रांचीः पारा शिक्षक से सहायक अध्यापक बने शिक्षक एक बार फिर सरकार के विरुद्ध उलगुलान करने की तैयारी में हैं. जिसके तहत शनिवार को एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की तैयारी की गई है. सहायक अध्यापक सरकार के द्वारा बनाई गई नई नीति में अभी तक कुछ प्रावधानों पर निर्णय नहीं लिए जाने से खासा नाराज हैं.
ये भी पढ़ें-स्कूली बच्चों के ड्रॉप आउट रोकने में जुटा शिक्षा विभाग, 'प्रयास' से वापस आएंगे छात्र
सहायक अध्यापकों की ये हैं मांगेंः सहायक अध्यापकों की प्रमुख मांगों में वेतनमान, इपीएफ और अनुकंपा का लाभ के अलावे आकलन परीक्षा का आयोजन जल्द से जल्द करा कर सहायक अध्यापकों को वेतन वृद्धि का लाभ देने का है. सहायक अध्यापकों ने सरकार से अप्रशिक्षित को प्रशिक्षित करने के लिए एक मौका देने और 4% मानदेय बढ़ोतरी जनवरी 2023 से सभी सहायक अध्यापकों को करने और जेटेट सहायक अध्यापकों की तरह सीटेट को भी मान्यता सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली में देकर इसे संशोधित करने की मांग की है.
मोरहाबादी मैदान में सहायक शिक्षकों का होगा महाजुटानः राज्य के सहायक अध्यापकों का महाजुटान मोरहाबादी मैदान में शनिवार को होगा. उसके बाद सुबह के 11 बजे मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए सभी सहायक अध्यापक जुलूस की शक्ल में निकलेंगे. एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के ऋषिकेश पाठक ने बताया कि सरकार से लगातार मांगें की जाती रही हैं. इससे पहले चार जून को राज्य के सभी मंत्री के आवास पर सहायक अध्यापकों ने पत्र सौंपकर सरकार से मांगों पर विचार करने का आग्रह किया था. इसके बावजूद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. विवश होकर राज्य के सभी सहायक अध्यापक आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं. इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए संयोजक विनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, दशरथ ठाकुर सहित कई सहायक अध्यापक संयुक्त मोर्चा से जुड़े नेताओं ने राज्य भर के सभी सहायक अध्यापकों को रांची पहुंच कर मुख्यमंत्री आवास का घेराव सफल करने का आह्वान किया है.
डेढ़ वर्ष बाद भी नियमावली को पूरी तरह से नहीं किया गया लागूः गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने पारा शिक्षकों से संबंधित सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2021 को पिछले वर्ष लागू करते हुए राज्य में समग्र शिक्षा अभियान के तहत 62896 पारा शिक्षकों को सहायक अध्यापक बना दिया गया था. इनके मानदेय में भी वृद्धि करने की घोषणा की गई है, जो एक जनवरी 2022 से लागू हुई. इसके अलावा पारा शिक्षकों की सेवा 60 वर्ष तक करने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा इपीएफ और अन्य सुविधाओं का लाभ देने का प्रावधान नियामावली में किया गया है, लेकिन करीब डेढ़ वर्ष बीतने के बावजूद भी यह लागू नहीं हो पाया है. ऐसे में नाराज सहायक अध्यापकों ने अब सड़क पर उतरने का फैसला लिया है.