रांची: दुमका के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार की नक्सली हमले में हत्या के दोषी की ओर से दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और संजय प्रसाद की अदालत में इस मामले पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की गई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. इस दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि सजायाफ्ता को रिहा कर दिया जाए.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने युगल पीठ से कहा कि दुमका की निचली अदालत द्वारा याचिकाकर्ता को जो सजा सुनाई गई है. वह सही नहीं है. निचली अदालत बिना पुख्ता साक्ष्य और सबूत के आधार पर ही ही उनके क्लाइंट को फांसी की सजा दे दी है. अधिवक्ता ने युगल पीठ से कहा कि निचली अदालत की सजा को माफ कर दिया जाए. फिलहाल मामले पर कल फिर सुनवाई होगी.
यह था मामलाः बता दें कि दुमका के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार समेत 6 पुलिसकर्मियों की हत्या वर्ष 2013 में नक्सली हमले में हुई थी. इस मामले में दुमका की निचली अदालत ने ट्रायल पूरा होने के बाद 7 आरोपियों में से पांच को सबूत और गवाह के अभाव में बरी कर दिया था. जबकि दो आरोपियों को हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.
आरोपी सुखलाल मुर्मू और सनातन वास्ती की ओर से दुमका की निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इसी याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. देखना अहम होगा की हाईकोर्ट निचली अदालत के आदेश को सही मानते हुए फांसी की सजा पर अपनी मुहर लगाती है. या फिर कुछ नया फैसला सुनाती है.