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नेताजी सुभाष चंद्र बोस कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी थे, जमशेदपुर से था खास नाता - SUBHASH CHANDRA BOSE

स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस कुशल मजदूर नेता भी थे. जमशेदपुर से नेताजी का गहरा नाता था.

Netaji Subhash Chandra Bose
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर और टाटा वर्कर्स यूनियन का दफ्तर. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 23, 2025, 5:03 AM IST

Updated : Jan 23, 2025, 1:28 PM IST

जमशेदपुरः नेताजी सुभाष चंद्र बोस फ्रीडम फाइटर के साथ एक कुशल मजदूर नेता भी थे. आजादी से पूर्व जमशेदपुर में स्थापित टाटा स्टील कंपनी से उनका विशेष नाता रहा है. उन्हीं की देन है कि कंपनी प्रबंधन के साथ आज भी मजदूरों का तालमेल बरकरार है.

हड़ताल खत्म कराने में निभाई थी भूमिका

देश की आजादी के लिए आजाद हिन्द फौज का निर्माण करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस कुशल मजदूर नेता भी थे. उनका नारा "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" काफी प्रभावशाली था. उनकी एक सोच के कारण जमशेदपुर में देश की आजादी से पूर्व स्थापित टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी में लंबे समय से चली आ रही मजदूरों की हड़ताल समाप्त हुई थी और आज तक कंपनी में हड़ताल नहीं हुई. अब टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी का नाम टाटा स्टील है.

सुभाष चंद्र बोस का जमशेदपुर कनेक्शन पर रिपोर्ट और जानकारी देते टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम. (वीडियो-ईटीवी भारत)

1928 में सुभाष चंद्र बोस जमशेदपुर पहुंचे थे

आपको बता दें कि कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के लिए साल 1920 में एसएन हलधर के नेतृत्व में लेबर एसोसिएशन का गठन हुआ था. उस दौरान कंपनी में मजदूरों की हड़ताल का सिलसिला जारी था. हालात को देखते हुए महात्मा गांधी ने नेताजी को जमशेदपुर भेजा. 18 अगस्त 1928 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जमशेदपुर पहुंचे थे.

लेबर एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं नेताजी

20 अगस्त को सर्वसम्मति से उन्हें लेबर एसोसिएशन का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया. नेताजी सुभाष चंद्र बोस लेबर एसोसिएशन के तीसरे अध्यक्ष बने. 1928 से लेकर 1937 तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के लेबर एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर बने रहे. जिसका नाम अब टाटा वर्कर्स यूनियन है.

नेताजी के नेतृत्व में हुई थी मजदूरों की सभा

बिष्टुपुर का जी टाउन मैदान आज भी गवाह है जहां नेताजी के नेतृत्व में अंतिम बार हड़ताली मजदूरों के साथ सभा हुई थी और हड़ताल समाप्त हुई थी. उन्होंने कहा था कि हड़ताल समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने कहा था कंपनी में विदेशी प्रशासक होने के कारण आपसी तालमेल में कमी है.

उन्होंने कंपनी में भारतीय प्रशासक की नियुक्ति की पहल की. साथ ही मजदूरों और प्रबंधन के हित में कई ऐसे फैसले लिए जिससे मजदूरों और प्रबंधन दोनों को लाभ मिला, जो आज तक कायम है. टाटा वर्कर्स यूनियन भवन में आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कार्यकाल का दस्तावेज उनके लिखे पत्र आज भी संजो कर रखे गए हैं.

टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष ने दी जानकारी

इस संबंध में टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम ने नेताजी के कार्यकाल की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए बताया कि टाटा वर्कर्स यूनियन नेताजी की जयंती को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाता है.उन्होंने बताया कि नेताजी के कमान संभालते ही कंपनी प्रबंधन को नरम रुख अख्तियार करना पड़ा था और नेता जी द्वारा उठाई गई मांगों को प्राथमिकता देते हुए कंपनी प्रबंधन के बीच 12 सितंबर 1928 को सम्मानजनक समझौता हुआ था. जिसके बाद मजदूरों की हड़ताल खत्म हुई थी.

इधर, राष्ट्रीय गतिविधियों में लिप्त होने कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कई बार जेल भी जाना पड़ा और वे विदेश भी जाते रहे. लेकिन लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व उन्होंने बेहतर तरीके से किया था. नेताजी ने 1928 से 1937 तक लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व करते हुए टाटा कंपनी के उच्च पदों पर विदेशी अफसरों के स्थान पर सक्षम भारतीय को पदस्थापित करने का दबाव बनाया था, जो आज भी कायम है.

कुशल ट्रेड यूनियन लीडर थे नेताजी

नेताजी के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए जिस पर आगे जाकर कानून बनाया गया और आज मजदूरों और प्रबंधन के बीच बेहतर संबंध स्थापित है. बोनस, सेवा की सुरक्षा, पीएफ, मजदूरों के लिए बूट, दस्ताने, एप्रोन, चश्मा जैसे उपकरण की व्यवस्था के अलावा कई प्रस्ताव पर समझौता उनके कार्यकाल में हुआ था. हमारे लिए गर्व की बात है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस टाटा स्टील के वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं. लोग नेताजी को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानते हैं, लेकिन नेताजी एक कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी थे.

