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NIA की दबिश के बावजूद लेवी का काम जारी, मगध-आम्रपाली परियोजना से नक्सली करते हैं करोड़ों की वसूली

झारखंड में नक्सलियों को खत्म करने के लिए पुलिस लगातार अभियान चला रही है, लेकिन नक्सलियों द्वारा राज्य में अब भी वसूली का काम जारी है. नक्सली संगठन कई प्राइवेट कंपनियों से करोड़ों का लेवी ले रहे हैं.

फाइल फोटो
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Published : Jul 26, 2019, 2:49 PM IST

रांची: मगध आम्रपाली परियोजना से टीपीसी के टेरर फंडिंग की जांच एनआईए द्वारा की जा रही है. टीपीसी उग्रवादी संगठन, ट्रांसपोर्टर और सीसीएल के कर्मी भी एनआईए जांच के घेरे में हैं.

राज्य में उग्रवादी संगठन एनआईए की दबिश के बावजूद भी वसूली का काम जारी है. उग्रवादी संगठन मगध आम्रपाली से करोड़ों का लेवी ले रहे हैं. वसूली का पैसा अब भी टीपीसी उग्रवादियों के साथ साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी पहुंच रहा है.

इसे भी पढ़ें:- दिल्ली ले जाकर लड़कियों को बेचने वाले को मिली सजा, काम दिलाने के नाम पर बनाता था शिकार

नगद लेन देन पर लगी रोक, पर फेल हो गया सिस्टम
वसूली पर लगाम लगाया जाए इसके लिए सीसीएल ने नगद लेनदेने पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब नए तरीके से वसूली की जा रही है. एक महीने में लगभग 6 करोड़ से अधिक की अवैध वसूली अब भी जारी है. इस राशि का बंटवारा उग्रवादियों, प्रशासनिक अफसरों, ट्रांसपोर्ट कंपनियों के बीच हो रहा है.

अब कैसे हो रहा है वसूली का खेल
पूर्व में टीपीसी और दबंग कमेटी के द्वारा वसूली की जाती थी, लेकिन अब दबंग कमेटी की जगह ट्रांसपोर्ट यूनियन, कंपनियों और लिफ्टरों ने ले लिया है. मगध आम्रपाली, पिपरवार परियोजनाओं से निकलने वाली कोयले को राज्य के विभिन्न साइडिंग में भेजा जाता है. कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने के लिए ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों-यूनियनों द्वारा एक निश्चित दर तय कर दी गयी है. कांटा घरों में ट्रकों-हाइवा वाहनों को चालान दिया जाता है. चालान में किस साइडिंग में कोयला गिराना है, टोटल वेट, एडवांस रकम लिखा होता है, लेकिन भाड़े का दर नहीं लिखा होता है.

अब वाहन मालिकों से भाड़े का दर मौखिक तय होता है. जो तय दर से काफी अधिक होता है. कोयला अनलोड होने के बाद वाहन मालिक चालान लेकर ट्रांसपोर्ट कंपनियों के कार्यालयों में जमा करते हैं, वहां भी पेपर के नाम पर बारह सौ रूपए प्रति चालान से अतरिक्त पैसा काट कर उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है.

कितने की वसूली
वाहन मालिकों से औसत दर से भी कम दर पर भाड़ा देने के बाद प्रत्येक वाहन से पर चालान अतिरिक्त बारह सौ रुपया काट लिया जाता है. बाकी रकम खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस तरह प्रति ट्रक सिर्फ बारह सौ रूपए की कटौती की गणना की जाए तो औसतन हर रोज मगध-आम्रपाली-पिपरवार परियोजनाओं से डेढ़ हजार वाहन कोयला निकलता है. ऐसे में हर रोज करीब अठारह लाख रुपये वसूली होती है. तय दर से कम दर पर वाहन मालिकों के भुगतान की गणना करने पर दूरी के हिसाब से पचास से सौ रुपए प्रति टन कम भुगतान होता है.

रोकने के लिए बनी है मॉनिटरिंग कमेटी
मगध-आम्रपाली और पिपरवार परियोजनाओं से अवैध वसूली रोकने के लिए 18 जनवरी को चीफ जस्टिस अनिरुद्द बॉस, जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की बेंच ने सरकार को उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश पर सीआईडी के आईजी संगठित अपराध की अध्यक्षता में टीम बनाई गई है. टीम में सीआईडी के एसपी वन को भी रखा गया है. टीम को हर पंद्रह दिन में मॉनिटरिंग और समीक्षा संबंधी रिपोर्ट देना होता है.


