल सर्जन ने किया सावधानः इस संबंध में रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने कहा कि यह सही है कि रांची के कई मिठाई दुकानों में हानिकारक और मिलावटी मिठाईयों की बिक्री होती है. उन्होंने कहा कि पहले सिविल सर्जन FSSAI के गाइडलाइन का पालन कराने वाला नोडल अधिकारी होते थे, लेकिन अब फूड सेफ्टी का नोडल अधिकारी सिविल सर्जन की जगह प्रशासनिक अधिकारी एसडीओ होते हैं.
राज्य खाद्य विश्लेषक ने कहा, मैं इम्प्लीमेंटेशन अफसर नहींः राजधानी रांची सहित राज्य भर में छोटी-बड़ी मिठाई दुकानों में FSSAI के नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है और कोई कार्रवाई नहीं होती है. इस संबंध में राज्य के खाद्य विश्लेषक चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि हम इंप्लीमेंटिंग एजेंसी नहीं हैं. यह शासन को तय करना है कि फूड सेफ्टी अथॉरिटी की गाइडलाइन का कैसे पालन हो. उन्होंने कहा कि लैब में जो भी मिठाईयां जांच के लिए आती हैं उसमें से कई में मिलावट, खतरनाक रंग होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं.