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रिम्स में सुरक्षा पुलिस और प्रबंधन के लिए चुनौती, जानिए क्या है स्थिति

रांची रिम्स में कुख्यात अनिल शर्मा जैसे अपराधियों का इलाज चल रहा है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन और पुलिस प्रशासन को ज्यादा अलर्ट रहना पड़ता है.

Ranchi Rims
जानकारी देते रिम्स अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा
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Published : May 28, 2023, 10:21 AM IST

जानकारी देते रिम्स अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा

रांची: राजधानी के रिम्स में इन दिनों राज्य के कई ऐसे लोग इलाजरत हैं जो पुलिस प्रशासन के लिए कहीं ना कहीं चुनौती है. रिम्स के पेइंग वार्ड में झारखंड का कुख्यात अपराधी अनिल शर्मा, मनरेगा घोटाले की मुख्य आरोपी निलंबित आईएएस पूजा सिंघल, बिहार के पूर्व सांसद और हत्या के आरोपी प्रभुनाथ सिंह जैसे लोग इलाजरत है. इनके अलावा भी कई ऐसी शख्सियत हैं जो रिम्स में इलाज कराने आते हैं और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी रिम्स प्रबंधन और स्थानीय पुलिस प्रबंधन की होती है.

ये भी पढ़ें: Ranchi Land Scam: रातों के राजा 'अफसर' ने उड़ाई अधिकारियों की नींद, पैरवी की बदौलत रिम्स में बोलती थी तूती

रिम्स प्रबंधन की तरफ से बताया गया कि ऐसे लोगों को प्रशासन के लिए सुरक्षा मुहैया कराना कहीं ना कहीं मुश्किल होता है. बताया कि ये सभी सजायाफ्ता हैं और इनके इलाज के दौरान भी यह ख्याल रखा जाता है कि कानून के नियमों का पालन हो सके.

अधीक्षक की बैठक में होता निर्णय: ऐसे मरीजों को लेकर रिम्स के अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा बताते हैं कि जो भी ऐसे कैदी होते हैं. खासकर जो सजायाफ्ता है या फिर कैद के दौरान उन्हें इलाज की आवश्यकता होती है. वैसे मरीजों के लिए रिम्स के आला अधिकारी अपने स्तर से बैठक कर यह निर्णय लेते हैं कि किस मरीज को किस जगह शिफ्ट करना है. उसके बाद मेडिकल अधीक्षक के निर्देश से मरीजों को विभिन्न जगह शिफ्ट किया जाता है. उन्होंने कहा कि जो साधारण कैदी होते हैं उनके लिए तो कैदी वार्ड में इंतजाम कर दिया जाता है. साथ ही वैसे कैदियों की तैनाती में ज्यादातर पुलिसकर्मियों की जरूरत होती है, वैसे कैदियों को रिम्स के पेइंग वार्ड में शिफ्ट किया जाता है. ऐसा इसलिए कि उनके सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को भी रहने के लिए जगह मिल सके और कैदियों पर रिम्स के चारों ओर से निगरानी भी रखी जा सके.

पेइंग वार्ड कैदियों की निगरानी आसान: रिम्स के अधीक्षक डॉक्टर हीरेन बिरुवा बताते हैं कि पेइंग वार्ड रिम्स अस्पताल के सेंटर में बना हुआ है और रिम्स के चारों तरफ से इस भवन में प्रवेश किया जा सकता है. इसलिए भी कैदियों और हाई प्रोफाइल मरीजों को पेइंग वार्ड में रखने की अनुमति दी जाती है. ऐसे लोगों के इलाज के दौरान अस्पताल में सिर्फ डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन की सुरक्षा में लगे लोग ही चौकस नहीं रहते बल्कि स्थानीय पुलिस भी ऐसे लोगों की सुरक्षा और उनकी निगरानी को लेकर एक्टिव रहती है.

स्थानीय पुलिस भी रखती निगरानी: सदर क्षेत्र के डीएसपी प्रभात कुमार बरवार बताते हैं कि जब भी कोई बड़े अपराधी या फिर सजायाफ्ता कैदी को अस्पताल में इलाज कराने के लिए लाया जाता है तो उसकी निगरानी स्थानीय पुलिस के द्वारा की जाती. उन्होंने बताया कि वर्तमान में अनिल शर्मा जैसे कुख्यात अपराधी और पूजा सिंघल जैसे हाई प्रोफाइल कैदी के लिए सदर थाना की पुलिस ने भी अपने फोर्स का डिप्लॉयमेंट रिम्स में किया है. गौरतलब है कि राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान ही एक ऐसा अस्पताल है, जहां सरकारी स्तर पर वृहद सुविधा मुहैया कराई जाती है.

तबीयत खराब होने पर रिम्स ट्रांसफर: राज्य के किसी भी जेल में यदि कोई कैदी बीमार होता है तो उसे जेल के चिकित्सकों से इलाज करवाया जाता है. यदि किसी कैदी की तबीयत ज्यादा खराब होती है तो उसे तुरंत ही पुलिस की निगरानी और सुरक्षा के बीच रिम्स इमरजेंसी भेजा जाता है. रिम्स में ही कुख्यात एवं दुर्दांत अपराधियों को सुरक्षित रखने की बेहतर व्यवस्था की गई है. बावजूद भी कई बार रिम्स में इलाज करवाने के दौरान कई कैदी फरार भी हो जाते हैं.

कई कैदी पहले भी हो चुके हैं फरार: वर्तमान में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान व अस्पताल में राज्य का कुख्यात अपराधी अनिल शर्मा मौजूद है तो वहीं एक बार अनिल शर्मा भी रिम्स से फरार हो चुका है. ऐसे में उसकी निगरानी प्रशासन और रिम्स प्रबंधन के लिए एक चुनौती है. वहीं मिली जानकारी के अनुसार कुख्यात अनिल शर्मा को जल्द ही दिल्ली के एम्स रेफर किया जाएगा. रिम्स अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा ने कहा कि प्रबंधन कैदियों की सुरक्षा के लिए लगातार सजग है. इसके साथ इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि कानून के नियमों के साथ सजायाफ्ता मरीजों का इलाज हो सके.

जानकारी देते रिम्स अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा

रांची: राजधानी के रिम्स में इन दिनों राज्य के कई ऐसे लोग इलाजरत हैं जो पुलिस प्रशासन के लिए कहीं ना कहीं चुनौती है. रिम्स के पेइंग वार्ड में झारखंड का कुख्यात अपराधी अनिल शर्मा, मनरेगा घोटाले की मुख्य आरोपी निलंबित आईएएस पूजा सिंघल, बिहार के पूर्व सांसद और हत्या के आरोपी प्रभुनाथ सिंह जैसे लोग इलाजरत है. इनके अलावा भी कई ऐसी शख्सियत हैं जो रिम्स में इलाज कराने आते हैं और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी रिम्स प्रबंधन और स्थानीय पुलिस प्रबंधन की होती है.

ये भी पढ़ें: Ranchi Land Scam: रातों के राजा 'अफसर' ने उड़ाई अधिकारियों की नींद, पैरवी की बदौलत रिम्स में बोलती थी तूती

रिम्स प्रबंधन की तरफ से बताया गया कि ऐसे लोगों को प्रशासन के लिए सुरक्षा मुहैया कराना कहीं ना कहीं मुश्किल होता है. बताया कि ये सभी सजायाफ्ता हैं और इनके इलाज के दौरान भी यह ख्याल रखा जाता है कि कानून के नियमों का पालन हो सके.

