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विद्यार्थियों के लिए सड़क पर उतरेंगे गुरुजी, असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली ड्राफ्ट का करेंगे विरोध

विश्वविद्यालयों के शिक्षक झारखंड की असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली ड्राफ्ट के विरोध में उतर आए हैं. उनका कहना है नई नियमावली से झारखंड के विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वालों की नियुक्ति मुश्किल हो जाएगी. इससे यहां के विद्यार्थियों का नुकसान होगा. इस कारण से विद्यार्थियों के समर्थन में विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है.

objection to Jharkhand Assistant Professor Appointment Manual Draft
असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली ड्राफ्ट का विरोध
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Published : Jul 20, 2022, 5:50 PM IST

रांची: यूजीसी के नियमों से इतर झारखंड की असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली ड्राफ्ट का विरोध शुरू हो गया है. झारखंड के विश्वविद्यालय शिक्षकों ने इसके कई प्रावधानों पर एतराज जताया है. उनका कहना है इससे यहां के विद्यार्थियों, शोधार्थियों, घंटी आधारित शिक्षकों को नुकसान होगा. खास तौर पर नैक से ए+/ए++ ग्रेडिंग वाले विवि से पीएचडी पर ही 30 अंक के नियम से शिक्षकों में असंतोष है. इसके विरोध में शिक्षकों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है.

ये भी पढ़ें-झारखंड के प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, 20 सालों से नहीं हुई है नियुक्ति

दरअसल, उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने यूजीसी के नियमावली में बदलाव करते हुए अपनी नियमावली ड्राफ्ट तैयार किया है. इसमें राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए दिए जाने वाले अंक में बदलाव किया गया है. इसके तहत देश के टॉप हंड्रेड शिक्षण संस्थानों या ए प्लस, ए प्लस प्लस ग्रेडिंग प्राप्त यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को पीएचडी के लिए 30 अंक दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है, जबकि शिक्षकों का कहना है कि झारखंड में टॉप हंड्रेड में एक भी यूनिवर्सिटी नहीं है. इस तरह यहां चोर दरवाजे से दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता खोला जा रहा है. शिक्षकों का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग की नई नियमावली में देश के टॉप 200 यूनिवर्सिटी या नैक से ए, बी प्लस प्लस (A/B++) से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को पीएचडी के लिए 15 अंक दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है. इससे भी राज्य के अभ्यर्थियों का नुकसान होगा.

असिस्टेंट प्रोफेसर यूनियन के अध्यक्ष निरंजन कुमार महतो का बयान

राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई नियमावली में प्रावधान किया जा रहा है कि जिस विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन नहीं कराया है, या नैक की ग्रेडिंग नहीं है उनके अभ्यर्थियों को 5 अंक ही दिए जाएंगे. इससे पहले पीएचडी करने वाले सभी अभ्यर्थियों को समान रूप से 30 अंक दिए जाते थे और यह देश के विभिन्न राज्यों में लागू भी है. लेकिन यूजीसी की इस गाइडलाइन को दरकिनार कर राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने इसे संशोधित करते हुए अपनी नियमावली बनाई है, जिससे यहां के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और घंटी आधारित शिक्षकों को नुकसान होगा. इसके विरोध में गुरुवार को राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में तालाबंदी की जाएगी. इसी कड़ी में डीएसपीएमयू और रांची विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफसर(लेक्चरर) आरयू और डीएसपीएमयू के वीसी से मुलाकात कर मामले पर संज्ञान लेने की मांग की है .वहीं गुरुवार से आंदोलन को तेज करने की बात भी कही गई है.

विरोध कर रहे शिक्षकों का कहना है कि इसमें झारखंड के विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मुश्किल हो जाएगा. इसके बाद कोई भी छात्र यहां के विश्वविद्यालयों से पीएचडी नहीं करना चाहेगा. पीएचडी की मान्यता देश के सभी विश्वविद्यालयों में होती है .ऐसे में नैक ग्रेडिंग के आधार पर अंकों का निर्धारण कहीं से भी उचित नहीं है. नई नियमावली के इस प्रावधान का सीधा प्रभाव राज्य के विश्वविद्यालयों से पीएचडी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों पर पड़ेगा. घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों पर होगा.


