रांचीः भविष्य में होने वाले जल संकट को देखते हुए निजी, सरकारी एवं हर कॉमर्शियल बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की शुरुआत 2016 में हुई थी. इसको लेकर रांची नगर निगम द्वारा जागरूकता अभियान से लेकर कई सख्त नियम भी बनाये गए हैं. समय समय पर निगम द्वारा अभियान भी चलाया जाता है. इसके बावजूद लोग वर्षा जल संचय के बजाय होल्डिंग टैक्स में डेढ़ गुणा राशि देना उचित समझते हैं.
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रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर राजधानी के लोग गंभीर नहीं हैं. उदासीनता का आलम ऐसा है कि पेयजल की संकट के बावजूद वर्षा जल संचय को लेकर होल्डिंग टैक्स के जरिए इसमें जुर्माना देते हैं लेकिन रेन वाटर सिस्टम लगाना मुनासिब नहीं समझते. इसको लेकर अपर नगर आयुक्त कुंवर सिंह पाहन बताते हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने से लोगों को दो तरह का लाभ मिलेगा, एक तो वाटर लेवल ऊपर आएगा यानी वाटर रिचार्ज होगा, दूसरा होल्डिंग टैक्स में भी उन्हें रियायत मिलेगी. इसके बावजूद लोग इसको लेकर गंभीर नहीं है जो बेहद ही चिंताजनक है. निगम आने वाले समय में अभियान चलाकर ना केवल लोगों को जागरूक करेगी बल्कि जुर्माना भी वसूलेगा.
3000 वर्ग फीट से उपर हर घर में लगना है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टमः वर्षा जल संचयन के लिए रांची नगर निगम ने सख्त नियम बनाया है. 3000 वर्ग फीट से ऊपर के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है. बिल्डिंग बॉयलॉज के मुताबिक हर घर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है. इसके उल्लंघन पर दो से तीन गुणे तक होल्डिंग टैक्स वसूला जाता है. इसके बावजूद लोग घरों में वर्षा जल संचय अरुचि दिखा रहे हैं.
आंकड़ों के अनुसार निगम क्षेत्र में करीब 2 लाख 28 हजार होल्डिंग के अंतर्गत घर हैं. उसमें अब तक इंडीपेंडेंट बिल्डिंग में 18,282 रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग होने की बात कही जा रही है जबकि इसको लेकर हकीकत कुछ और ही है. इसी तरह से फ्लैट, मल्टीस्टोरी बिल्डिंग 38,718 घरों में वर्षा जल संचयन होने का सरकारी रिकॉर्ड बताया जाता है. खास बात यह है कि रांची नगर निगम रेन वाटर हार्वेस्टिंग की मॉनेटरिंग के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी से लेकर भारी भरकम टीम बनाये हुए जिसपर हर वर्ष करोड़ों रुपया खर्च करती है. सामाजिक कार्यकर्ता एस अली का कहना है कि जब तक ईमानदारी से इसमें पहल नहीं की जायेगी तब तक हर घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होना संभव नहीं है.
राजधानी में भूगर्भ जलस्तर गिर रहाः राजधानी में भूगर्भ जलस्तर लगातार गिर रहा है. गर्मी के समय हर वर्ष मोरहाबादी, कांके, धुर्वा, हरमू जैसे क्षेत्रों में जलस्तर गिर जाता है. मोरहाबादी और कांके में तो 800 से 1000 फीट तक ग्राउंड वाटर लेवल गिर जाता है. इन क्षेत्रों में निगम के टैंकर के भरोसे जलापूर्ति होती है. ऐसे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का लाभ इन क्षेत्रों में मिल सकता है. इससे ना केवल वाटर रिचार्ज होगा बल्कि वर्षा जल को बर्बाद होने से भी बचाया जा सकता है.