रांची: प्रख्यात शिक्षाविद् नागपुरी साहित्यकार और संस्कृति कर्मी गिरधारी राम गौंझू को पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उन्हें मरणोपरांत यह अवार्ड दिया गया है. पिछले साल अप्रैल महीने में सांस की तकलीफ होने के कारण उनका निधन हो गया था.
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प्रख्यात शिक्षाविद्, नागपुरी साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी गिरधारी राम गौंझू रांची विवि जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष थे. इनका जन्म पांच दिसंबर 1949 को खूंटी के बेलवादाग गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम इंद्रनाथ गौंझू व मां का नाम लालमणि देवी था. ये रांची के हरमू कॉलोनी में रहते थे. डॉ गौंझू रांची विवि स्नातकोत्तर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग में दिसंबर 2011 में बतौर अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए.
डॉ गौंझू एक मंझे हुए लेखक रहे. इनकी अब तक 25 से भी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. इसके अलावा कई नाटकें भी उन्होंने लिखी हैं. पिछले साल कोरोना के दूसरे वेब के दौरान सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद परिवार वाले उनको लेकर रांची के 7 अस्पतालों में गए थे लेकिन उन्हें बेड नहीं मिल पाया था. परिजन उनको लेकर राज अस्पताल, गुरु नानक अस्पताल, मेडिका, सैंटीमीटर आर्किड और चैंफूड लेकर घूमते रहे. लेकिन उन्हें बेड नहीं मिला था. अंत में उन्हें रिम्स लाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. इलाज में बरती गई इस लापरवाही पर झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने भी नाराजगी व्यक्त की थी.
पद्मश्री से सम्मानित किए जाने को लेकर शिक्षाविद् साहित्यकार संस्कृति कर्मियों और बुद्धिजीवियों ने प्रसन्नता जाहिर की है. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग के तमाम शिक्षक कर्मचारियों और छात्रों के अलावे विश्वविद्यालय के कुलपति और तमाम प्रशासनिक पदाधिकारियों ने खुशी जाहिर की है.