रांचीः डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के गठन के बाद से ही यहां शिक्षकों की भारी कमी है. पद सृजित होने के बावजूद इस विश्वविद्यालय को स्थाई रूप से शिक्षक मिले ही नहीं हैं. ढाई साल से लगातार जेपीएससी को विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है.
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जेपीएससी को किया जा रहा पत्राचार
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में स्थायी शिक्षकों की घोर कमी है. शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अनुबंध पर अधिकतर विषयों पर शिक्षकों की नियुक्ति की है. उच्च शिक्षा विभाग के साथ-साथ विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से मामले को लेकर जेपीएससी को भी अवगत कराया गया है. पिछले कई वर्षों से जेपीएससी को शिक्षा विभाग की ओर से पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और लगातार इसका खामियाजा विश्वविद्यालय प्रबंधन को भुगतना पड़ रहा है.
अपने स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल
उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से रांची विश्वविद्यालय से अलग कर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का गठन किया गया था. जिस उद्देश्य से इस विश्वविद्यालय का गठन हुआ था. उस उद्देश्य को उच्च शिक्षा विभाग की ओर से पूरा नहीं किया जा रहा है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपने स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं.
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टीमवर्क से हो रहा है विश्वविद्यालय में काम
टीम वर्क के जरिए विद्यार्थियों को तमाम तरह के पठन-पाठन को लेकर सुविधाएं दी जा रही हैं. अपने निजी सोर्स से विश्वविद्यालय में अनुबंध पर ही शिक्षकों को रखा जा रहा है और शिक्षकों की कमी को दूर किया जा रहा है. मामले को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति एसएन मुंडा ने कहा कि बार-बार जेपीएससी को इस संबंध में पत्र लिखा गया, लेकिन जेपीएससी की ओर से कोई ध्यान ही नहीं दिया गया. इस वजह से अनुबंध पर शिक्षकों को रखा जा रहा है. जबकि इस विश्वविद्यालय में स्थाई शिक्षकों के 148 पद स्वीकृत हैं. इसमें 73 शिक्षक ही कार्यरत हैं.
शिक्षक हो रहे हैं रिटायर
यहां कई शिक्षक रिटायर हो रहे हैं, लेकिन स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर न तो जेपीएससी को ध्यान है और न ही उच्च शिक्षा विभाग को ही. यह मामला काफी गंभीर है. उच्च शिक्षा हासिल करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है.