रांची: झारखंड में महागठबंधन की सरकार तीन दलों के सहयोग से भले ही चल रही हो, लेकिन जिस तरह से राज्य समन्वय समिति से लेकर बोर्ड निगम के अध्यक्ष-सदस्य के मनोनयन में राजद की उपेक्षा कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा की जा रही है, उससे कई सवाल राजनीतिक गलियारों में उठ रहे हैं.
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2019 से पहले झारखंड में बनी हर गैर भाजपा सरकार में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाली लालू प्रसाद की पार्टी, राज्य में इतनी कमजोर हो गयी है कि कांग्रेस और झामुमो लगातार उसकी उपेक्षा कर रही है? क्या आज झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल, सत्ता में भागीदारी और बोर्ड निगम में एक सदस्य पाने के लिए झामुमो-कांग्रेस के रहमोकरम पर याचक वाली भूमिका में आ गयी है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत ने बात की राष्ट्रीय जनता दल की प्रदेश उपाध्यक्ष अनिता यादव से.
सरकार में शामिल होने के बावजूद राज्य समन्वय समिति और फिर बोर्ड निगम में अब तक हुई राजद की उपेक्षा के सवाल पर अनिता यादव कहती हैं कि याचक की भूमिका में झारखंड राजद नहीं है. बल्कि ये दोनों दल (झामुमो-कांग्रेस) लोभी हो गए हैं.
राजद को इग्नोर कर कभी सत्ता नहीं पा सकती झामुमो-कांग्रेस: राष्ट्रीय जनता दल की प्रदेश उपाध्यक्ष अनिता यादव ने कहा कि झारखंड में राजद को इग्नोर करना आसान नहीं है. अगर राजद को झामुमो-कांग्रेस कमजोर समझकर इग्नोर करेगी तो ये कभी राज्य की सत्ता पर काबिज नहीं हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि इन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य के देवघर, पलामू, लातेहार, गढ़वा, चतरा, कोडरमा में हमारा मजबूत जनाधार है. इन जिलों में बिना राष्ट्रीय जनता दल के सहयोग के महागठबंधन के अन्य दल झामुमो-कांग्रेस जीत की सोच भी नहीं सकते.
झारखंड के हर विधानसभा क्षेत्र में हमारे वोटर- राजद: राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष अनीता यादव ने कहा कि पार्टी की अंदरूनी बैठक में यह बात सामने आई कि झारखंड के हर विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल और लालू प्रसाद की नीतियों के समर्थकों की काफी बड़ी संख्या है, ऐसे में कोई हमें इग्नोर नहीं कर सकता.
खुल कर विरोध नहीं कर पा रहे राजद के नेता: झारखंड में अभी तक हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड, राज्य परिवहन प्राधिकरण और झारखंड राज्य आवास बोर्ड का गठन किया है. इन तीनों में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगह मिली है. लेकिन इसमें राजद के किसी भी नेता-कार्यकर्ताओं को जगह नहीं दी गयी है. महागठबंधन के सहयोगी दलों की ओर से राजद की उपेक्षा से राजद के प्रदेशस्तरीय नेता-कार्यकर्ताओं में नाराजगी तो है लेकिन खुल कर विरोध नहीं कर पा रहे हैं.