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नीतीश का हेमंत को जवाब, 'राजनैतिक लाभ के लिए ऐसी बोली ठीक नहीं' - Jharkhand separates from Bihar

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने कहा कि पता नहीं झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) ने भाषा को लेकर ऐसी बातें क्यों कही. सीएम ने कहा कि हो सकता है इससे उनको कोई राजनीतिक लाभ हो, लेकिन हमलोगों के मन में झारखंड के प्रति पूरा प्रेम और सम्मान है.

Bhojpuri and Magahi language
नीतीश और हेमंत
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Published : Sep 20, 2021, 5:18 PM IST

Updated : Sep 20, 2021, 6:13 PM IST

पटना: भोजपुरी और मगही भाषा (Bhojpuri and Magahi Language) को लेकर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) के आपत्तिजनक बयान पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के लोगों के मन में एक-दूसरे के प्रति अटूट प्रेम और श्रद्धा है, लेकिन पता नहीं क्यों राजनीतिक तौर पर लोग ऐसी बातें क्यों बोलते हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के लोग भी झारखंड के लोगों से बहुत स्नेह करते हैं और झारखंड के लोग भी बिहार के लोगों से उतना ही प्रेम करते हैं. उन्होंने कहा कि आखिर दोनों राज्य तो पहले एक ही था ना, 2000 में ना अलग राज्य बना है. आज भी झारखंड और बिहार में किसी तरह का कोई अलगाव नहीं हुआ है.

बिहार के सीएम नीतीश कुमार

ये भी पढ़ें- भोजपुरी-मगही को लेकर सीएम हेमंत का बड़ा बयान, झारखंड-बिहार की राजनीति गरमाई

सीएम ने कहा कि कोई भी लैग्वेंज बोलने वाला किसी एक ही जगह नहीं रहता है. यूपी में बिहार की भाषा, बिहार में बंगाल की भाषा और इसी तरह हर जगह अलग-अलग लैग्वेंज बोलने वाले लोग रहते हैं. ऐसे में भाषा पर कुछ भी टिप्पणी करते रहना ठीक बात नहीं है.

नीतीश कुमार ने कहा कि भाषा को लेकर बोलने से पहले सोचना चाहिए. मेरी समझ में ये सब ठीक नहीं है, लेकिन सबकी अपनी इच्छा है. पता नहीं शायद उनको (हेमंत सोरेन) इसका कोई लाभ मिलने वाला है तो लाभ लेते रहें. हम लोग ऐसी बातें बिल्कुल नहीं सोचते. हम सब के मन में झारखंड के लिए प्रेम और सम्मान का भाव है.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री के बचाव में आए मंत्री मिथिलेश ठाकुरः कहा- सीएम ने आंदोलनकाल की बात कही थी आज की नहीं

सीएम हेमंत का बयान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जनचातीय समाज ने झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ी है. वह अपनी क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा की बदौलत लड़ी है, ना कि भोजपुरी और हिंदी की बदौलत. उन्होंने कहा था कि वो किसी भी हालत में झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे. जो लोग भोजपुरी या मगही बोलते हैं, वे लोग डोमिनेटेड पर्सन्स हैं. भोजपुरी और मगही रिजनल लैंग्वेज ना होकर बाहरी लैंग्वेज है.

कांग्रेस नेता का विरोध

कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने सीएम के कथन का विरोध करते हुए कहा कि देश में कमोबेश सभी भाषाओं में गालियां दी जाती हैं, तो क्या इससे राष्ट्रीय या क्षेत्रीय भाषा का दर्जा छीन लिया जाएगा? सीएम ने माना कि भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली बिहार की भाषा है, तो बंगला और उड़िया भी ओड़िशा और बंगाल की भाषा है. फिर इस आधार पर भाषा का मानक कैसे तय किया जा सकता है?

ये भी पढ़ें- भाषा विवादः सीएम पर सीधी टिप्पणी करने से बचे तेजस्वी, कहा- हर भाषा की होती है अपनी खूबसूरती

तेजस्वी की प्रतिक्रिया

इस मसले पर तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोनों भाषाओं को लेकर क्या कहा है. लगे हाथ उन्होंने यह जरूर कह दिया कि देश में तरह-तरह की भाषाएं बोली जाती हैं. उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक लोगों की अलग-अलग भाषा है. अलग-अलग खानपान है और यही हमारी खूबसूरती है. उन्होंने कहा कि हर भाषा का अपना एक अलग अंदाज होता है. उसकी अपनी एक अलग खूबसूरती होती है. तेजस्वी यादव ने कहा कि कोई भी भाषा किसी की खराबी नहीं करती है. बिहार में चार पांच भाषाएं हैं. झारखंड में भी कई भाषाएं होंगी. सबकी अपनी खासियत होती है.

बाबूलाल ने बयान को बताया गलत

बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से खासकर मगही और भोजपुरी भाषा को लेकर पिछले दिनों दिए गए बयान को लेकर आपत्ति प्रकट की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को छोटी से छोटी भाषा का भी सम्मान करना चाहिए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा मगही और भोजपुरी भाषा को लेकर दिया गया बयान कहीं से भी उचित नहीं है.

'बांटो और राज करो की नीति पर चल रहे हैं हेमंत सोरेन'

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले पर कहा कि झारखंड में आज बचकाना नेतृत्व कार्यरत है. भोजपुरी-मगही भाषी लोगों के प्रति मुख्यमंत्री का यह बयान दुखद है. उनके गठबंधन को वोट देने वाले लोगों को आज दुख जरूर हो रहा होगा. हेमंत सोरेन जी को भोजपुरी और मगही बाहरी भाषा लगती है, लेकिन उर्दू अपनी लगती है. हेमंत सरकार ने पहले हिंदी-संस्कृत और अब भोजपुरी-मगही का अपमान किया है. मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि भोजपुरी-मगही से झारखंड का बिहारीकरण हो रहा है तो क्या उर्दू से झारखंड के इस्लामीकरण की तैयारी है. पांच लाख नौकरी देने का वादा करके सत्ता में आयी हेमंत सरकार ध्यान भटकाने की कला में पारंगत है. इसलिए मुद्दों से ध्यान भटकाने का खेल खेल रहे हैं. संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन को यह समझने की जरूरत है कि वे झारखंड के साढ़े तीन करोड़ लोगों के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन वे उसी संविधान की तिलांजलि देने पर तुले हैं.

ये भी पढ़ें- भाषा विवादः हेमंत सरकार को बाबूलाल की नसीहत, फॉर्मूला तैयार कर काम करे सरकार

बचाव में आगे आए मंत्री

मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री झारखंड आंदोलन के समय की स्थिति और परिस्थिति के बारे में बता रहे हैं, जिसे तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब झारखंड स्वतंत्र राज्य के रुप में है तो इसकी पहचान बिहार से अलग तो होगा ही. मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कुछ भी ऐसी बात नहीं कहा है, जिससे इतना भू-चाल आ जाए. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने मगही, भोजपुरी, मैथिली भाषा को नियोजन नीति में शामिल नहीं होने के बाद उठे विवाद पर कहा कि सरकार सभी को लेकर चलेगी और इसपर विचार किया जा रहा है.

2013-14 में भी हुआ था भाषा विवाद

उल्लेखनीय है कि 2013-14 में हेमंत सरकार में मंत्री रहे केएन त्रिपाठी से भाषा विवाद पर राज्य की तत्कालीन शिक्षा मंत्री से मगही-भोजपुरी भाषा को लेकर मतभेद हुए थे. उस समय झारखंड कांग्रेस के प्रभारी रहे बीके हरिप्रसाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर झारखंड कांग्रेस मुख्यालय में दिनभर बैठक चली थी. बैठक में यह भाषा विवाद पर विराम लगाते हुए मगही और भोजपुरी भाषाओं को परीक्षाओं में शामिल करने का फैसला हुआ था. उन्हें यह याद रखना चाहिए, क्योंकि उस समय भी सीएम हेमंत सोरेन ही थे.

पटना: भोजपुरी और मगही भाषा (Bhojpuri and Magahi Language) को लेकर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) के आपत्तिजनक बयान पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के लोगों के मन में एक-दूसरे के प्रति अटूट प्रेम और श्रद्धा है, लेकिन पता नहीं क्यों राजनीतिक तौर पर लोग ऐसी बातें क्यों बोलते हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के लोग भी झारखंड के लोगों से बहुत स्नेह करते हैं और झारखंड के लोग भी बिहार के लोगों से उतना ही प्रेम करते हैं. उन्होंने कहा कि आखिर दोनों राज्य तो पहले एक ही था ना, 2000 में ना अलग राज्य बना है. आज भी झारखंड और बिहार में किसी तरह का कोई अलगाव नहीं हुआ है.

बिहार के सीएम नीतीश कुमार

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सीएम ने कहा कि कोई भी लैग्वेंज बोलने वाला किसी एक ही जगह नहीं रहता है. यूपी में बिहार की भाषा, बिहार में बंगाल की भाषा और इसी तरह हर जगह अलग-अलग लैग्वेंज बोलने वाले लोग रहते हैं. ऐसे में भाषा पर कुछ भी टिप्पणी करते रहना ठीक बात नहीं है.

नीतीश कुमार ने कहा कि भाषा को लेकर बोलने से पहले सोचना चाहिए. मेरी समझ में ये सब ठीक नहीं है, लेकिन सबकी अपनी इच्छा है. पता नहीं शायद उनको (हेमंत सोरेन) इसका कोई लाभ मिलने वाला है तो लाभ लेते रहें. हम लोग ऐसी बातें बिल्कुल नहीं सोचते. हम सब के मन में झारखंड के लिए प्रेम और सम्मान का भाव है.

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सीएम हेमंत का बयान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जनचातीय समाज ने झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ी है. वह अपनी क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा की बदौलत लड़ी है, ना कि भोजपुरी और हिंदी की बदौलत. उन्होंने कहा था कि वो किसी भी हालत में झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे. जो लोग भोजपुरी या मगही बोलते हैं, वे लोग डोमिनेटेड पर्सन्स हैं. भोजपुरी और मगही रिजनल लैंग्वेज ना होकर बाहरी लैंग्वेज है.

