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रांची विश्वविद्यालय के निर्णय का विरोध, अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ ने सीएम को लिखा पत्र - पीएचडी धारी बेरोजगारों की फौज

रांची विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नियमित प्राध्यापक सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति के बाद भी दो वर्ष सेवा अवधि विस्तार प्रस्ताव पारित किया गया है. इस फैसले का अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ ने विरोध किया है.

RU decision opposed by Assistant Professor Association in ranchi
रांची विश्वविद्यालय के निर्णय का विरोध
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Published : Dec 27, 2020, 10:49 PM IST

रांची: आरयू की ओर से सेवानिवृत्त होने वाले प्राध्यापकों का दो साल सेवा विस्तार करने का फैसला लिया गया है. इस फैसले का विरोध अब शुरू हो चुका है. अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ ने इसका विरोध किया है. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी पत्र लिखा गया है.


बेरोजगारों के साथ छलावा
रांची विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नियमित प्राध्यापक सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति के बाद भी 2 वर्ष सेवा अवधि विस्तार प्रस्ताव पारित किया गया है और इसे अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ ने अनुचित बताया है. संघ की मानें तो यह बेरोजगारों के साथ छलावा है, एक तरफ जहां पीएचडी धारी बेरोजगारों की फौज खड़ी है, वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत्त अध्यापकों का सेवा विस्तार किया जा रहा है और इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है.

इसे भी पढे़ं: ETV BHARAT ने दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी से की खास बातचीत, डीसी ने 2021 के कार्य योजनाओं की दी जानकारी


संविदा सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति
झारखंड सरकार के उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग के संकल्प के अनुसार यूजीसी आहर्ता और मानदंडों का पालन करते हुए कुलपति की अध्यक्षता में गठित चयन समिति ने सभी विषय के लिए घंटी आधारित संविदा सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति की है.

रांची: आरयू की ओर से सेवानिवृत्त होने वाले प्राध्यापकों का दो साल सेवा विस्तार करने का फैसला लिया गया है. इस फैसले का विरोध अब शुरू हो चुका है. अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ ने इसका विरोध किया है. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी पत्र लिखा गया है.


बेरोजगारों के साथ छलावा
रांची विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नियमित प्राध्यापक सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति के बाद भी 2 वर्ष सेवा अवधि विस्तार प्रस्ताव पारित किया गया है और इसे अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ ने अनुचित बताया है. संघ की मानें तो यह बेरोजगारों के साथ छलावा है, एक तरफ जहां पीएचडी धारी बेरोजगारों की फौज खड़ी है, वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत्त अध्यापकों का सेवा विस्तार किया जा रहा है और इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है.

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