रांचीः प्रदेश में उजागर हुए कथित टेंडर घोटाले को लेकर अब राज्य में सियासत तेज हो गई है. एक तरफ जहां राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अप्रैल, 2016 से लेकर अब तक गलत शेड्यूल ऑफ रेट पर बने डीपीआर के टेंडर की सघनता से जांच कराएगी.
वहीं, दूसरी तरफ सरकार के इस आदेश से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. राज्य में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही जेएमएम ने साफ कहा कि लोगों ने एक संवेदनशील व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया है और रही बात विभागों में जांच की तो यह विभाग का मामला है जो भी वाक्या सामने आ रहा है इसमें सरकार की तरफ से कोई हस्तक्षेप नहीं है.
सरकार की कोई दखलअंदाजी नहीं
झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि विभाग ने कार्रवाई की है और जो भी कार्रवाई आगे होगी वह भी विभागीय स्तर पर होगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का इस मामले में कोई भी हस्तक्षेप नहीं है और ना ही कोई पूर्वाग्रह है. उन्होंने कहा कि सरकार अपना काम करेगी जनता ने सरकार को चुनकर भेजा है. उन्होंने कहा कि अगर घोटाले होंगे तो जो चीजें सामने आएंगी और कानून अपना काम करेगा. उन मामलों में कार्रवाई भी होगी.
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जांच हो पर निष्पक्ष
वहीं, बीजेपी ने स्पष्ट कहा कि पार्टी किसी भी तरह की जांच के खिलाफ नहीं है, बशर्ते जांच निष्पक्ष हो. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि बीजेपी का पहले से स्टैंड है कि करप्शन के प्रति किस तरह टॉलरेंस नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि राज्य में गठबंधन की सरकार है जांच में जो भी परिणाम सामने आते हैं, उसके जांच के बाद उस पर कार्रवाई हो.ट
विभाग का मामला
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस बाबत पूछे जाने पर साफ तौर पर कहा कि यह विभाग का मामला है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस जांच के कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. यह व्यवस्था है और वह अपने हिसाब से काम करती है.
क्या है मामला
दरअसल, पथ निर्माण विभाग में टेंडर घोटाला सामने आया है, जिसके तहत शेड्यूल ऑफ रेट बढ़ाकर डीपीआर बनाने का खुलासा हुआ है. ऐसे में योजनाओं का प्रोजेक्ट कॉस्ट काफी बढ़ गया. मुख्य सचिव डीके तिवारी ने भी माना कि विभाग में फर्जी टेंडर का भी मामला सामने आया है. इसलिए राज्य सरकार ने विकास आयुक्त सुखदेव सिंह के नेतृत्व में एक कमिटी बनाई है, जो इस तरह के मामलों की जांच करेगी. साथ ही सभी सचिवों को भी लिखा गया है कि वह अपने यहां इस तरह के सभी मामलों की जांच करें. जैसे यह मामला सामने आया है उसके बाद राज्य सरकार ने आरसीडी डिपार्टमेंट के इंजीनियर इन चीफ समेत कई विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं.