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'मॉब लिंचिंग' पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने सीएम को ठहराया जिम्मेदार, बीजेपी ने कहा दोषी बख्शे नहीं जाएंगे - ईटीवी झारखंड न्यूज

सरायकेला 'मॉब लिंचिंग' की घटना को लेकर सियासत तेज हो गई है,  एक तरफ सत्तापक्ष ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ा है कि ऐसी घटना पहले भी हुई है,  वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल इसे सरकार की संवेदनहीनता बता रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को मॉब लिंचिंग का जिम्मेवार ठहराया है.

मॉब लिंचिंग पर गरमाई राजनीति
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Published : Jun 24, 2019, 3:25 PM IST

रांची: प्रदेश में कथित रूप से हुए 'मॉब लिंचिंग' की घटना को लेकर सियासत तेज हो गई है, एक तरफ सत्तापक्ष ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ा है कि ऐसी घटना पहले भी हुई है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल इसे सरकार की संवेदनहीनता बता रहे हैं.

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दरअसल राज्य के कोल्हान प्रमंडल में पड़ने वाले खरसावां इलाके में शनिवार को एक युवक की कथित तौर पर जमकर पिटाई की गई थी, उसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया और बाद में उसकी मौत हो गई. युवक पर मोटरसाइकिल चुराने का आरोप लगाया गया था. इस घटना से जुड़ा वीडियो भी वायरल हुआ है. इस मामले में बीजेपी ने स्पष्ट कहा कि सरकार ने जिला प्रशासन से इस बाबत रिपोर्ट मंगाई है. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि पीड़ित परिवार के साथ न्याय होगा और दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.

वहीं, इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को जिम्मेदार ठहराया है. प्रदेश कांग्रेस का मानना है कि 2014 के बाद झारखंड में मॉब लिंचिंग की शुरुआत हुई. जिसके लिए राज्य सरकार सीधे तौर पर जिम्मेवार है.

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को मॉब लिंचिंग का जिम्मेवार ठहराया है. उन्होंने कहा की अगर जल्द आरोपियों को सजा नहीं दी गई तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगी.

पिछली घटनाओं का जिक्र करते हुए आलोक दुबे ने कहा कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री के गृह जिले में 6 लोगों की मौत मॉब लिंचिंग के दौरान हुई थी. वहीं लातेहार में भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई. और रामगढ़ में तो उस समय हद हो गई जब मॉब लिंचिंग के आरोपियों को मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया. उन्होंने सरायकेला में बजरंग दल और आरएसएस के लोगों द्वारा इस घटना को अंजाम देना का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इससे यह साफ पता चलता है कि राज्य सरकार कितनी निर्दयी है और यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है.

झारखंड में मॉब लिंचिंग की यह घटना पहली बार नहीं है
झारखंड में मॉब लिंचिंग तब सुर्खियों में आया जब लातेहार में मार्च 2016 में एक पशु व्यापारी समेत एक किशोर की कथित तौर पर हत्या कर उनकी बॉडी पेड़ से लटका दी गयी थी. इस घटना के बाद राज्य सरकार की पूरे देश में फजीहत हुई थी. सामाजिक संगठनों के आंकड़ों को मानें तो 2016 में जामताड़ा में मिनहाज अंसारी नामक युवक की पुलिस कस्टडी में कथित तौर पर मौत हुई और यह मामला विधानसभा में उठाया गया था, जबकि 2017 में चार ऐसी घटनाएं पूर्वी सिंहभूम जिले में घटी. वहीं रामगढ़ में 45 साल के अलीमुद्दीन अंसारी की कथित तौर पर हत्या प्रतिबंधित मांस के ट्रांसपोर्टेशन के आरोपों के बाद कर दी गयी थी. 2017 में गढ़वा में ऐसी एक घटना हुई और जून 2018 में गोड्डा में दो लोगों की इसी तरह की घटना में मौत हो गई थी.

रांची: प्रदेश में कथित रूप से हुए 'मॉब लिंचिंग' की घटना को लेकर सियासत तेज हो गई है, एक तरफ सत्तापक्ष ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ा है कि ऐसी घटना पहले भी हुई है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल इसे सरकार की संवेदनहीनता बता रहे हैं.

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दरअसल राज्य के कोल्हान प्रमंडल में पड़ने वाले खरसावां इलाके में शनिवार को एक युवक की कथित तौर पर जमकर पिटाई की गई थी, उसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया और बाद में उसकी मौत हो गई. युवक पर मोटरसाइकिल चुराने का आरोप लगाया गया था. इस घटना से जुड़ा वीडियो भी वायरल हुआ है. इस मामले में बीजेपी ने स्पष्ट कहा कि सरकार ने जिला प्रशासन से इस बाबत रिपोर्ट मंगाई है. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि पीड़ित परिवार के साथ न्याय होगा और दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.

वहीं, इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को जिम्मेदार ठहराया है. प्रदेश कांग्रेस का मानना है कि 2014 के बाद झारखंड में मॉब लिंचिंग की शुरुआत हुई. जिसके लिए राज्य सरकार सीधे तौर पर जिम्मेवार है.

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को मॉब लिंचिंग का जिम्मेवार ठहराया है. उन्होंने कहा की अगर जल्द आरोपियों को सजा नहीं दी गई तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगी.

पिछली घटनाओं का जिक्र करते हुए आलोक दुबे ने कहा कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री के गृह जिले में 6 लोगों की मौत मॉब लिंचिंग के दौरान हुई थी. वहीं लातेहार में भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई. और रामगढ़ में तो उस समय हद हो गई जब मॉब लिंचिंग के आरोपियों को मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया. उन्होंने सरायकेला में बजरंग दल और आरएसएस के लोगों द्वारा इस घटना को अंजाम देना का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इससे यह साफ पता चलता है कि राज्य सरकार कितनी निर्दयी है और यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है.

झारखंड में मॉब लिंचिंग की यह घटना पहली बार नहीं है
झारखंड में मॉब लिंचिंग तब सुर्खियों में आया जब लातेहार में मार्च 2016 में एक पशु व्यापारी समेत एक किशोर की कथित तौर पर हत्या कर उनकी बॉडी पेड़ से लटका दी गयी थी. इस घटना के बाद राज्य सरकार की पूरे देश में फजीहत हुई थी. सामाजिक संगठनों के आंकड़ों को मानें तो 2016 में जामताड़ा में मिनहाज अंसारी नामक युवक की पुलिस कस्टडी में कथित तौर पर मौत हुई और यह मामला विधानसभा में उठाया गया था, जबकि 2017 में चार ऐसी घटनाएं पूर्वी सिंहभूम जिले में घटी. वहीं रामगढ़ में 45 साल के अलीमुद्दीन अंसारी की कथित तौर पर हत्या प्रतिबंधित मांस के ट्रांसपोर्टेशन के आरोपों के बाद कर दी गयी थी. 2017 में गढ़वा में ऐसी एक घटना हुई और जून 2018 में गोड्डा में दो लोगों की इसी तरह की घटना में मौत हो गई थी.

Intro:रांची। प्रदेश में कथित रूप से हुए 'मॉब लिंचिंग' की घटना को लेकर सियासत तेज हो गई है एक तरफ सत्तापक्ष ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ा है कि ऐसी घटना पहले भी हुई है। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल इसे सरकार की संवेदनहीनता बता रहे हैं। दरअसल राज्य के कोल्हान प्रमंडल में पड़ने वाले खरसावां इलाके में शनिवार को एक युवक की कथित तौर पर जमकर पिटाई की गई। उसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया और बाद में उसकी मौत हो गई। युवक पर मोटरसाइकिल चुराने का आरोप लगाया गया था। इस घटना से जुड़ा वीडियो भी वायरल हुआ है। इस मामले में बीजेपी ने स्पष्ट कहा कि सरकार ने जिला प्रशासन से इस बाबत रिपोर्ट मंगाई है। बीजेपी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि पीड़ित परिवार के साथ अन्याय होगा और दोषी बख्शे नहीं जाएंगे।


Body:उन्होंने कहा कि राज्य में कानून का राज है और दोषियों के खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी। वहीं इस मामले को लेकर प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि सरकार संवेदनहीन हो गई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी राज्य के रामगढ़ समेत अन्य जिलों में मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं कथित रूप से घटी हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता और केंद्र में तत्कालीन मंत्री ने इस तरह की घटना में शामिल लोगों को बाकायदा सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि इससे सरकार का असली चेहरा उजागर होता है। पांडे ने कहा कि इसके पीछे सियासत का खेल है। एक तरफ जहां पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से केंद्र सरकार रिपोर्ट मंगवा रही है वहीं झारखंड के मामले में कोई बोलने वाला नहीं है।


Conclusion:पहली नहीं है मॉब लिंचिंग की घटना
दरअसल झारखंड में मॉब लिंचिंग तब सुर्खियों में आया जब लातेहार में मार्च 2016 में एक पशु व्यापारी समेत एक किशोर की कथित तौर पर हत्या कर उनकी बॉडी पेड़ से लटका दी गयी। इस घटना के बाद राज्य सरकार की पूरे देश में फजीहत हुई थी। सामाजिक संगठनों के आंकड़ों पर यकीन करें तो 2016 में जामताड़ा में मिनहाज अंसारी नामक युवक की पुलिस कस्टडी में कथित तौर पर मौत हुई और यह मामला विधानसभा में उठाया गया था। जबकि 2017 में चार ऐसी घटनाएं पूर्वी सिंहभूम जिले में घटी। वहीं रामगढ़ में 45 साल के अलीमुद्दीन अंसारी की कथित तौर पर हत्या प्रतिबंधित मांस के ट्रांसपोर्टेशन के आरोपों के बाद कर दी गयी थी। 2017 में गढ़वा में ऐसी एक घटना हुई और जून 2018 में गोड्डा में दो लोगों की इसी तरह की घटना में मौत हो गई थी।
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