अधीक्षक की बैठक में होता निर्णय: ऐसे मरीजों को लेकर रिम्स के अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा बताते हैं कि जो भी ऐसे कैदी होते हैं. खासकर जो सजायाफ्ता है या फिर कैद के दौरान उन्हें इलाज की आवश्यकता होती है. वैसे मरीजों के लिए रिम्स के आला अधिकारी अपने स्तर से बैठक कर यह निर्णय लेते हैं कि किस मरीज को किस जगह शिफ्ट करना है. उसके बाद मेडिकल अधीक्षक के निर्देश से मरीजों को विभिन्न जगह शिफ्ट किया जाता है. उन्होंने कहा कि जो साधारण कैदी होते हैं उनके लिए तो कैदी वार्ड में इंतजाम कर दिया जाता है. साथ ही वैसे कैदियों की तैनाती में ज्यादातर पुलिसकर्मियों की जरूरत होती है, वैसे कैदियों को रिम्स के पेइंग वार्ड में शिफ्ट किया जाता है. ऐसा इसलिए कि उनके सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को भी रहने के लिए जगह मिल सके और कैदियों पर रिम्स के चारों ओर से निगरानी भी रखी जा सके.

पेइंग वार्ड कैदियों की निगरानी आसान: रिम्स के अधीक्षक डॉक्टर हीरेन बिरुवा बताते हैं कि पेइंग वार्ड रिम्स अस्पताल के सेंटर में बना हुआ है और रिम्स के चारों तरफ से इस भवन में प्रवेश किया जा सकता है. इसलिए भी कैदियों और हाई प्रोफाइल मरीजों को पेइंग वार्ड में रखने की अनुमति दी जाती है. ऐसे लोगों के इलाज के दौरान अस्पताल में सिर्फ डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन की सुरक्षा में लगे लोग ही चौकस नहीं रहते बल्कि स्थानीय पुलिस भी ऐसे लोगों की सुरक्षा और उनकी निगरानी को लेकर एक्टिव रहती है.

स्थानीय पुलिस भी रखती निगरानी: सदर क्षेत्र के डीएसपी प्रभात कुमार बरवार बताते हैं कि जब भी कोई बड़े अपराधी या फिर सजायाफ्ता कैदी को अस्पताल में इलाज कराने के लिए लाया जाता है तो उसकी निगरानी स्थानीय पुलिस के द्वारा की जाती. उन्होंने बताया कि वर्तमान में अनिल शर्मा जैसे कुख्यात अपराधी और पूजा सिंघल जैसे हाई प्रोफाइल कैदी के लिए सदर थाना की पुलिस ने भी अपने फोर्स का डिप्लॉयमेंट रिम्स में किया है. गौरतलब है कि राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान ही एक ऐसा अस्पताल है, जहां सरकारी स्तर पर वृहद सुविधा मुहैया कराई जाती है.

तबीयत खराब होने पर रिम्स ट्रांसफर: राज्य के किसी भी जेल में यदि कोई कैदी बीमार होता है तो उसे जेल के चिकित्सकों से इलाज करवाया जाता है. यदि किसी कैदी की तबीयत ज्यादा खराब होती है तो उसे तुरंत ही पुलिस की निगरानी और सुरक्षा के बीच रिम्स इमरजेंसी भेजा जाता है. रिम्स में ही कुख्यात एवं दुर्दांत अपराधियों को सुरक्षित रखने की बेहतर व्यवस्था की गई है. बावजूद भी कई बार रिम्स में इलाज करवाने के दौरान कई कैदी फरार भी हो जाते हैं.

कई कैदी पहले भी हो चुके हैं फरार: वर्तमान में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान व अस्पताल में राज्य का कुख्यात अपराधी अनिल शर्मा मौजूद है तो वहीं एक बार अनिल शर्मा भी रिम्स से फरार हो चुका है. ऐसे में उसकी निगरानी प्रशासन और रिम्स प्रबंधन के लिए एक चुनौती है. वहीं मिली जानकारी के अनुसार कुख्यात अनिल शर्मा को जल्द ही दिल्ली के एम्स रेफर किया जाएगा. रिम्स अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा ने कहा कि प्रबंधन कैदियों की सुरक्षा के लिए लगातार सजग है. इसके साथ इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि कानून के नियमों के साथ सजायाफ्ता मरीजों का इलाज हो सके.

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