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जमशेदपुरः नेताजी सुभाष चंद्र बोस फ्रीडम फाइटर के साथ एक कुशल मजदूर नेता भी थे. आजादी से पूर्व जमशेदपुर में स्थापित टाटा स्टील कंपनी से उनका विशेष नाता रहा है. उन्हीं की देन है कि कंपनी प्रबंधन के साथ आज भी मजदूरों का तालमेल बरकरार है.

हड़ताल खत्म कराने में निभाई थी भूमिका

देश की आजादी के लिए आजाद हिन्द फौज का निर्माण करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस कुशल मजदूर नेता भी थे. उनका नारा "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" काफी प्रभावशाली था. उनकी एक सोच के कारण जमशेदपुर में देश की आजादी से पूर्व स्थापित टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी में लंबे समय से चली आ रही मजदूरों की हड़ताल समाप्त हुई थी और आज तक कंपनी में हड़ताल नहीं हुई. अब टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी का नाम टाटा स्टील है.

सुभाष चंद्र बोस का जमशेदपुर कनेक्शन पर रिपोर्ट और जानकारी देते टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम. (वीडियो-ईटीवी भारत)

1928 में सुभाष चंद्र बोस जमशेदपुर पहुंचे थे

आपको बता दें कि कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के लिए साल 1920 में एसएन हलधर के नेतृत्व में लेबर एसोसिएशन का गठन हुआ था. उस दौरान कंपनी में मजदूरों की हड़ताल का सिलसिला जारी था. हालात को देखते हुए महात्मा गांधी ने नेताजी को जमशेदपुर भेजा. 18 अगस्त 1928 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जमशेदपुर पहुंचे थे.

लेबर एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं नेताजी

20 अगस्त को सर्वसम्मति से उन्हें लेबर एसोसिएशन का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया. नेताजी सुभाष चंद्र बोस लेबर एसोसिएशन के तीसरे अध्यक्ष बने. 1928 से लेकर 1937 तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के लेबर एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर बने रहे. जिसका नाम अब टाटा वर्कर्स यूनियन है.

नेताजी के नेतृत्व में हुई थी मजदूरों की सभा

बिष्टुपुर का जी टाउन मैदान आज भी गवाह है जहां नेताजी के नेतृत्व में अंतिम बार हड़ताली मजदूरों के साथ सभा हुई थी और हड़ताल समाप्त हुई थी. उन्होंने कहा था कि हड़ताल समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने कहा था कंपनी में विदेशी प्रशासक होने के कारण आपसी तालमेल में कमी है.

उन्होंने कंपनी में भारतीय प्रशासक की नियुक्ति की पहल की. साथ ही मजदूरों और प्रबंधन के हित में कई ऐसे फैसले लिए जिससे मजदूरों और प्रबंधन दोनों को लाभ मिला, जो आज तक कायम है. टाटा वर्कर्स यूनियन भवन में आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कार्यकाल का दस्तावेज उनके लिखे पत्र आज भी संजो कर रखे गए हैं.

टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष ने दी जानकारी

इस संबंध में टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम ने नेताजी के कार्यकाल की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए बताया कि टाटा वर्कर्स यूनियन नेताजी की जयंती को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाता है.उन्होंने बताया कि नेताजी के कमान संभालते ही कंपनी प्रबंधन को नरम रुख अख्तियार करना पड़ा था और नेता जी द्वारा उठाई गई मांगों को प्राथमिकता देते हुए कंपनी प्रबंधन के बीच 12 सितंबर 1928 को सम्मानजनक समझौता हुआ था. जिसके बाद मजदूरों की हड़ताल खत्म हुई थी.

इधर, राष्ट्रीय गतिविधियों में लिप्त होने कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कई बार जेल भी जाना पड़ा और वे विदेश भी जाते रहे. लेकिन लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व उन्होंने बेहतर तरीके से किया था. नेताजी ने 1928 से 1937 तक लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व करते हुए टाटा कंपनी के उच्च पदों पर विदेशी अफसरों के स्थान पर सक्षम भारतीय को पदस्थापित करने का दबाव बनाया था, जो आज भी कायम है.

कुशल ट्रेड यूनियन लीडर थे नेताजी

नेताजी के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए जिस पर आगे जाकर कानून बनाया गया और आज मजदूरों और प्रबंधन के बीच बेहतर संबंध स्थापित है. बोनस, सेवा की सुरक्षा, पीएफ, मजदूरों के लिए बूट, दस्ताने, एप्रोन, चश्मा जैसे उपकरण की व्यवस्था के अलावा कई प्रस्ताव पर समझौता उनके कार्यकाल में हुआ था. हमारे लिए गर्व की बात है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस टाटा स्टील के वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं. लोग नेताजी को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानते हैं, लेकिन नेताजी एक कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी थे.

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Last Updated : Jan 23, 2025, 1:28 PM IST
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