ETV Bharat / state

पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय खोले जाने का रास्ता साफ, सदन में विधेयक पारित

झारखंड में जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने का रास्ता साफ हो गया है. बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 को बहुमत के साथ स्वीकृति मिल गई है.

Pandit Raghunath Murmu Tribal University
Pandit Raghunath Murmu Tribal University
author img

By

Published : Dec 22, 2021, 3:58 PM IST

Updated : Dec 22, 2021, 4:48 PM IST

रांची: झारखंड में पूर्वी भारत का पहला जनजातीय विश्वविद्यालय खोले जाने का रास्ता साफ हो गया है. झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 को बहुमत के साथ स्वीकृति मिल गई है. जनजातियों के लिए देश में पहला विश्वविद्यालय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के अमरकंटक में संचालित है.

ये भी पढ़ें- Jharkhand Assembly Winter Session: अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना पर बैठ गईं विधायक सीता सोरेन, जानिए वजह

सदन में इस बिल के आने पर भाकपा माले विधायक विनोद सिंह, आजसू विधायक लंबोदर महतो, भाजपा विधायक अनंत ओझा और रामचंद्र चंद्रवंशी के अलावा विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने कई कमियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. इस पर प्रभारी मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इसमें सभी पहलुओं को समाहित करते हुए तैयार किया गया है. इसलिए प्रवर समिति में भेजने का कोई औचित्य नहीं है. लिहाजा, मतदान के बाद विधेयक स्वीकृत हो गया. लेकिन विनोद सिंह ने कहा कि 56 पेज के विधेयक को पढ़ने के लिए 56 मिनट का भी समय नहीं मिला है. इसमें कुछ और विशेषताओं को जोड़ना चाहिए. यह स्पष्ट होना चाहिए कि कुलपति और कुलसचिव जनजाति होंगे या नहीं. काउंसिल में एसटी सदस्यों को रखा जाएगा या नहीं. अनंत ओझा ने कहा कि विधेयक में प्रशासनिक और शैक्षणिक संरचना को लेकर कई कमियां दिख रही हैं. बंधु तिर्की ने सुझाव दिया कि कमेटी में सदन के वरिष्ठ जनजातीय विधायकों को जगह मिलना चाहिए.

पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय के बारे में प्रमुख जानकारियां

  • विवि का मुख्यालय जमशेदपुर होगा और क्षेत्राधिकार सम्पूर्ण झारखण्ड में रहेगा
  • जनजातीय विवि सभी वर्गों, जातियों और पंथों के लिए खुला रहेगा
  • जरूरत के हिसाब से किसी भी जिले में रीजनल सेंटर खोला जा सकेगा
  • विश्वविद्यालय में 10 संकाय में छात्र शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे

झारखंड में जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने पर फैसला

आपको बता दें कि इसी वर्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में जनजातीय परामर्शदात्री समिति की बैठक में विश्वविद्यालय निर्माण पर विस्तार से चर्चा हुई थी. उसी समय अध्यादेश लाकर विश्वविद्यालय निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई थी. विश्वविद्यालय के निर्माण का उद्देश्य जनजातीय भाषा और आदिवासी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को सहेजने, उन पर शोध करने तथा आदिवासी समाज के मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना है. इस विश्वविद्यालय के खुलने से झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और ओडिशा के छात्रों को भी लाभ मिलेगा.

इस विश्वविद्यालय का निर्माण जमशेदपुर के गालूडीह और घाटशिला के बीच करने की योजना है. इसके लिए आरंभिक तौर पर 20 एकड़ जमीन भी चिन्हित की जा चुकी है.

रांची: झारखंड में पूर्वी भारत का पहला जनजातीय विश्वविद्यालय खोले जाने का रास्ता साफ हो गया है. झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 को बहुमत के साथ स्वीकृति मिल गई है. जनजातियों के लिए देश में पहला विश्वविद्यालय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के अमरकंटक में संचालित है.

ये भी पढ़ें- Jharkhand Assembly Winter Session: अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना पर बैठ गईं विधायक सीता सोरेन, जानिए वजह

सदन में इस बिल के आने पर भाकपा माले विधायक विनोद सिंह, आजसू विधायक लंबोदर महतो, भाजपा विधायक अनंत ओझा और रामचंद्र चंद्रवंशी के अलावा विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने कई कमियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. इस पर प्रभारी मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इसमें सभी पहलुओं को समाहित करते हुए तैयार किया गया है. इसलिए प्रवर समिति में भेजने का कोई औचित्य नहीं है. लिहाजा, मतदान के बाद विधेयक स्वीकृत हो गया. लेकिन विनोद सिंह ने कहा कि 56 पेज के विधेयक को पढ़ने के लिए 56 मिनट का भी समय नहीं मिला है. इसमें कुछ और विशेषताओं को जोड़ना चाहिए. यह स्पष्ट होना चाहिए कि कुलपति और कुलसचिव जनजाति होंगे या नहीं. काउंसिल में एसटी सदस्यों को रखा जाएगा या नहीं. अनंत ओझा ने कहा कि विधेयक में प्रशासनिक और शैक्षणिक संरचना को लेकर कई कमियां दिख रही हैं. बंधु तिर्की ने सुझाव दिया कि कमेटी में सदन के वरिष्ठ जनजातीय विधायकों को जगह मिलना चाहिए.

पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय के बारे में प्रमुख जानकारियां

  • विवि का मुख्यालय जमशेदपुर होगा और क्षेत्राधिकार सम्पूर्ण झारखण्ड में रहेगा
  • जनजातीय विवि सभी वर्गों, जातियों और पंथों के लिए खुला रहेगा
  • जरूरत के हिसाब से किसी भी जिले में रीजनल सेंटर खोला जा सकेगा
  • विश्वविद्यालय में 10 संकाय में छात्र शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे

झारखंड में जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने पर फैसला

आपको बता दें कि इसी वर्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में जनजातीय परामर्शदात्री समिति की बैठक में विश्वविद्यालय निर्माण पर विस्तार से चर्चा हुई थी. उसी समय अध्यादेश लाकर विश्वविद्यालय निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई थी. विश्वविद्यालय के निर्माण का उद्देश्य जनजातीय भाषा और आदिवासी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को सहेजने, उन पर शोध करने तथा आदिवासी समाज के मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना है. इस विश्वविद्यालय के खुलने से झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और ओडिशा के छात्रों को भी लाभ मिलेगा.

इस विश्वविद्यालय का निर्माण जमशेदपुर के गालूडीह और घाटशिला के बीच करने की योजना है. इसके लिए आरंभिक तौर पर 20 एकड़ जमीन भी चिन्हित की जा चुकी है.

Last Updated : Dec 22, 2021, 4:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.