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कोरोना के नए स्ट्रेन की पहचान के लिए सीक्वेंसिंग मशीन है जरूरी, झारखंड में अब तक नहीं हुई व्यवस्था

झारखंड सहित पूरे देश में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. दूसरी लहर का कहर पहले से ज्यादा खतरनाक है. इसके बावजूद नए स्ट्रेन की जानकारी के लिए झारखंड के स्वास्थ्य विभाग को दूसरे राज्यों के भरोसे रहना पड़ रहा है, क्योंकि झारखंड में सीक्वेंसिंग मशीन की व्यवस्था नहीं है.

Sequencing machine not yet arranged in rims
कोरोना के नए स्ट्रेन को पहचाने के लिए सीक्वेंसिंग मशीन जरूरी
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Published : Apr 12, 2021, 5:31 PM IST

Updated : Apr 13, 2021, 7:05 PM IST

रांची: राजधानी में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. खासकर दूसरी लहर का कहर काफी खतरनाक और भयावह होता जा रहा है. डॉक्टरों की मानें तो कोरोना के नए स्ट्रेन लोगों की जान ले रही है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास वर्तमान में नए स्ट्रेन की जानकारी के लिए कोई साधन नहीं है. नए स्ट्रेन की जानकारी के लिए झारखंड के स्वास्थ्य विभाग को दूसरे राज्य के भरोसे रहना पड़ रहा है.

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ये भी पढ़ें- निजी अस्पतालों को 50 प्रतिशत कोविड बेड आरक्षित करने का निर्देश, आपात बैठक के बाद फैसला

मशीन आने से माइक्रोबायोलॉजी विभाग होगा मजबूत

नए स्ट्रेन की जांच के लिए झारखंड से सैंपलों को ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर भेजना पड़ रहा है, जहां पता चलता है कि कोरोना का कौन-सा स्ट्रेन फिलहाल झारखंड में हावी है. उसी के हिसाब से स्वास्थ्य विभाग अपने डॉक्टरों को विशेष दिशा-निर्देश देते हैं और इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं. सीक्वेंसिंग मशीन के आने से माइक्रोबायोलॉजी विभाग और भी मजबूत हो जाएगा. इसमें कोरोना के सैंपलों की जांच से यह पता चल पाएगा कि कोरोना का स्ट्रेन किस प्रकार का है और उस स्ट्रेन के मरीजों को किस तरह से इलाज करना है.

कोरोना के नए रूप से मृत्यु दर में लगातार बढ़ोतरी

माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार बताते हैं कि सीक्वेंसिंग मशीन के लगने से कोरोना के बदलते रूप का पता चल पाएगा. साथ ही साथ कोरोना की मारक क्षमता की भी जानकारी मिल पाएगी. कोरोना के नए रूप से मृत्यु दर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसको लेकर डॉक्टर डीके सिंह बताते हैं कि अगर सीक्वेंसिंग मशीन रिम्स में लग जाती है तो इससे कोरोना के खतरनाक रूपों का पता चल पाएगा और उस हिसाब से यहां के डॉक्टर मरीजों का इलाज कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से सीक्वेंसिंग मशीन लगाने की बात चल रही है, पर अभी तक कार्य प्रक्रिया में है. उम्मीद है कि जल्द से जल्द सीक्वेंसिंग मशीन रिम्स के मिक्रोबियोलॉजी विभाग में लग जाएगी.

ये भी पढ़ें-जमशेदपुरः ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रहा है कोरोना संक्रमण, जनप्रतिनिधि कर रहे हैं लोगों को जागरूक

सीक्वेंसिंग मशान लगाने की चल रही है तैयारी

कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस मशीन के लगने से जांच होना आसान हो जाएगा. कोरोना के नए स्ट्रेन की जानकारी के लिए झारखंड को दूसरे राज्य के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. वर्तमान में इस जांच के लिए झारखंड को पड़ोसी राज्य के भरोसे रहना पड़ रहा है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द से जल्द इस मशीन लगा दिया जाएगा. सरकार इसको लेकर काम कर रही है. यह बताया जा रहा है कि अप्रैल तक सीक्वेंसिंग मशीन रिम्स में लगा दिया जाएगा, अभी तक इसको लेकर कुछ भी पहल नहीं की जा रही है. अब देखने वाली बात होगी कि नए स्ट्रेन की जांच करने वाली सीक्वेंसिंग मशीन को राज्य सरकार रिम्स में कब तक लगा पाती है.

रांची: राजधानी में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. खासकर दूसरी लहर का कहर काफी खतरनाक और भयावह होता जा रहा है. डॉक्टरों की मानें तो कोरोना के नए स्ट्रेन लोगों की जान ले रही है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास वर्तमान में नए स्ट्रेन की जानकारी के लिए कोई साधन नहीं है. नए स्ट्रेन की जानकारी के लिए झारखंड के स्वास्थ्य विभाग को दूसरे राज्य के भरोसे रहना पड़ रहा है.

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मशीन आने से माइक्रोबायोलॉजी विभाग होगा मजबूत

नए स्ट्रेन की जांच के लिए झारखंड से सैंपलों को ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर भेजना पड़ रहा है, जहां पता चलता है कि कोरोना का कौन-सा स्ट्रेन फिलहाल झारखंड में हावी है. उसी के हिसाब से स्वास्थ्य विभाग अपने डॉक्टरों को विशेष दिशा-निर्देश देते हैं और इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं. सीक्वेंसिंग मशीन के आने से माइक्रोबायोलॉजी विभाग और भी मजबूत हो जाएगा. इसमें कोरोना के सैंपलों की जांच से यह पता चल पाएगा कि कोरोना का स्ट्रेन किस प्रकार का है और उस स्ट्रेन के मरीजों को किस तरह से इलाज करना है.

कोरोना के नए रूप से मृत्यु दर में लगातार बढ़ोतरी

माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार बताते हैं कि सीक्वेंसिंग मशीन के लगने से कोरोना के बदलते रूप का पता चल पाएगा. साथ ही साथ कोरोना की मारक क्षमता की भी जानकारी मिल पाएगी. कोरोना के नए रूप से मृत्यु दर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसको लेकर डॉक्टर डीके सिंह बताते हैं कि अगर सीक्वेंसिंग मशीन रिम्स में लग जाती है तो इससे कोरोना के खतरनाक रूपों का पता चल पाएगा और उस हिसाब से यहां के डॉक्टर मरीजों का इलाज कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से सीक्वेंसिंग मशीन लगाने की बात चल रही है, पर अभी तक कार्य प्रक्रिया में है. उम्मीद है कि जल्द से जल्द सीक्वेंसिंग मशीन रिम्स के मिक्रोबियोलॉजी विभाग में लग जाएगी.

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सीक्वेंसिंग मशान लगाने की चल रही है तैयारी

कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस मशीन के लगने से जांच होना आसान हो जाएगा. कोरोना के नए स्ट्रेन की जानकारी के लिए झारखंड को दूसरे राज्य के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. वर्तमान में इस जांच के लिए झारखंड को पड़ोसी राज्य के भरोसे रहना पड़ रहा है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द से जल्द इस मशीन लगा दिया जाएगा. सरकार इसको लेकर काम कर रही है. यह बताया जा रहा है कि अप्रैल तक सीक्वेंसिंग मशीन रिम्स में लगा दिया जाएगा, अभी तक इसको लेकर कुछ भी पहल नहीं की जा रही है. अब देखने वाली बात होगी कि नए स्ट्रेन की जांच करने वाली सीक्वेंसिंग मशीन को राज्य सरकार रिम्स में कब तक लगा पाती है.

Last Updated : Apr 13, 2021, 7:05 PM IST
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