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Jharkhand Political News: नेता प्रतिपक्ष को लेकर सियासत तेज, न्यायादेश मिलने पर विधानसभा सचिव लेंगे निर्णय

झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. झारखंड विधानसभा न्यायादेश की प्रति मिलने का इंतजार कर रहा है, इसके बाद सचिव आगे निर्णय लेंगे. हाई कोर्ट के निर्देश की कॉपी शुक्रवार को मिलने की संभावना है.

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Published : May 5, 2023, 8:36 AM IST

Updated : May 5, 2023, 9:01 AM IST

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रांचीः झारखंड में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह, अब तक पहेली बना हुआ है. पंचम विधानसभा ने करीब साढ़े तीन वर्ष अपने कार्यकाल के पूरे कर लिए हैं. ऐसे में शेष बचे डेढ़ वर्षों के कार्यकाल के लिए नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. इन सबके बीच इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के बाद सबकी नजरें विधानसभा पर टिकी हुई हैं.

इसे भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा नेता प्रतिपक्ष के मामले में हाई कोर्ट सख्त, कहा- एक हफ्ते में निकालें हल

क्या विधानसभा सचिव हाई कोर्ट के निर्देश अनुरूप विधानसभा अध्यक्ष को सुझाव देकर न्यायालय के समक्ष सशरीर उपस्थित होने से बचेंगे या फिर अगली सुनवाई में हाजिर होंगे. इस तरह के तमाम प्रश्न राजनीतिक गलियारों से लेकर विधानसभा परिसर में गुरुवार को दौड़ती रही. विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर से जब यह पूछा गया कि हाई कोर्ट के निर्देश पर क्या पहल की जा रही है तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का निर्देश क्या आया है यह अभी हमें प्राप्त नहीं हुआ है. मैंने इस संबंध में वकील से भी बात की है, न्यायादेश आते ही इस पर विचार करके निर्णय लिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इस संबंध में विधानसभा कार्यालय के द्वारा सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाने की संभावना जताई जा रही है.

नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर राजनीति तेजः झारखंड हाई कोर्ट का निर्देश आते ही नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा और कहा कि नेता प्रतिपक्ष का मुद्दा सरकार के इशारे पर विधानसभाध्यक्ष के द्वारा लटकाया गया है. जेवीएम का बीजेपी में मर्जर की मान्यता जिस चुनाव आयोग के द्वारा दिया गया है, उसे भी सरकार मानने को तैयार नहीं है.

इसे जानबूझकर के लटकाया जा रहा है, जिससे सूचना आयुक्त और लोकायुक्त जैसे पद पर बहाली ना हो, जिससे इनके खिलाफ जन सुनवाई हो लेकिन इनको पता नहीं है ईडी भी है, सीबीआई भी है और हाई कोर्ट भी है. जिसने इनके खिलाफ इतनी सूचना इकठ्ठा कर रखी है कि कुछ दिनों के बाद मुख्यमंत्री को भागने का रास्ता नहीं मिलेगा, तब कहेंगे कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री को परेशान किया जा रहा है. जबकि एक आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासियों को सबसे ज्यादा प्रताड़ना झेलनी पड़ी है.

जेएमएम की तीखी प्रतिक्रियाः बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी के बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी में थोड़ी भी नैतिकता है तो इस्तीफा देकर एक बार फिर से राजधनवार सीट से चुनाव मैदान में उतरे. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर जो कुछ भी फैसला आएगा वह विधि सम्मत होगा. इसके लिए विधानसभा न्यायाधिकरण मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है. हाई कोर्ट के निर्देश पर विधानसभा सचिव जरूर अग्रतर कार्रवाई कर न्यायालय को जानकारी देंगे मगर एक राष्ट्रीय पार्टी की हठधर्मिता के कारण अब तक नेता प्रतिपक्ष का मुद्दा लटका हुआ है, यह शोभा नहीं देता. बहरहाल आरोप प्रत्यारोप के बीच झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश की कॉपी शुक्रवार को मिलने की संभावना है, जिसके बाद विधानसभा में स्पीकर के समक्ष सचिव बातों को रखने का करने वाले हैं.

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रांचीः झारखंड में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह, अब तक पहेली बना हुआ है. पंचम विधानसभा ने करीब साढ़े तीन वर्ष अपने कार्यकाल के पूरे कर लिए हैं. ऐसे में शेष बचे डेढ़ वर्षों के कार्यकाल के लिए नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. इन सबके बीच इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के बाद सबकी नजरें विधानसभा पर टिकी हुई हैं.

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क्या विधानसभा सचिव हाई कोर्ट के निर्देश अनुरूप विधानसभा अध्यक्ष को सुझाव देकर न्यायालय के समक्ष सशरीर उपस्थित होने से बचेंगे या फिर अगली सुनवाई में हाजिर होंगे. इस तरह के तमाम प्रश्न राजनीतिक गलियारों से लेकर विधानसभा परिसर में गुरुवार को दौड़ती रही. विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर से जब यह पूछा गया कि हाई कोर्ट के निर्देश पर क्या पहल की जा रही है तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का निर्देश क्या आया है यह अभी हमें प्राप्त नहीं हुआ है. मैंने इस संबंध में वकील से भी बात की है, न्यायादेश आते ही इस पर विचार करके निर्णय लिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इस संबंध में विधानसभा कार्यालय के द्वारा सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाने की संभावना जताई जा रही है.

नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर राजनीति तेजः झारखंड हाई कोर्ट का निर्देश आते ही नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा और कहा कि नेता प्रतिपक्ष का मुद्दा सरकार के इशारे पर विधानसभाध्यक्ष के द्वारा लटकाया गया है. जेवीएम का बीजेपी में मर्जर की मान्यता जिस चुनाव आयोग के द्वारा दिया गया है, उसे भी सरकार मानने को तैयार नहीं है.

इसे जानबूझकर के लटकाया जा रहा है, जिससे सूचना आयुक्त और लोकायुक्त जैसे पद पर बहाली ना हो, जिससे इनके खिलाफ जन सुनवाई हो लेकिन इनको पता नहीं है ईडी भी है, सीबीआई भी है और हाई कोर्ट भी है. जिसने इनके खिलाफ इतनी सूचना इकठ्ठा कर रखी है कि कुछ दिनों के बाद मुख्यमंत्री को भागने का रास्ता नहीं मिलेगा, तब कहेंगे कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री को परेशान किया जा रहा है. जबकि एक आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासियों को सबसे ज्यादा प्रताड़ना झेलनी पड़ी है.

जेएमएम की तीखी प्रतिक्रियाः बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी के बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी में थोड़ी भी नैतिकता है तो इस्तीफा देकर एक बार फिर से राजधनवार सीट से चुनाव मैदान में उतरे. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर जो कुछ भी फैसला आएगा वह विधि सम्मत होगा. इसके लिए विधानसभा न्यायाधिकरण मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है. हाई कोर्ट के निर्देश पर विधानसभा सचिव जरूर अग्रतर कार्रवाई कर न्यायालय को जानकारी देंगे मगर एक राष्ट्रीय पार्टी की हठधर्मिता के कारण अब तक नेता प्रतिपक्ष का मुद्दा लटका हुआ है, यह शोभा नहीं देता. बहरहाल आरोप प्रत्यारोप के बीच झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश की कॉपी शुक्रवार को मिलने की संभावना है, जिसके बाद विधानसभा में स्पीकर के समक्ष सचिव बातों को रखने का करने वाले हैं.

Last Updated : May 5, 2023, 9:01 AM IST
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