रांचीः देशभर के आदिवासी मूल के डिजाइनरों ने जनजातीय विरासत पर आधारित एक ऑनलाइन क्विज का आयोजन कर अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस को सेलिब्रेट किया. क्विज में आदिवासी संस्कृति, इतिहास, भूगोल, संग्रहालय, कला, वास्तुकला, संगीत, नृत्य, वस्त्र, व्यंजन, भाषा, लिपियां, साहित्य और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया था. इस प्रतियोगिता का समापन रांची विश्वविद्यालय के अभिजीत मुंडा ने अपने जीत के साथ किया. अभिजीत ने गोवा के तीन दिन के टूर पैकेज का पुरस्कार जीता है. इस खर्च का भुगतान इंडिया टूरिज्म मुंबई की ओर से किया जाएगा. इस यात्रा पैकेज का लाभ एक कैलेंडर वर्ष के भीतर अभिजीत ले सकते हैं.
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इंडिया टूरिज्म मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक (पश्चिम और मध्य) क्षेत्र, वेंकटेसन दत्तात्रेयन ने कहा कि हमें ऐसी पहल का समर्थन करने में प्रसन्नता हो रही है, जो हमें भारत की विशाल विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को फिर से खोजने में मदद करती है. उन्होंने कहा कि जनजातीय डिजाइन फोरम की प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का समर्थन करने से हमें गोवा और झारखंड के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाने के लिए एक और दूसरा मंच मिला है. भारत सरकार की एक भारत, श्रेष्ठ भारत पहल के तहत दो राज्यों को जोड़ा गया है.
वर्षा मारियो को मिला दूसरा पुरस्कार
इस प्रतियोगिता का दूसरा पुरस्कार अहमदाबाद के राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान की प्रदर्शनी डिजाइन की छात्रा वर्षा मारियो कच्छप ने जीता. उन्होंने नागालैंड में स्वदेशी खियामनीउंगन समुदाय द्वारा बास्ट फाइबर से बने अनोखे दस्तकारी टोट बैग जीते. यह पुरस्कार नागालैंड में स्टूडियो प्रिडिलिक्शन की मार्गरेट जिन्यू द्वारा प्रायोजित किया गया था.
टेक्सटाइल डिजाइनर को मिला तीसरा पुरस्कार
तीसरा पुरस्कार अहमदाबाद के राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान की टेक्सटाइल डिजाइन की छात्रा कनिष्ठा कुजूर ने जीता. उन्होंने उत्तराखंड में थारू जनजाति द्वारा जंगली बेड ग्रास से तैयार की गई सजावटी प्लेट्स का एक सेट जीता. यह पुरस्कार उत्तराखंड में टितकू डिजाइन स्टूडियो की प्रियंका टोलिया द्वारा प्रायोजित किया गया था.
उत्पादों को दिया जाता है बढ़ावा
प्रश्नोत्तरी ना केवल भारत में आदिवासी समुदायों की समृद्ध संस्कृति के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए एक मंच था, बल्कि देश भर से अद्वितीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया गया था. इन उत्पादों को आदिवासी डिजाइनरों द्वारा डिजाइन और देवनागरी कारीगरों द्वारा दस्तकारी किया गया था.
आदिवासी डिजाइनरों को एक ऑनलाइन समुदाय
जनजातीय डिजाइन फोरम आदिवासी मूल के डिजाइनरों का एक ऑनलाइन समुदाय है, जो भारत में आदिवासी समुदायों के विकास में डिजाइन की भूमिका पर विचारों और सीखों को साझा करने के लिए मिलता है. प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के आयोजक और जनजातीय डिजाइन फोरम के संयोजक सुधीर जॉन होरो ने बताया कि हमारे देश की समृद्ध आदिवासी विरासत के बारे में जागरूकता पैदा करने में प्रश्नोत्तरी एक अच्छा अनुभव था.
किया जाता है डिजाइनरों को प्रेरित
ट्राइबल (जन जातीय) डिजाइन फोरम आदिवासी मूल के डिजाइनरों को प्रेरित करने और भारत में आदिवासी समुदायों की बेहतरी के लिए डिजाइन का अभ्यास करने और उनके लिए एक बेहतर मंच बनाने का प्रयास करता है.