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Drought In Jharkhand: झारखंड में सुखाड़ का साइड इफेक्ट, वर्ष 2021 की तुलना में 33 लाख टन कम हुआ धान का उत्पादन

पिछले वर्ष मॉनसून की बेरुखी की वजह से झारखंड में धान की उपज प्रभावित हुई है. 2021 की तुलना में 33 लाख टन धान की पैदावार कम हुई है. वहीं अन्य खरीफ फसलों के उत्पादन पर भी इसका असर पड़ा है.

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Published : Feb 22, 2023, 9:53 PM IST

Updated : Feb 22, 2023, 9:59 PM IST

कृषि निदेशालय में उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा का बयान

रांची: वर्ष 2022 में झारखंड के 22 जिलों के 226 प्रखंड सुखाड़ की चपेट में थे. इस सुखाड़ का इफेक्ट यह पड़ा है कि राज्य में वर्ष 2021 की अपेक्षा धान का उत्पादन 33 लाख टन कम हुआ है. वर्ष 2021 में जहां राज्य में 53 लाख टन धान का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था. अन्य खरीफ फसलों जैसे दलहन, तिलहन, मक्का की उपज भी वर्ष 2021 की अपेक्षा काफी कम हुई है.


ये भी पढे़ं-झारखंड में सूखा का आकलन करने पहुंची केंद्रीय टीम, हेमंत सरकार ने मांगी 9250 करोड़ की मदद

झारखंड में महज 20 लाख टन ही धान का उत्पादनः 2022 में मॉनसून की बारिश कम होने की की वजह से सुखाड़ जैसे हालात में महज 20 लाख टन धान का ही उत्पादन हुआ है. सुखाड़ की वजह से वर्ष 2022 में राज्य में सिर्फ 14 लाख हेक्टेयर में ही खरीफ की खेती हो सकी. इसमें से महज आठ लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई. राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों में सुखाड़ का सीधा असर धान और अन्य खरीफ फसलों के उत्पादन पर पड़ा है.

आंकड़ों में जाने पैदावार का हालः अगर खरीफ की सभी फसल (जिसमें धान के अलावा मोटे अनाज, तिलहन, दलहन और मक्का शामिल है ) को मिलाकर देखें तो वर्ष 2021 की तुलना में किसी भी फसल की उपज 2022 में बढ़ी नहीं है, बल्कि घटी ही हैं. मक्का की उपज जहां वर्ष 2021 में 6.35 लाख टन हुआ था, वह 2022 में घटकर 2.21 लाख टन हो गया. इस तरह तिलहन का उत्पादन झारखंड राज्य में वर्ष 2021 में 8.08 लाख टन हुआ था, जो वर्ष 2022 में घटकर 3.9 लाख रह गया. तिलहन की भी कमोबेश स्थिति खराब ही रही है. वर्ष 2021 में जहां 3.98 लाख टन तिलहन की उपज हुई थी, वह वर्ष 2022 में घटकर 2.92 लाख टन रह गया है.

अन्नदाता संकट में, अब केंद्रीय सहायता मिलने का इंतजारः झारखंड में सुखाड़ ने किसानों की किस कदर कमर तोड़ी है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के 29 लाख से अधिक किसानों ने हेमंत सरकार की ओर से मिलने वाली सुखाड़ राहत की 3500 रुपए पाने के लिए आवेदन किया है. जिन किसानों ने आवेदन किया था, उनके बैंक खाते में राहत की राशि पहुंचने भी लगी है. लेकिन, यह इतनी कम है कि किसानों के लिए यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है. ऐसे में किसानों को उम्मीद अब सुखाड़ राहत के लिए केंद्र से मिलने वाली सहायता राशि पर है.

केंद्र से सुखाड़ राहत की उम्मीदः इस संबंध में कृषि निदेशालय में उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा कहते हैं कि यह सही है कि सुखाड़ के चलते राज्य में फसल का उत्पादन बहुत काफी कम हुआ है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सुखाड़ राहत टीम राज्य का दौरा कर सुखाड़ प्रभावित इलाकों का भ्रमण कर रिपोर्ट सौंप चुकी है. सुखाड़ पीड़ित किसानों को केंद्र से मिलने वाली राहत राशि से भी इनपुट सब्सिडी मिलेगी. मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि इसके साथ ही किसानों को समय पर बीज और खाद रबी फसल के लिए उपलब्ध करायी गई है.

कृषि निदेशालय में उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा का बयान

रांची: वर्ष 2022 में झारखंड के 22 जिलों के 226 प्रखंड सुखाड़ की चपेट में थे. इस सुखाड़ का इफेक्ट यह पड़ा है कि राज्य में वर्ष 2021 की अपेक्षा धान का उत्पादन 33 लाख टन कम हुआ है. वर्ष 2021 में जहां राज्य में 53 लाख टन धान का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था. अन्य खरीफ फसलों जैसे दलहन, तिलहन, मक्का की उपज भी वर्ष 2021 की अपेक्षा काफी कम हुई है.


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झारखंड में महज 20 लाख टन ही धान का उत्पादनः 2022 में मॉनसून की बारिश कम होने की की वजह से सुखाड़ जैसे हालात में महज 20 लाख टन धान का ही उत्पादन हुआ है. सुखाड़ की वजह से वर्ष 2022 में राज्य में सिर्फ 14 लाख हेक्टेयर में ही खरीफ की खेती हो सकी. इसमें से महज आठ लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई. राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों में सुखाड़ का सीधा असर धान और अन्य खरीफ फसलों के उत्पादन पर पड़ा है.

आंकड़ों में जाने पैदावार का हालः अगर खरीफ की सभी फसल (जिसमें धान के अलावा मोटे अनाज, तिलहन, दलहन और मक्का शामिल है ) को मिलाकर देखें तो वर्ष 2021 की तुलना में किसी भी फसल की उपज 2022 में बढ़ी नहीं है, बल्कि घटी ही हैं. मक्का की उपज जहां वर्ष 2021 में 6.35 लाख टन हुआ था, वह 2022 में घटकर 2.21 लाख टन हो गया. इस तरह तिलहन का उत्पादन झारखंड राज्य में वर्ष 2021 में 8.08 लाख टन हुआ था, जो वर्ष 2022 में घटकर 3.9 लाख रह गया. तिलहन की भी कमोबेश स्थिति खराब ही रही है. वर्ष 2021 में जहां 3.98 लाख टन तिलहन की उपज हुई थी, वह वर्ष 2022 में घटकर 2.92 लाख टन रह गया है.

अन्नदाता संकट में, अब केंद्रीय सहायता मिलने का इंतजारः झारखंड में सुखाड़ ने किसानों की किस कदर कमर तोड़ी है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के 29 लाख से अधिक किसानों ने हेमंत सरकार की ओर से मिलने वाली सुखाड़ राहत की 3500 रुपए पाने के लिए आवेदन किया है. जिन किसानों ने आवेदन किया था, उनके बैंक खाते में राहत की राशि पहुंचने भी लगी है. लेकिन, यह इतनी कम है कि किसानों के लिए यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है. ऐसे में किसानों को उम्मीद अब सुखाड़ राहत के लिए केंद्र से मिलने वाली सहायता राशि पर है.

केंद्र से सुखाड़ राहत की उम्मीदः इस संबंध में कृषि निदेशालय में उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा कहते हैं कि यह सही है कि सुखाड़ के चलते राज्य में फसल का उत्पादन बहुत काफी कम हुआ है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सुखाड़ राहत टीम राज्य का दौरा कर सुखाड़ प्रभावित इलाकों का भ्रमण कर रिपोर्ट सौंप चुकी है. सुखाड़ पीड़ित किसानों को केंद्र से मिलने वाली राहत राशि से भी इनपुट सब्सिडी मिलेगी. मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि इसके साथ ही किसानों को समय पर बीज और खाद रबी फसल के लिए उपलब्ध करायी गई है.

Last Updated : Feb 22, 2023, 9:59 PM IST
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