सीआईडी को मिली जानकारी
नक्सलियों के द्वारा मगध - अम्रपाली परियोजना से उगाही की सूचना सीआईडी को भी है. इस बाबत सीआईडी की टीम लगातार जानकारी जुटा रही है, ताकि उगाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

रांची: मगध आम्रपाली परियोजना से टीपीसी के टेरर फंडिंग की जांच एनआईए द्वारा की जा रही है. टीपीसी उग्रवादी संगठन, ट्रांसपोर्टर और सीसीएल के कर्मी भी एनआईए जांच के घेरे में हैं.

राज्य में उग्रवादी संगठन एनआईए की दबिश के बावजूद भी वसूली का काम जारी है. उग्रवादी संगठन मगध आम्रपाली से करोड़ों का लेवी ले रहे हैं. वसूली का पैसा अब भी टीपीसी उग्रवादियों के साथ साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी पहुंच रहा है.

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नगद लेन देन पर लगी रोक, पर फेल हो गया सिस्टम
वसूली पर लगाम लगाया जाए इसके लिए सीसीएल ने नगद लेनदेने पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब नए तरीके से वसूली की जा रही है. एक महीने में लगभग 6 करोड़ से अधिक की अवैध वसूली अब भी जारी है. इस राशि का बंटवारा उग्रवादियों, प्रशासनिक अफसरों, ट्रांसपोर्ट कंपनियों के बीच हो रहा है.

अब कैसे हो रहा है वसूली का खेल
पूर्व में टीपीसी और दबंग कमेटी के द्वारा वसूली की जाती थी, लेकिन अब दबंग कमेटी की जगह ट्रांसपोर्ट यूनियन, कंपनियों और लिफ्टरों ने ले लिया है. मगध आम्रपाली, पिपरवार परियोजनाओं से निकलने वाली कोयले को राज्य के विभिन्न साइडिंग में भेजा जाता है. कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने के लिए ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों-यूनियनों द्वारा एक निश्चित दर तय कर दी गयी है. कांटा घरों में ट्रकों-हाइवा वाहनों को चालान दिया जाता है. चालान में किस साइडिंग में कोयला गिराना है, टोटल वेट, एडवांस रकम लिखा होता है, लेकिन भाड़े का दर नहीं लिखा होता है.

अब वाहन मालिकों से भाड़े का दर मौखिक तय होता है. जो तय दर से काफी अधिक होता है. कोयला अनलोड होने के बाद वाहन मालिक चालान लेकर ट्रांसपोर्ट कंपनियों के कार्यालयों में जमा करते हैं, वहां भी पेपर के नाम पर बारह सौ रूपए प्रति चालान से अतरिक्त पैसा काट कर उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है.

कितने की वसूली
वाहन मालिकों से औसत दर से भी कम दर पर भाड़ा देने के बाद प्रत्येक वाहन से पर चालान अतिरिक्त बारह सौ रुपया काट लिया जाता है. बाकी रकम खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस तरह प्रति ट्रक सिर्फ बारह सौ रूपए की कटौती की गणना की जाए तो औसतन हर रोज मगध-आम्रपाली-पिपरवार परियोजनाओं से डेढ़ हजार वाहन कोयला निकलता है. ऐसे में हर रोज करीब अठारह लाख रुपये वसूली होती है. तय दर से कम दर पर वाहन मालिकों के भुगतान की गणना करने पर दूरी के हिसाब से पचास से सौ रुपए प्रति टन कम भुगतान होता है.

रोकने के लिए बनी है मॉनिटरिंग कमेटी
मगध-आम्रपाली और पिपरवार परियोजनाओं से अवैध वसूली रोकने के लिए 18 जनवरी को चीफ जस्टिस अनिरुद्द बॉस, जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की बेंच ने सरकार को उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश पर सीआईडी के आईजी संगठित अपराध की अध्यक्षता में टीम बनाई गई है. टीम में सीआईडी के एसपी वन को भी रखा गया है. टीम को हर पंद्रह दिन में मॉनिटरिंग और समीक्षा संबंधी रिपोर्ट देना होता है.


