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झारखंड में खुले संस्कृत विश्वविद्यालय, RU के राष्ट्रीय संगोष्ठी में उठी मांग - झारखंड न्यूज

संस्कृत पुरानी होने साथ काफी समृद्ध भाषा मानी जाती है. हालांकि अब इसकी पढ़ाई को लेकर विद्यार्थियों की रूची कम हुई है. रांची विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में  संस्कृत के संरक्षण को लेकर विशेषज्ञों ने विचार विमर्श किए.

संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञ
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Published : Jul 15, 2019, 7:33 PM IST

रांचीः RU के संस्कृत विभाग ने राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया. जिसमें संस्कृत के संरक्षण के उद्देश्य से विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया. इस दौरान संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर भी चर्चा हुई. जिसपर मुख्यमंत्री रघुवर दास से इस संबंध में पहल करने संबंधी बात पहुंचाने की बात कही गई.

देखें पूरी खबर

रांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी कुल 4 सत्रों में आयोजित हुई. जिसमें कई शिक्षाविद शामिल हुए. मौके पर आरयू के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी, प्रति कुलपति कामिनी कुमार के अलावा संस्कृत से जुड़े कई विशेषज्ञ पहुंचे. वहीं, दूसरे राज्यों से भी कई गणमान्य इस विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए.

संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में संस्कृत साहित्य के महान नाटककार भास के ऊपर केंद्रित परिचर्चा वक्ताओं ने की. वहीं, इस दौरान एक बार फिर संस्कृत विश्वविद्यालय झारखंड में खोले जाने को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास से बात करने की बात कही गई. विशेषज्ञों ने कहा कि झारखंड में संस्कृत विश्वविद्यालय की जरूरत है. संस्कृत भाषा का प्रारंभिक ज्ञान लोग हासिल कर सके और अपनी परंपराओं और संस्कार को जीवित रख सके. इस दिशा में राज्य सरकार को सोचने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें-कोयला लदे ट्रक में लगी भीषण आग, ड्राइवर और खलासी ने कूदकर बचाई जान

इससे पहले भी संस्कृत विभाग द्वारा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम के जरिए संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर संस्कृत के विशेषज्ञों ने जोर दिया है.

रांचीः RU के संस्कृत विभाग ने राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया. जिसमें संस्कृत के संरक्षण के उद्देश्य से विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया. इस दौरान संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर भी चर्चा हुई. जिसपर मुख्यमंत्री रघुवर दास से इस संबंध में पहल करने संबंधी बात पहुंचाने की बात कही गई.

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रांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी कुल 4 सत्रों में आयोजित हुई. जिसमें कई शिक्षाविद शामिल हुए. मौके पर आरयू के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी, प्रति कुलपति कामिनी कुमार के अलावा संस्कृत से जुड़े कई विशेषज्ञ पहुंचे. वहीं, दूसरे राज्यों से भी कई गणमान्य इस विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए.

संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में संस्कृत साहित्य के महान नाटककार भास के ऊपर केंद्रित परिचर्चा वक्ताओं ने की. वहीं, इस दौरान एक बार फिर संस्कृत विश्वविद्यालय झारखंड में खोले जाने को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास से बात करने की बात कही गई. विशेषज्ञों ने कहा कि झारखंड में संस्कृत विश्वविद्यालय की जरूरत है. संस्कृत भाषा का प्रारंभिक ज्ञान लोग हासिल कर सके और अपनी परंपराओं और संस्कार को जीवित रख सके. इस दिशा में राज्य सरकार को सोचने की जरूरत है.

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इससे पहले भी संस्कृत विभाग द्वारा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम के जरिए संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर संस्कृत के विशेषज्ञों ने जोर दिया है.

Intro:रांची।


रांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग संस्कृत के बेहतरी के लिए हमेशा ही प्रयासरत रहा है. एक बार फिर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया .जहां संस्कृत के संरक्षण के उद्देश्य से विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया गया .इस दौरान संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर भी चर्चा की गई. और एक बार फिर इस संबंध में मुख्यमंत्री रघुवर दास से इस दिशा में पहल करने को लेकर बात करने की बात कही गई।


Body:रांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी कुल 4 सत्रों में आयोजित की गई .जिसमें कई शिक्षाविद शामिल हुए मौके पर आरयू के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी, प्रति कुलपति कामिनी कुमार के अलावे संस्कृत से जुड़े कई विशेषज्ञ पहुंचे . वहीं अन्य राज्यों से भी कई गणमान्य इस विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए. संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में संस्कृत साहित्य के महान नाटककार भास के ऊपर केंद्रित कर वक्ताओं द्वारा परिचर्चा की गई .वहीं इस दौरान एक बार फिर संस्कृत विश्वविद्यालय झारखंड में खोले जाने को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास से बात करने की बात कही गई .विशेषज्ञों ने कहा कि झारखंड में संस्कृत विश्वविद्यालय की जरूरत है .संस्कृत भाषा के प्रारंभिक ज्ञान लोग हासिल कर सके आर अपनी परंपराओं और संस्कार को जीवित रख सके इस दिशा में राज्य सरकार को सोचने की जरूरत है.

बाइट-अशोक प्रियदर्शी, शिक्षाविद।


Conclusion:इससे पूर्व भी संस्कृत विभाग द्वारा संस्कृत को बढ़ावा देने को लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है . इस कार्यक्रम के जरिए संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने को लेकर संस्कृत के विशेषज्ञों ने जोर दिया है और इस दिशा में सकारात्मक पहल की जानकारी भी दी गई है.
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