रांचीः नियोजन नीति को लेकर आंदोलन चला रहे छात्रों के द्वारा आज यानी गुरुवार को विधानसभा का घेराव किया जाएगा. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से वार्ता होने के बाद पिछले दिनों छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने 20 मार्च को होने वाले विधानसभा घेराव को स्थगित कर दिया था. लेकिन एक बार फिर बजट सत्र के अंतिम दिन यानी आज विधानसभा का घेराव करने का ऐलान किया गया है.
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सरकार ने नहीं उठाया कदम नाराज छात्रों का मानना है कि जिस तरह से राज्य सरकार 60-40 नियोजन नीति लेकर आई है. उससे स्थानीय छात्रों की हकमारी होगी. बाहरी छात्रों का प्रवेश राज्य में होगा. जिसे कहीं ना कहीं यहां के स्थानीय छात्रों को मौका नहीं मिल पाएगा. झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन के नेता देवेंद्र नाथ महतो ने कहा है कि राज्य में पिछले 3 महीनों से नियोजन नीति को लेकर आंदोलन जारी है. बीते 19 मार्च को झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन के एक छात्र डेलिगेशन ने सरकार के मंत्री से 60-40 नियोजन नीति वापस लेने सहित 5 सूत्री मांग रखी थी. इस दौरान आश्वासन भी मिला था. इसके बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया.
विधानसभा मार्चः नियोजन नीति को जबरन थोपने की कोशिश की गई है. ऐसे में झारखंडी छात्रों में भारी आक्रोश है. छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो के नेतृत्व में छात्र पुराने विधानसभा यानी शहीद मैदान से पैदल मार्च करते हुए नए विधानसभा की ओर आज दोपहर 12 बजे मार्च करेंगे. जिसमें राज्य भर से हजारों छात्रों का जुटान होने की संभावना है. छात्रों ने इस आंदोलन को विधानसभा महाघेराव का नाम देते हुए विभिन्न छात्र संघों, शिक्षक संघों और कोचिंग के संचालकों से इसमें सहयोग करने की अपील की है.
विज्ञापन निकलते ही छात्रों का आंदोलन हुआ तेजः 60-40 नियोजन नीति के आधार पर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा विज्ञापन निकलना प्रारंभ हो गया है. जिसके तहत पीजीटी शिक्षकों की भर्ती के साथ-साथ विभिन्न विभागों के खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने नए सिरे से नियोजन नीति रद्द होने के कारण 1 दर्जन से अधिक रद्द हुए विज्ञापनों को फिर से जारी किया है. जिसके तहत आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई है. इधर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा विज्ञापन 60-40 नियोजन नीति के आधार पर जारी होते ही झारखंड के छात्रों में एक बार फिर नाराजगी बढ़ गई है. यही वजह है कि ट्विटर पर लाखों छात्रों ने अपने गुस्से का इजहार कर सरकार को चेताने का काम किया था. उसके बाद अब विधानसभा का घेराव कर सरकार से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं.