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Ranchi News: विश्व हाथी दिवस पर लिया गया हाथियों के संरक्षण का संकल्प, जंगल छोड़ गांव पहुंचने का बताया कारण

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Published : Aug 13, 2023, 7:48 AM IST

Updated : Aug 13, 2023, 10:10 AM IST

विश्व हाथी दिवस पर हाथियों के संरक्षण की शपथ ली गई. साथ ही बताया गया कि अगर हाथी जंगल छोड़कर शहर या गांव पहुंच जाए तो उन्हें कभी नुकसान नहीं पहुंचाए. बताया गया ऐसी स्थिति में वन विभाग को सूचित करें.

Ranchi On World Elephant Day
विश्व हाथी दिवस पर हाथियों के संरक्षण की शपथ ली गई

रांची: हाथियों को संरक्षित करने के लिए विश्व हाथी दिवस के मौके पर वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को यह जानकारी दी गई कि झारखंड के जंगलों में बचे हाथियों का संरक्षण कैसे किया जा सके.

ये भी पढ़ें: गुस्से में गजराज: लातेहार में हाथियों का आतंक, चार ग्रामीणों के घर को किया ध्वस्त

इस वजह से जंगल छोड़ आते हाथी: वन विभाग के अधिकारी भी हाथियों को बचाने के लिए और हाथियों के कहर से ग्रामीणों को बचाने के लिए आए दिन प्रयास करते रहते हैं. वन विभाग के द्वारा कई बार यह बताया गया है कि हाथी जंगल से बाहर तभी आते हैं, जब जंगलों को नष्ट किया जाता है. आज बढ़ते शहरीकरण और आधुनिकीरण की वजह से जंगल समाप्त हो रहे हैं. जिस वजह से जंगली जानवर गांव या फिर शहर की ओर आम लोगों के बीच पहुंच जाते हैं.

राज्य सरकार को भरना होता हर्जाना: झारखंड में हाथियों के झुंड के द्वारा आए दिन लोगों के घरों को नष्ट किया जाता है. इस वजह से राज्य सरकार को अपने कोष से लोगों के घरों के पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक रूप से सरकारी मदद दी जाती है.

कार्यशाला में क्या जानकारी दी गई: वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में यह बताया गया कि यदि हाथी जंगल से विचरण करते हुए शहर या फिर गांव की तरफ आते हैं तो उन्हें घायल या फिर मारने की कोशिश ना करें. जैसे ही यदि कोई हाथियों का झुंड या अकेला हाथी किसी गांव में पहुंचता है तो गांव के लोग तुरंत ही वन विभाग को सूचित करें. संबंधित क्षेत्र के वन पदाधिकारी या कर्मचारी तुरंत ही उसे क्षेत्र में पहुंचकर हाथियों को अपने कब्जे में कर लेंगे या फिर उन्हें जंगलों में बने एलिफेंट कॉरिडोर के माध्यम से घने जंगल की ओर भेज देंगे.

एलीफेंट मूवमेंट ट्रैकिंग ऐप ले मदद: कार्यशाला को लेकर राज्य के मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले दिनों एलीफेंट मूवमेंट ट्रैकिंग ऐप का भी उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया था. इस ऐप के माध्यम से जिस क्षेत्र में हाथियों का झुंड रहता उसके विचरण की जानकारी हो पाएगी.

उन्होंने बताया कि एलीफेंट के हाव भाव को जानने के लिए कार्यशाला में एक्सपर्ट नंदनी शेट्टी और डॉ. विभास शर्मा को भी बुलाया गया था. दोनों एक्सपर्ट ने वन विभाग के कर्मचारियों को हाथियों के व्यवहार से जुड़े जानकारियां प्रदान की.

ग्रमीणों को उठाना पड़ता है नुकसान: संजय श्रीवास्तव ने बताया कि झारखंड एक माइनिंग क्षेत्र है और माइनिंग के लिए घने जंगलों को कई बार काटना पड़ता है. जंगल के कटने की वजह से हाथी भटक कर गांव या फिर शहर आते हैं. कई बार ग्रामीणों को आर्थिक एवं शारीरिक नुकसान भी सहना पड़ता है.