कांग्रेस नेता का विरोध

कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने सीएम के कथन का विरोध करते हुए कहा कि देश में कमोबेश सभी भाषाओं में गालियां दी जाती हैं, तो क्या इससे राष्ट्रीय या क्षेत्रीय भाषा का दर्जा छीन लिया जाएगा? सीएम ने माना कि भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली बिहार की भाषा है, तो बंगला और उड़िया भी ओड़िशा और बंगाल की भाषा है. फिर इस आधार पर भाषा का मानक कैसे तय किया जा सकता है?

ये भी पढ़ें- भाषा विवादः सीएम पर सीधी टिप्पणी करने से बचे तेजस्वी, कहा- हर भाषा की होती है अपनी खूबसूरती

तेजस्वी की प्रतिक्रिया

इस मसले पर तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोनों भाषाओं को लेकर क्या कहा है. लगे हाथ उन्होंने यह जरूर कह दिया कि देश में तरह-तरह की भाषाएं बोली जाती हैं. उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक लोगों की अलग-अलग भाषा है. अलग-अलग खानपान है और यही हमारी खूबसूरती है. उन्होंने कहा कि हर भाषा का अपना एक अलग अंदाज होता है. उसकी अपनी एक अलग खूबसूरती होती है. तेजस्वी यादव ने कहा कि कोई भी भाषा किसी की खराबी नहीं करती है. बिहार में चार पांच भाषाएं हैं. झारखंड में भी कई भाषाएं होंगी. सबकी अपनी खासियत होती है.

बाबूलाल ने बयान को बताया गलत

बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से खासकर मगही और भोजपुरी भाषा को लेकर पिछले दिनों दिए गए बयान को लेकर आपत्ति प्रकट की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को छोटी से छोटी भाषा का भी सम्मान करना चाहिए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा मगही और भोजपुरी भाषा को लेकर दिया गया बयान कहीं से भी उचित नहीं है.

'बांटो और राज करो की नीति पर चल रहे हैं हेमंत सोरेन'

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले पर कहा कि झारखंड में आज बचकाना नेतृत्व कार्यरत है. भोजपुरी-मगही भाषी लोगों के प्रति मुख्यमंत्री का यह बयान दुखद है. उनके गठबंधन को वोट देने वाले लोगों को आज दुख जरूर हो रहा होगा. हेमंत सोरेन जी को भोजपुरी और मगही बाहरी भाषा लगती है, लेकिन उर्दू अपनी लगती है. हेमंत सरकार ने पहले हिंदी-संस्कृत और अब भोजपुरी-मगही का अपमान किया है. मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि भोजपुरी-मगही से झारखंड का बिहारीकरण हो रहा है तो क्या उर्दू से झारखंड के इस्लामीकरण की तैयारी है. पांच लाख नौकरी देने का वादा करके सत्ता में आयी हेमंत सरकार ध्यान भटकाने की कला में पारंगत है. इसलिए मुद्दों से ध्यान भटकाने का खेल खेल रहे हैं. संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन को यह समझने की जरूरत है कि वे झारखंड के साढ़े तीन करोड़ लोगों के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन वे उसी संविधान की तिलांजलि देने पर तुले हैं.

ये भी पढ़ें- भाषा विवादः हेमंत सरकार को बाबूलाल की नसीहत, फॉर्मूला तैयार कर काम करे सरकार

बचाव में आगे आए मंत्री

मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री झारखंड आंदोलन के समय की स्थिति और परिस्थिति के बारे में बता रहे हैं, जिसे तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब झारखंड स्वतंत्र राज्य के रुप में है तो इसकी पहचान बिहार से अलग तो होगा ही. मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कुछ भी ऐसी बात नहीं कहा है, जिससे इतना भू-चाल आ जाए. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने मगही, भोजपुरी, मैथिली भाषा को नियोजन नीति में शामिल नहीं होने के बाद उठे विवाद पर कहा कि सरकार सभी को लेकर चलेगी और इसपर विचार किया जा रहा है.

2013-14 में भी हुआ था भाषा विवाद

उल्लेखनीय है कि 2013-14 में हेमंत सरकार में मंत्री रहे केएन त्रिपाठी से भाषा विवाद पर राज्य की तत्कालीन शिक्षा मंत्री से मगही-भोजपुरी भाषा को लेकर मतभेद हुए थे. उस समय झारखंड कांग्रेस के प्रभारी रहे बीके हरिप्रसाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर झारखंड कांग्रेस मुख्यालय में दिनभर बैठक चली थी. बैठक में यह भाषा विवाद पर विराम लगाते हुए मगही और भोजपुरी भाषाओं को परीक्षाओं में शामिल करने का फैसला हुआ था. उन्हें यह याद रखना चाहिए, क्योंकि उस समय भी सीएम हेमंत सोरेन ही थे.

Last Updated : Sep 20, 2021, 6:13 PM IST
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