रांचीः झारखंड में होमगार्ड जवानों की स्थिति बेहद दयनीय है ड्यूटी नहीं मिलने की वजह से कई होमगार्ड के जवानों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. जिन होमगार्ड जवानों को ड्यूटी नहीं मिलती है, वह अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजदूरी करने को विवश हैं. पुलिस के समान काम के लिए उनके समान वेतन और भत्ते की मांग को लेकर कई सालों से होमगार्ड के जवान आंदोलन कर रहे हैं. सरकारें आती-जाती रहीं पर होमगार्ड की मांगे नहीं मानी गई.
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18673 होमगार्ड्स जवानों में से 9000 को ही मिलती है ड्यूटी
वर्तमान में झारखंड में कुल 18673 होमगार्ड के जवान हैं, जिनमें से वर्तमान में मात्र 9000 ही ड्यूटी कर रहे हैं. एक दिन की ड्यूटी के एवज में इन्हें 500 रुपए मिलते हैं. जिस दिन ड्यूटी नहीं मिली उस दिन उन्हें किसी भी प्रकार के मानदेय का भुगतान नहीं होता है. होमगार्ड के 9000 वैसे जवान जिन्हें ड्यूटी नहीं मिलती है, उनकी स्थिति काफी दयनीय है, मजबूरी में उन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी तक करनी पड़ती है.
ड्यूटी के लिए देना पड़ता है रिश्वत
होमगार्ड जवानों की ड्यूटी का निर्धारण जिला समादेष्टा की ओर से किया जाता है. होमगार्ड जवानों का आरोप है कि जिला समादेष्टा रिश्वत लेकर जवानों को ड्यूटी देते हैं, कोई जवान मजबूरी में ड्यूटी पाने के लिए रिश्वत भी देते हैं. वहीं तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा के समय आदेश जारी हुआ था कि होमगार्ड्स को सिर्फ विधि-व्यवस्था के लिए लगाया जाए. मजबूरी में होमगार्ड के जवानों को अधिकारियों के घर पर खाना बनाने से लेकर साफ-सफाई तक का काम करना पड़ता है.
होमगार्ड को ड्यूटी देने में रोस्टर का नहीं हो रहा पालन
होमगार्ड जवानों को ड्यूटी देने में रोस्टर का पालन भी नहीं होता है. होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव राजीव कुमार तिवारी ने इस मामले में डीजीपी से शिकायत भी की है. शिकायत में बताया गया है कि रांची, साहेबगंज, दुमका समेत कई जिलों में सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ कर अधिकारी अपने चहेते होमगार्ड जवानों को ड्यूटी दे रहे हैं.
बिहार की तर्ज पर सुविधा देने की मांग
होमगार्ड्स की तरफ से यह मांग की गई थी कि उन्हें भी बिहार सरकार में होमगार्ड्स को मिलने वाले सभी सुविधाएं दी जाए. विधानसभा सत्र में यह मांग भी उठा था, पर इस सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि बिहार सरकार की तर्ज पर होमगार्ड जवानों को भविष्य निधि योजना, कर्मचारी पेंशन योजना, कर्मचारी निक्षेप सहबद्ध बीमा योजना का लाभ देने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है. वहीं विधानसभा को भेजे गए जवाब में बताया गया है कि होमगार्ड जवानों को पुलिसकर्मियों के समान वेतन देने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था और सरकार इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय गई थी, जहां मामला विचाराधीन है. बिहार में होमगार्ड जवानों को कर्तव्य भत्ता के रूप में रोजना 774 रुपए का भुगतान होता है. वहीं झारखंड में होमगार्ड जवानों को 1 अप्रैल 2019 से महज 500 रुपए कर्तव्य भत्ता का भुगतान प्रतिदिन होता है.
कोर्ट के आदेश के बाद भी नही मिला पुलिस के समान वेतन
राज्य में तैनात होमगार्ड जवानों को पुलिस के समान काम के लिए उनके समान वेतन और भत्ता फिलहाल नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार के गृह विभाग के संयुक्त सचिव सतीश कुमार की ओर से इस संबंध में होमगार्ड और अग्निशमन सेवा के डीजी एमवी राव से पत्राचार किया गया था. सरकार की ओर से होमगार्ड डीजी को भेजे गए पत्र में जिक्र है कि होमगार्ड जवान अजय प्रसाद बनाम राज्य सरकार के मामले में हाई कोर्ट ने होमगार्ड जवानों को पुलिस के समान काम के कारण समान वेतन और भत्ता देने का आदेश जारी किया था. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ तत्कालीन रघुवर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की था, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही अब इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा.
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मजबूरी में होमगार्ड के जवान बन रहे हैं नक्सली
होमगार्ड जवानों को ड्यूटी नहीं मिलने के वजह से झारखंड पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. कुछ होमगार्ड के जवानों से नक्सली संगठनों से संपर्क किया था और उनसे बेहतर वेतन पाने के लिए संगठन ज्वाइन करने का न्योता भी दिया. नक्सलियों से प्रभावित होकर गुमला के एक होमगार्ड जवान ने संगठन ज्वाइन ही कर लिया, बड़ी मुश्किल से उसे नक्सलियों के चंगुल से आजाद करवाया गया.
पुलिस के लिए खड़ी हो सकती है बड़ी मुसीबत
गरीबी और भुखमरी की मार झेल रहे होमगार्ड के जवान अगर नक्सली संगठनों से हाथ मिला लेते हैं तो पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती आ जाएगी. क्योंकि होमगार्ड के जवान पूरी तरह से हथियार चलाने में ट्रेंड हैं. ऐसे में अगर वो नक्सली संगठन में शामिल होते हैं तो पुलिस के लिए ही खतरा बनेंगे
विधानसभा सत्र के दौरान आंदोलन की तैयारी
झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के रांची जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार के अनुसार सरकार की ओर से कई बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद उनकी मांगें पूरी नहीं की गई. इस वजह से वो लोग आंदोलन की रणनीति तैयार कर चुके हैं. 1 मार्च को झारखंड के सभी जिला के डीसी कार्यालय के सामने होमगार्ड के जवान धरना देंगे. इसके बाद भी उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 8 मार्च को वो सब राजधानी रांची में इकट्ठा होंगे और विधानसभा का घेराव करेंगे.