आयोजित कार्यशाला में ये थे शामिल: हाथियों से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए विश्व हाथी दिवस के मौके पर वन एवं पर्यावरण विभाग के द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें संजय श्रीवास्तव के अलावा एनके सिंह, दीक्षा कुमारी, संजीव कुमार, डॉ. परितोष उपाध्याय सहित वन विभाग के कई वरिष्ठ पदाधिकारी गण उपस्थित रहे.

रांची: हाथियों को संरक्षित करने के लिए विश्व हाथी दिवस के मौके पर वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को यह जानकारी दी गई कि झारखंड के जंगलों में बचे हाथियों का संरक्षण कैसे किया जा सके.

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इस वजह से जंगल छोड़ आते हाथी: वन विभाग के अधिकारी भी हाथियों को बचाने के लिए और हाथियों के कहर से ग्रामीणों को बचाने के लिए आए दिन प्रयास करते रहते हैं. वन विभाग के द्वारा कई बार यह बताया गया है कि हाथी जंगल से बाहर तभी आते हैं, जब जंगलों को नष्ट किया जाता है. आज बढ़ते शहरीकरण और आधुनिकीरण की वजह से जंगल समाप्त हो रहे हैं. जिस वजह से जंगली जानवर गांव या फिर शहर की ओर आम लोगों के बीच पहुंच जाते हैं.

राज्य सरकार को भरना होता हर्जाना: झारखंड में हाथियों के झुंड के द्वारा आए दिन लोगों के घरों को नष्ट किया जाता है. इस वजह से राज्य सरकार को अपने कोष से लोगों के घरों के पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक रूप से सरकारी मदद दी जाती है.

कार्यशाला में क्या जानकारी दी गई: वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में यह बताया गया कि यदि हाथी जंगल से विचरण करते हुए शहर या फिर गांव की तरफ आते हैं तो उन्हें घायल या फिर मारने की कोशिश ना करें. जैसे ही यदि कोई हाथियों का झुंड या अकेला हाथी किसी गांव में पहुंचता है तो गांव के लोग तुरंत ही वन विभाग को सूचित करें. संबंधित क्षेत्र के वन पदाधिकारी या कर्मचारी तुरंत ही उसे क्षेत्र में पहुंचकर हाथियों को अपने कब्जे में कर लेंगे या फिर उन्हें जंगलों में बने एलिफेंट कॉरिडोर के माध्यम से घने जंगल की ओर भेज देंगे.

एलीफेंट मूवमेंट ट्रैकिंग ऐप ले मदद: कार्यशाला को लेकर राज्य के मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले दिनों एलीफेंट मूवमेंट ट्रैकिंग ऐप का भी उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया था. इस ऐप के माध्यम से जिस क्षेत्र में हाथियों का झुंड रहता उसके विचरण की जानकारी हो पाएगी.

उन्होंने बताया कि एलीफेंट के हाव भाव को जानने के लिए कार्यशाला में एक्सपर्ट नंदनी शेट्टी और डॉ. विभास शर्मा को भी बुलाया गया था. दोनों एक्सपर्ट ने वन विभाग के कर्मचारियों को हाथियों के व्यवहार से जुड़े जानकारियां प्रदान की.

ग्रमीणों को उठाना पड़ता है नुकसान: संजय श्रीवास्तव ने बताया कि झारखंड एक माइनिंग क्षेत्र है और माइनिंग के लिए घने जंगलों को कई बार काटना पड़ता है. जंगल के कटने की वजह से हाथी भटक कर गांव या फिर शहर आते हैं. कई बार ग्रामीणों को आर्थिक एवं शारीरिक नुकसान भी सहना पड़ता है.

आयोजित कार्यशाला में ये थे शामिल: हाथियों से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए विश्व हाथी दिवस के मौके पर वन एवं पर्यावरण विभाग के द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें संजय श्रीवास्तव के अलावा एनके सिंह, दीक्षा कुमारी, संजीव कुमार, डॉ. परितोष उपाध्याय सहित वन विभाग के कई वरिष्ठ पदाधिकारी गण उपस्थित रहे.

Last Updated : Aug 13, 2023, 10:10 AM IST
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