रांची: राज्य गठन से लेकर अब तक सबसे ज्यादा दलबदल करने वाले विधायकों का पोलिटिकल स्कूल रहे झारखंड विकास मोर्चा में अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिल रही है. 2014 में 8 सीट जीतने वाली पार्टी के 6 विधायक 2015 में बीजेपी में शिफ्ट कर गए और दो में से एक फिर 2019 में कमल के साथ चले गए. बचे एक प्रदीप यादव कथित तौर पर सारे ऑप्शन तलाश कर झाविमो में वापस अपनी पुरानी जगह पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
मरांडी की परछाई थे प्रदीप यादव
यह नजारा तब दिखा जब झाविमो के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की परछाई समझे जाने वाले प्रदीप यादव को सोमवार को मरांडी ने देख कर भी अनदेखा कर दिया. मामला झाविमो के हेड क्वार्टर का है. जब प्रदीप यादव नेता प्रतिपक्ष और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से मिलकर लौटे और पार्टी कार्यालय के बरामदे पर लगभग 2 घंटे तक बैठे रहे, लेकिन मरांडी ने उन्हें तवज्जों तक नहीं दी. हैरत की बात यह रही कि सिर्फ एक दीवार और दरवाजे के फासले पर बैठे प्रदीप यादव मरांडी की राह देखते रह गए, लेकिन मरांडी अन्य कार्यकर्ताओं से मिलकर निकल गए.
प्रदीप यादव ढाई महीने तक थे जेल में
ऐसे में प्रदीप यादव से लंबे समय के बाद पार्टी कार्यालय में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मेरी मजबूरी थी कि मैं ढाई महीने तक जेल में था और सक्रिय राजनीति से ऑफ था, लेकिन अब इस दिशा में पहल प्रारंभ की जाएगी. उन्होंने जनादेश यात्रा में नदारद रहने के सवाल पर अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मेरे जेल में रहते यह यात्रा प्रारंभ हुई थी. आने वाले समय में परिस्थितियां बदलेगी. हेमंत सोरेन से मुलाकात को लेकर उन्होंने बताया कि उनकी भी यही इच्छा है कि सभी विपक्षी दल एक प्लेटफार्म पर आकर चुनाव लड़े, ताकि बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंका जा सके.