कैबिनेट से कराना होगा पासः बताते चलें कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए नियुक्ति नियम के ड्राफ्ट को राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को भेजा गया है. इसके बाद विरोध शुरू हो गया है. हालांकि अभी इस नियमावली को पास करने में उच्च शिक्षा विभाग को समय लगेगा. क्योंकि विभिन्न विश्वविद्यालयों के एकेडमिक काउंसिल और सिंडिकेट की बैठक में इसे पारित करना होगा .फिर कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी.

रांची: यूजीसी के नियमों से इतर झारखंड की असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली ड्राफ्ट का विरोध शुरू हो गया है. झारखंड के विश्वविद्यालय शिक्षकों ने इसके कई प्रावधानों पर एतराज जताया है. उनका कहना है इससे यहां के विद्यार्थियों, शोधार्थियों, घंटी आधारित शिक्षकों को नुकसान होगा. खास तौर पर नैक से ए+/ए++ ग्रेडिंग वाले विवि से पीएचडी पर ही 30 अंक के नियम से शिक्षकों में असंतोष है. इसके विरोध में शिक्षकों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है.

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दरअसल, उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने यूजीसी के नियमावली में बदलाव करते हुए अपनी नियमावली ड्राफ्ट तैयार किया है. इसमें राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए दिए जाने वाले अंक में बदलाव किया गया है. इसके तहत देश के टॉप हंड्रेड शिक्षण संस्थानों या ए प्लस, ए प्लस प्लस ग्रेडिंग प्राप्त यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को पीएचडी के लिए 30 अंक दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है, जबकि शिक्षकों का कहना है कि झारखंड में टॉप हंड्रेड में एक भी यूनिवर्सिटी नहीं है. इस तरह यहां चोर दरवाजे से दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता खोला जा रहा है. शिक्षकों का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग की नई नियमावली में देश के टॉप 200 यूनिवर्सिटी या नैक से ए, बी प्लस प्लस (A/B++) से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को पीएचडी के लिए 15 अंक दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है. इससे भी राज्य के अभ्यर्थियों का नुकसान होगा.

असिस्टेंट प्रोफेसर यूनियन के अध्यक्ष निरंजन कुमार महतो का बयान

राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई नियमावली में प्रावधान किया जा रहा है कि जिस विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन नहीं कराया है, या नैक की ग्रेडिंग नहीं है उनके अभ्यर्थियों को 5 अंक ही दिए जाएंगे. इससे पहले पीएचडी करने वाले सभी अभ्यर्थियों को समान रूप से 30 अंक दिए जाते थे और यह देश के विभिन्न राज्यों में लागू भी है. लेकिन यूजीसी की इस गाइडलाइन को दरकिनार कर राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने इसे संशोधित करते हुए अपनी नियमावली बनाई है, जिससे यहां के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और घंटी आधारित शिक्षकों को नुकसान होगा. इसके विरोध में गुरुवार को राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में तालाबंदी की जाएगी. इसी कड़ी में डीएसपीएमयू और रांची विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफसर(लेक्चरर) आरयू और डीएसपीएमयू के वीसी से मुलाकात कर मामले पर संज्ञान लेने की मांग की है .वहीं गुरुवार से आंदोलन को तेज करने की बात भी कही गई है.

विरोध कर रहे शिक्षकों का कहना है कि इसमें झारखंड के विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मुश्किल हो जाएगा. इसके बाद कोई भी छात्र यहां के विश्वविद्यालयों से पीएचडी नहीं करना चाहेगा. पीएचडी की मान्यता देश के सभी विश्वविद्यालयों में होती है .ऐसे में नैक ग्रेडिंग के आधार पर अंकों का निर्धारण कहीं से भी उचित नहीं है. नई नियमावली के इस प्रावधान का सीधा प्रभाव राज्य के विश्वविद्यालयों से पीएचडी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों पर पड़ेगा. घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों पर होगा.


कैबिनेट से कराना होगा पासः बताते चलें कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए नियुक्ति नियम के ड्राफ्ट को राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को भेजा गया है. इसके बाद विरोध शुरू हो गया है. हालांकि अभी इस नियमावली को पास करने में उच्च शिक्षा विभाग को समय लगेगा. क्योंकि विभिन्न विश्वविद्यालयों के एकेडमिक काउंसिल और सिंडिकेट की बैठक में इसे पारित करना होगा .फिर कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी.

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