रांची: सीपीआईएम के नेता सुभाष मुंडा की मौत के बाद पूरी रांची में अफरा-तफरी का माहौल बना गया. लोग हर चौक चौराहे पर आगजनी और विरोध प्रदर्शन कर सड़क जाम कर दिए और हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. सुभाष मुंडा सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता थे. वो रातू एवं हटिया इलाके में अपनी राजनीतिक पकड़ रखते थे. उनके पिता और माता दोनों मुखिया रह चुके हैं और वर्तमान में उनकी माता वार्ड सदस्य के रूप में कार्य कर रही हैं.
पिछले दो बार से हटिया विधानसभा से सुभाष मुंडा चुनाव लड़ चुके हैं. इसके अलावा मांडर विधानसभा के उपचुनाव में भी उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई थी. सीपीआईएम में सुभाष मुंडा युवा नेता के रूप में देखे जाते थे. वर्तमान में वह आदिवासी अधिकार मंच के जिला संयोजक थे. इसके अलावा सीपीआईएम के युवा राज्य सचिव के रूप में भी वह पार्टी में काम कर रहे थे.
सुभाष मुंडा के दादाजी सुकरा मुंडा भारतीय सेना में थे. युद्ध के दौरान उन्होंने अपने पैर खोए थे, वो भी सीपीआईएम पार्टी के सदस्य रह चुके हैं. सुकरा मुंडा के बाद उनके बेटे ललित मुंडा ने और फिर अपने दादा जी के नक्शे कदम पर चलते हुए सुभाष मुंडा ने भी सीपीआईएम का दामन थामा. वर्ष 2019 में सीपीआईएम से चुनाव लड़ने के दौरान उन्होंने 13000 वोट पाया था, जिसने कांग्रेस और भाजपा के लिए आफत खड़ी कर दी थी.
पिछले बारह तेरह वर्षों से सीपीआईएम के साथ सुभाष मुंडा जुड़े हुए थे और मजदूरों, दलितों एवं पिछड़ों के लिए सड़क से लेकर सदन तक अपनी आवाज को बुलंद करते रहे थे. वहीं सुभाष मुंडा का परिवार अलग झारखंड के आंदोलन में भी काफी मुखर रहा है. रातू एवम नगरी क्षेत्र में जमीन दलालों और जमीन माफियाओं पर नकेल कसने में भी सुभाष मुंडा ने खूब संघर्ष किया. इसीलिए विश्वसनीय सूत्रों से यह भी बताया जा रहा है कि जमीन दलालों ने ही सुभाष मुंडा की हत्या करवाई है.
सुभाष मुंडा की हत्या मामले पर सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद बृंदा करात ने कहा कि आदिवासियों की हत्या होना पूरे राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और राज्य सरकार के लिए बहुत बड़ा प्रश्न है. उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि सुभाष मुंडा के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए नहीं तो आने वाले दिनों में प्रदर्शन और भी उग्र होगा.