सीआईडी को मिली जानकारी
नक्सलियों के द्वारा मगध - अम्रपाली परियोजना से उगाही की सूचना सीआईडी को भी है. इस बाबत सीआईडी की टीम लगातार जानकारी जुटा रही है, ताकि उगाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

Intro:NIA की दबिश के बावजूद मगध- आम्रपाली परियोजना से हर महीने नक्सली कर रहे करोड़ो की वसूली


रांची। 
मगध- आम्रपाली परियोजना से टीपीसी के टेरर फंडिंग की जांच एनआईए के द्वारा की जा रही है। एनआईए जांच के घेरे में टीपीसी उग्रवादियों के अलावे, ट्रांसपोर्टर और सीसीएल के कर्मी भी हैं। लेकिन एनआईए की दबिश के बावजूद अब भी मगध- आम्रपाली से वसूली का खेल जारी है। वसूली का पैसा अब भी टीपीसी उग्रवादियों के साथ साथ प्रशासनिक अधिकारियों को पहुंच रहा है।

नगद लेन देन पर लगी रोक ,पर फेल हो गया सिस्टम

वसूली पर लगाम लगे इसलिए सीसीएल ने नगद लेनदेने पर रोक भी लगा दी थी, लेकिन अब नए तरीके से वसूली का तौर तरीका इजाद कर दिया गया। मासिक छह करोड़ से अधिक की अवैध वसूली अब भी जारी है। इस राशि का बंटवारा उग्रवादियों, प्रशासनिक अफसरों, ट्रांसपोर्ट कंपनियों के बीच हो रहा है। 

अब कैसे हो रहा है वसूली का खेल

पूर्व में टीपीसी व दबंग कमेटी के द्वारा वसूली की जाती थी, लेकिन अब दबंग कमेटी की जगह ट्रांसपोर्ट यूनियन, कंपनियों व लिफ्टरों ने ले लिया है। मगध-आम्रपाली, पिपरवार परियोजनाओं से निकलने वाली कोयले को राज्य के विभिन्न साइडिंग में भेजने के लिए कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने के लिए ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों-यूनियनों द्वारा एक निश्चित दर तय कर दिया गया है । कांटा घरों में ट्रकों-हाइवा वाहनों को चालान दिया जाता है । चालान में किस साइडिंग में कोयला गिराना है, टोटल वेट, एडवांस रकम लिखा होता है , लेकिन भाड़े का दर नही लिखा होता है। अब वाहन मालिकों से भाड़े का दर निश्चित तय दर से भी कम दर पर मौखिक तय होता है (पहले लिखित तय होता था।) कोयला अनलोड होने के बाद वाहन मालिक चालान लेकर ट्रांसपोर्ट कंपनियों के कार्यालयों में चालान जमा करते हैं, वहां भी पेपर के नाम पर बारह सौ रूपए प्रति चालान से अतरिक्त पैसा काट कर उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है ।

कितने की वसूली

वाहन मालिकों से औसत दर से भी कम दर पर परिवहन भाड़ा देने के बाद प्रत्येक वाहन से पर चालान अतिरिक्त बारह सौ रुपया काट लिया जाता है । बाकी रकम खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है । इस तरह प्रतिट्रक सिर्फ बारह सौ रूपए की कटौती की गणना की जाए तो औसतन हर रोज मगध-आम्रपाली-पिपरवार परियोजनाओं से डेढ़ हजार वाहन कोयला निकलता है । ऐसे में रोज का करीब अठारह लाख रुपये रोजना की वसूली है। तय दर से कम दर पर वाहन मालिकों के भुगतान की गणना करने पर दूरी के हिसाब से पचास से सौ रुपए प्रति टन कम भुगतान होता है । 

सीआईडी के आईजी संगठित अपराध के अध्यक्षता में बनायी गई है मॉनिटरिंग कमेटी

मगध-आम्रपाली और पिपरवार परियोजनाओं से अवैध वसूली रोकने के लिए 18 जनवरी को चीफ जस्टिस अनिरुद्द बॉस,जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की बेंच ने सरकार को उच्चस्तरीय कमिटी बनाने का निर्देश दिया था । हाईकोर्ट के आदेश पर अब सीआईडी के आईजी संगठित अपराध की अध्यक्षता में टीम बनायी गई है। टीम में सीआईडी के एसपी वन को भी रखा गया है। टीम को हर पंद्रह दिन में मॉनिटरिंग व समीक्षा संबंधी रिपोर्ट देनी है। 

सीआईडी को मिली जानकारी
नक्सलियों के द्वारा मगध - अम्रपाली परियोजना से उगाही की सूचना सीआईडी को भी है ।इस बाबत सीआईडी की टीम लगातार जानकारी जुटा रही है ताकि उगाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

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