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PESA Rule 2022: पेसा रूल 2022 को सालखन मुर्मू ने बताया असंवैधानिक, कहा- संशोधन नहीं करेगी झारखंड सरकार तो जाएंगे हाईकोर्ट

झारखंड सरकार के पेसा रूल 2022 को सालखन मुर्मू ने असंवैधानिक करार दिया है. मुर्मू ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसमें सुधार की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर जरूरी सुधार नहीं की जाएगी तो मामले को हाईकोर्ट लेकर जाएंगे. Demand for amendment in PESA Rule 2022.

Salkhan Murmu
Salkhan Murmu
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 9, 2023, 10:02 PM IST

रांची: झारखंड सरकार द्वारा तैयार की गई पेसा रूल 2022 को लेकर सियासत जारी है. लगातार इस मुद्दे पर नेताओं के बयान आ रहे हैं. इसी कड़ी में पूर्व सांसद और आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर झारखंड सरकार के द्वारा तैयार किए गए पेसा रूल -2022 पर आपत्ति जताई है.

ये भी पढ़ें- पेसा रूल 2022 का सच! क्या आदिवासियों के साथ छलावा कर रही हेमंत सरकार, HC में हक की लड़ाई लड़ रहे विक्टर मालटो की ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत

मुख्य सचिव को लिखे पत्र में सालखन मुर्मू ने कहा है कि पेसा रूल में ग्राम सभाओं को शक्तिशाली और अधिकार संपन्न बनाने का प्रावधान किया गया है जो स्वागतयोग्य है मगर पारंपरिक प्रधान ग्राम सभा की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे यह असंवैधानिक प्रतीत होता है. क्योंकि पारंपरिक आदिवासी ग्राम प्रधान जैसे मानकी मुंडा, पड़हा राजा आदि जनतांत्रिक नहीं राजतांत्रिक व्यवस्था के प्रतीक हैं.

Demand for amendment in PESA Rule 2022
सालखन मुर्मू का मुख्य सचिव को पत्र
पारंपरिक ग्राम प्रधान की जगह जनतांत्रिक ग्राम प्रधान की हो व्यवस्था: मुख्य सचिव को लिखे पत्र में आदिवासी सेंगल अभियान ने राज्य सरकार से पारंपरिक ग्राम प्रधान की जगह जनतांत्रिक ग्राम प्रधान की व्यवस्था को पेसा कानून 2022 में संशोधित करने की मांग की है. यदि ऐसा नहीं होता है तो आदिवासी सेंगेल अभियान झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर गुहार लगाने का काम करेगा.

पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आदिवासियों की बर्बादी पर अपनी वोट बैंक की राजनीति को चमकाने के लिए आए दिन किए जा रहे घोषणा पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि मानकी मुंडा, माझी परगना आदि को बाइक, घर और भत्ता देने का काम सरकार क्यों नहीं करती है. पेसा रूल 2022 के पीछे आदिवासी समाज की तरक्की का मकसद है या वोट बैंक की राजनीति को चमकने का प्रयास. उन्होंने कहा है कि संविधान की धारा 243 क और 243 ख में स्पष्ट उल्लेख है कि ग्राम सभा की शक्तियां क्या है और यह कैसे कार्य करेंगी.

रांची: झारखंड सरकार द्वारा तैयार की गई पेसा रूल 2022 को लेकर सियासत जारी है. लगातार इस मुद्दे पर नेताओं के बयान आ रहे हैं. इसी कड़ी में पूर्व सांसद और आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर झारखंड सरकार के द्वारा तैयार किए गए पेसा रूल -2022 पर आपत्ति जताई है.

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मुख्य सचिव को लिखे पत्र में सालखन मुर्मू ने कहा है कि पेसा रूल में ग्राम सभाओं को शक्तिशाली और अधिकार संपन्न बनाने का प्रावधान किया गया है जो स्वागतयोग्य है मगर पारंपरिक प्रधान ग्राम सभा की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे यह असंवैधानिक प्रतीत होता है. क्योंकि पारंपरिक आदिवासी ग्राम प्रधान जैसे मानकी मुंडा, पड़हा राजा आदि जनतांत्रिक नहीं राजतांत्रिक व्यवस्था के प्रतीक हैं.

Demand for amendment in PESA Rule 2022
सालखन मुर्मू का मुख्य सचिव को पत्र
पारंपरिक ग्राम प्रधान की जगह जनतांत्रिक ग्राम प्रधान की हो व्यवस्था: मुख्य सचिव को लिखे पत्र में आदिवासी सेंगल अभियान ने राज्य सरकार से पारंपरिक ग्राम प्रधान की जगह जनतांत्रिक ग्राम प्रधान की व्यवस्था को पेसा कानून 2022 में संशोधित करने की मांग की है. यदि ऐसा नहीं होता है तो आदिवासी सेंगेल अभियान झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर गुहार लगाने का काम करेगा.

पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आदिवासियों की बर्बादी पर अपनी वोट बैंक की राजनीति को चमकाने के लिए आए दिन किए जा रहे घोषणा पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि मानकी मुंडा, माझी परगना आदि को बाइक, घर और भत्ता देने का काम सरकार क्यों नहीं करती है. पेसा रूल 2022 के पीछे आदिवासी समाज की तरक्की का मकसद है या वोट बैंक की राजनीति को चमकने का प्रयास. उन्होंने कहा है कि संविधान की धारा 243 क और 243 ख में स्पष्ट उल्लेख है कि ग्राम सभा की शक्तियां क्या है और यह कैसे कार्य करेंगी.

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