रांचीः दिनेश गोप यानी आतंक का दूसरा नाम, झारखंड के खूंटी, रांची, सिमडेगा, चाईबासा, गुमला, लोहरदगा जैसे जिलों के लिए दिनेश गोप दहशत का दूसरा रूप था. लेकिन अब इस आतंक को झारखंड पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों की मदद से हथकड़ी में जकड़ दिया है. दिनेश को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन उसके आतंक की कहानी कितनी बड़ी है, जिसे लोग भूलना भी चाहें तो भूल नहीं पाएंगे.
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खूंटी का है रहने वाला, भाई की मौत के बाद बना लिया संगठनः झारखंड के नक्सल प्रभावित जिले खूंटी के जरियागढ़ थाना क्षेत्र में एक गांव है लप्पा मोहराटोली, खूंटी के छोटे से गांव की एक अलग पहचान इसलिए है क्योंकि आतंक का दूसरा नाम दिनेश गोप इसी गांव का रहने वाला है. गांव के लोग बताते हैं कि एक समय दिनेश भारतीय सेना में जाने की तैयारी कर रहा था. इसके लिए उसने शारीरिक परीक्षा सहित दूसरी मेरिट लिस्ट को भी कंप्लीट किया था. कहा यह भी जाता है कि सेना के द्वारा पत्र भी दिनेश गोप को भेजा गया था लेकिन वह उसे मिला ही नहीं. क्योंकि उसी के गांव के कुछ दबंगों ने उस लेटर को दिनेश गोप तक पहुंचने ही नहीं दिया.
जब इसकी जानकारी दिनेश गोप के भाई सुरेश को हुई तो वह दबंगों का विरोध करने लगा. दबंगों के विरोध की वजह से वह उनके निशाने पर आ गया और दबंगों से बचने के लिए वह नक्सलियो के साथ हो गया, लेकिन साल 2000 में दिनेश का भाई सुरेश पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारा गया. सुरेश के मारे जाने के बाद दिनेश गोमती छोड़कर भाग गया. लेकिन जब वह वापस लौटा तब वही सीधा सादा दिनेश गोप नहीं था. वह उग्रवादी संगठन जेएलटी के साथ लौटा. जेएलटी का नाम ही आगे चलकर पीएलएफआई हुआ.
मसीह चरण पूर्ति से जुड़कर बना ताकतवरः कुछ पुलिस अधिकारी यह बताते हैं कि कभी भाकपा माओवादियों के साथ कमांडर के रूप में काम करने वाले मसीह चरण पूर्ति ने साल 2001 में संगठन से अलग हटकर खुद का उग्रवादी संगठन बना लिया. धीरे-धीरे इस संगठन का वर्चस्व बढ़ता चला गया. दिनेश गोप के संगठन के बारे में जब से मसीह चरण पूर्ति को जानकारी मिली तो उसने उसे अपने साथ मिला लिया. जिसके बाद साल 2007 में संगठन का नाम पीएलएफआई हो गया. उसके बाद शुरू हुआ इस संगठन का आतंक. खूंटी से शुरू होकर इस संगठन का वर्चस्व गुमला, सिमडेगा, चाईबासा, लोहरदगा सहित राजधानी तक भी पहुंच गया. आतंक इतना बड़ा था कि कोई भी कारोबारी हो या फिर ठेकेदार बिना इस संगठन को पैसे दिए इस इलाके में कोई भी काम नहीं कर सकता था. धीरे-धीरे इस संगठन ने अकूत संपत्ति इकट्ठा की. हालांकि इस दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ में संगठन के कई बड़े और इनामी उग्रवादी मारे गए लेकिन दिनेश बचता रहा.
लोगों को जोड़ने के लिए स्कूल से लेकर धर्मशाला तक बनाएः खौफ के बल पर जब दिनेश ने अकूत संपत्ति जमा की तब उसने ग्रामीणों को अपने पक्ष में जोड़ने के लिए काम करना शुरू कर दिया, ताकि उसका वर्चस्व हमेशा इलाके में बना रहे. इसके लिए उसने कई निशुल्क स्कूल खोला, धर्मशालाएं बनाई. यहां तक की गरीब बेटियो की शादी के लिए भी वह दिल खोलकर पैसा लुटाने लगा. दबंगों के द्वारा हड़पी गई गरीबों की जमीन दिलवाने के लिए वह पंचायत भी बिठाने लगा. इस तरह से दिनेश गोप ने एक बड़ा खौफ का साम्राज्य तैयार कर लिया, जिसके बल पर वह लगातार पुलिस को भी चकमा देता रहा.