रांची: छठी जेपीएससी नियुक्ति को तत्काल रोकने के लिए लगातार आंदोलन किया जा रहा है. आंदोलनकारी अभ्यर्थियों ने प्रोजेक्ट बिल्डिंग के समक्ष इसके खिलाफ आत्मदाह करने की चेतावनी राज्य सरकार को दी है. आंदोलनकारी अभ्यर्थियों का आरोप है कि जेपीएससी ने नवचयनित अधिकारियों को नियुक्ति हेमंत सोरेन ने स्कीपा में प्रशिक्षण करने के बजाए जिले में पदस्थापना करने की कार्मिक विभाग द्वारा अनुशंसा कर दी गयी. जबकि हाईकोर्ट मे 35 से ज्यादा केस लंबित होने के बावजूद सरकार क्यों शीघ्रता दिखा रही है, यह मौजूदा सरकार के घोटाला की ओर संकेत करता है.
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इसी कड़ी में अभ्यर्थी विनोद नायक ने मुख्य सचिव झारखंड को आत्मदाह पत्र सौंपा है. उसमें लिखा है कि नियुक्ति को अविलंब रोका जाए, अन्यथा निर्धारित सात अगस्त को प्रोजेक्ट बिल्डिंग के समीप आत्मदाह किया जाएगा. साथ ही साथ सैकड़ों अभ्यर्थी चरणबद्ध तरीके से भिन्न- भिन्न शहरों मे यह कार्यक्रम करेंगे. छात्रों को कहना है कि छठी जेपीएससी के प्रीलिम्स से लेकर फाइनल रिजल्ट तक भारी अनियमितता बरती गई. 15 गुणा का उल्लंघन करके 18 गुणा रिजल्ट निकालना विज्ञापन का सीधा उल्लंघन है. आरक्षण का घोर उल्लंघन किया गया है. मुख्य परीक्षा में क्वालिफाइंग पेपर को कुल मार्क्स में जोडकर विज्ञापन का उल्लंघन किया गया है. प्रत्येक पेपर का न्युनतम अर्हतांक का भी पालन नहीं करना. अंतिम रिजल्ट में भी सफल अभ्यर्थियों के साथ सेवा आवंटन मे अनियमितता बरती गई. यह तमाम विसंगतियां मेघा घोटाला की ओर इंगित कर रहा है जो यहां के छात्र हरगिज बर्दाश्त नहीं करेंगे.
पांच अगस्त को होगी सुनवाई
बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट ने छठी जेपीएससी परीक्षा के अंतिम परिणाम और नियुक्ति की अनुशंसा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. प्रार्थी सुजीत कुमार की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने रोक लगाने की मांग वाली आइए (अंतरिम याचिका) को खारिज कर दिया था. अदालत ने इस मामले में जेपीएससी और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी. प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने अंतिम परिणाम जारी करने में कई गड़बड़ी की है. नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन की कंडिका 13 के अनुसार अभ्यर्थियों को सभी पेपर में न्यूनतम प्राप्तांक प्राप्त करना होगा, लेकिन, कई ऐसे अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, जो एक पेपर में न्यूनतम प्राप्तांक से कम अंक प्राप्त किया है. उनकी ओर से चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की गई थी लेकिन, अदालत ने इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.