रांची: रिम्स में सस्ती दर पर दवा मुहैया कराने वाली 'दवाई दोस्त' (Dawai Dost) दुकान को अगले महीने तक बंद करने का नोटिस जारी किया गया है. इसे लेकर संचालक ने रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप (Dr. Vivek Kashyap) से बुधवार को उनके कार्यालय में मुलाकात की. दवाई दोस्त के संचालक राज बारोलिया ने बताया कि हमलोग दवाई दोस्त का संचालन समाज सेवा के रूप में कर रहे हैं, यहां पर कोई भी दवा परचेजिंग रेट (Purchase Rate) से अधिक दाम पर नहीं बेची जाती है.
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राज बारोलिया ने कहा कि अगर दवा पर एमआरपी हजार रुपये की है और उसे हम 200 रुपए में खरीद रहे हैं तो हमारी दवाई दोस्त दुकान रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों को 200 रुपए में ही दवा मुहैया करा रही है, उसके बावजूद भी रिम्स प्रबंधन हमारे कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है, जो सोच से परे है. राज बारोलिया बताते हैं कि रिम्स में स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन के आदेश के अनुसार ही दुकान का संचालन किया जा रहा है.
2015 से दवाई दोस्त का संचालन
दवाई दोस्त के संचालक ने बताया कि 2015 से लगातार मरीजों को दवा परचेजिंग रेट पर बेची जा रही है, जिसमें मुनाफा नहीं है, फिर भी अगर रिम्स प्रबंधन को लगता है कि मरीजों को इससे लाभ नहीं मिलता और हमसे बेहतर कोई सुविधा दे सकता है तो हम दुकान छोड़ने के लिए तैयार हैं. स्वास्थ्य विभाग और रिम्स प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए राज बरोलिया ने कहा कि कोरोना काल में जिला प्रशासन के आदेश के बाद ही हमने सेनेटाइजर का वितरण शुरू किया था, उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के ड्रग कंट्रोल के अधिकारियों ने छापेमारी कर दूसरे दुकान जो रिम्स प्रबंधन के द्वारा ही उपलब्ध करवाई गई थी, उसे सील कर दिया गया.
जन औषधि केंद्र के टेंडर की प्रक्रिया में तेजी
वहीं ईटीवी भारत की टीम ने जब इस मामले को लेकर रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप से बात की तो उन्होंने बताया कि दवाई दोस्त रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों के लिए बेहतर विकल्प है, इसीलिए इसके बंद होने से पहले रिम्स प्रबंधन वैकल्पिक व्यवस्था का इंतजाम कर रहा है, साथ ही साथ जन औषधि केंद्र के टेंडर की प्रक्रिया भी तेजी से शुरू कर दी गई है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले एक महीने में ही रिम्स प्रबंधन की ओर से दवाई दोस्त के तरह ही अस्पताल परिसर में मरीजों के लिए सस्ती दवा उपलब्ध कराने का इंतजाम किया जाएगा, ताकि किसी भी कीमत पर मरीजों को परेशानी ना हो.
मरीज ने रिम्स प्रबंधन पर उठाया सवाल
वहीं दवाई दोस्त दुकान से दवा खरीदने आए मरीज ने बताया कि यह दुकान हम गरीब मरीजों के लिए काफी बेहतर है, अगर रिम्स प्रबंधन इस दुकान को बंद करना चाहता है तो इससे प्रतीत होता है कि निश्चित रूप से रिम्स प्रबंधन गरीब मरीजों के सुविधा को नजर अंदाज करना चाहती है. झारखंड हाई कोर्ट ने भी रिम्स प्रबंधन से दवाई दोस्त के संचालन होने की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी.