रांची: कोरोना से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन ही एकमात्र रामबाण है. गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन ही जीवन का एकमात्र सहारा बन जाता है. जब तक मरीज के पास ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद है, तभी तक उसके जिंदा रहने की उम्मीद बनी रहती है. हालांकि झारखंड के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट की बात करें, तो अभी भी कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की व्यवस्था बेहतर नहीं है.
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बता दें कि लगभग सभी अस्पताल ऑक्सीजन सिलेंडर के माध्यम से ही वार्ड में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहे हैं. इससे कई तरह की परेशानियां होती हैं. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एस मंडल बताते हैं कि वर्तमान में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए मैनीफोल्ड प्रक्रिया के माध्यम से ऑक्सीजन मुहैया कराया जाता है, जिसमें सैकड़ों सिलेंडर का उपयोग होता है. उन्होंने बताया कि मैनीफोल्ड मशीन से बड़े सिलेंडर को जोड़ा जाता है ताकि आईसीयू और वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज को ऑक्सीजन मिलता रहे, लेकिन ये प्रक्रिया काफी जटिल है. प्रति घंटा 20 सिलेंडर बदलना पड़ता है.
ऑक्सीजन प्लांट की जरूरत
उपाधीक्षक डॉ. एस मंडल बताते हैं कि अगर ऑक्सीजन प्लांट की सुविधा सदर अस्पताल में हो जाती है, तो हम लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने की समस्या नहीं होगी. इसके लिए हमें कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. ऑक्सीजन सिलेंडर के माध्यम से पूरे अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करना एक चुनौती है.
ऑक्सीजन सिलेंडर जैसे ही खत्म होता है, उसे तुरंत ही भरवाने के लिए रिफिलिंग सेंटर पर भेजा जाता है. वहीं फिर निश्चित समय के अंतराल पर मैनीफोल्ड मशीन में सिलेंडर सेट करना भी एक बड़ी समस्या हो जाती है और इसमें कई कर्मचारियों को अपनी उपस्थिति देनी पड़ती है, जिससे मैन पावर की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में कई बार तकनीकी समस्या भी आ जाती है जो बड़े घटना को आमंत्रण दे सकता है.
सिविल सर्जन ने दी जानकारी
रांची जिले के सिविल सर्जन डॉ. विनोद प्रसाद बताते हैं जल्द ही लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट सदर अस्पताल में संचालित होने लगेगा. इस को लेकर जिला प्रशासन को सारी जानकारी दे दी है और उम्मीद है कि जल्द से जल्द लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट लगने से मरीजों को तो निर्बाध ऑक्सीजन मिलेगा ही, साथ ही अस्पताल कर्मचारियों के लिए भी मरीजों को सुविधा देने में आसानी होगी. सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद प्रसाद बताते हैं कि यदि मरीज वेंटिलेटर आईसीयू में होता है, तो प्रत्येक मिनट 40 से 50 लीटर ऑक्सीजन की खपत होती है. इसीलिए अस्पतालों में ऑक्सीजन का डिमांड बढ़ गई है.
लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट लगने का इंतजार
रांची के रिम्स अस्पताल में 13,000 लीटर का ऑक्सीजन टैंक बनाया गया है, जिससे रिम्स के ट्रॉमा सेंटर और अन्य कोरोना वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है. सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट या टैंक न लगने से ऑक्सीजन सिलेंडर के भरोसे सप्लाई करना पड़ता है. इससे कई बार तकनीकी खराबी होने की संभावना बनी रहती है. अब देखने वाली बात होगी कि रांची के सदर अस्पताल में कब तक लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट तैयार हो पाता है.