रांचीः राजभवन के समक्ष अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मचारी संघ और एनएचएम एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ के संयुक्त आह्वान पर धरना-प्रदर्शन का रविवार को 13 वां दिन था. वहीं राजभवन के समक्ष 21 स्वास्थ्यकर्मी छठे दिन भी आमरण अनशन पर बैठे रहे. सेवा स्थायीकरण की एक सूत्री मांग को लेकर आंदोलनरत स्वास्थ्यकर्मियों को लेकर अभी तक राज्य की हेमंत सोरेन सरकार या स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुध नहीं ली गई है. स्वास्थ्य मंत्री या स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव या उनका कोई भी प्रतिनिधि आमरण स्थल पर नहीं पहुंचे हैं. जबकि एक के बाद एक लगातार कई नर्सों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. वहीं सरकार की चुप्पी से आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मचारियों में रोष व्याप्त है. वहीं स्वास्थ्य कर्मियों के आंदोलन के देखते हुए बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम रविवार को आंदोलन स्थल पहुंचे और स्वास्थ्य कर्मियों की मांग को उचित जगह पहुंचाने का आश्वासन दिया.
रविवार को फिर दो कर्मियों की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में भर्तीः अनशनकारियों की हालात लगातार दयनीय होती जा रही है. शनिवार को एएनएम संघ की महासचिव वीणा कुमारी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी हालत इतनी खराब है कि उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया है. वहीं हजारीबाग के नवीन रंजन की तबीयत दोबारा अत्यधिक खराब होने पर उन्हें फिर से सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहीं जामताड़ा की अनिता और नंदिनी की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सदर अस्पताल के आईसीयू में रखा गया है. रविवार को लातेहार की अरुणा टोप्पो और हजारीबाग की सुनीता कुमारी की तबीयत खराब होने पर उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
21 अनशनकारियों में से छह अस्पताल में भर्तीः राजभवन के समक्ष अनशन स्थल पर शुरुआत में छह पुरुष स्वास्थ्यकर्मी और पंद्रह महिला नर्सें ( कुल 21) आमरण अनशन पर बैठे थे. इनमें से अब तक छह लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है, जबकि धरनास्थल पर ही अन्य 15 में से कई बीमार हैं, लेकिन वह अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं. रविवार को भी दो अनशनकारियों की हालत गंभीर हो गई. जिन्हें आनन-फानन में सदर अस्पताल ले जाया गया.
राज्य सरकार पर लगाया अनदेखी करने का आरोपः आंदोलनरत नर्सो ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे सरकार को हमारी प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है.सवालिया लहजे में नर्सो ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री किसी अनहोनी घटना के बाद ही कोई सार्थक कदम उठाएंगे. जिस राज्य के 70% कर्मचारी हड़ताल पर हैं, वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा किया जा रहा है. यह अपने आप मे हास्यास्पद है. बिना स्टाफ के कैसे स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू रूप से चल रहा है, यह बड़ा सवाल है. वहीं अनशन पर बैठे संघ के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि यदि सरकार की मंशा सही हो तो नियमितीकरण मुश्किल नहीं. कहा कि हड़ताल से लगभग सभी प्रकार के काम जैसे वैक्सीनेशन, परिवार नियोजन, लैब फार्मासिस्ट, एक्स-रे, सभी काम बाधित हैं. हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य विभाग के कार्य पूरी तरह प्रभावित हैं.
विधायक लोबिन हेंब्रम पहुंचे धरना स्थलः लोबिन हेंब्रम पहुंचे अनशन स्थलः झामुमो के विधायक और हेमंत सोरेन सरकार की नीतियों का कई बार खुलकर विरोध करनेवाले विधायक लोबिन हेंब्रम रविवार को राजभवन के समक्ष धरना और आमरण अनशन पर बैठीं एनएचएम अनुबंधित नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच पहुंचे. इस दौरान विधायक ने उनकी मांग सुनी और भरोसा दिलाया कि उनकी बात हो वह उचित जगह पर रखेंगे और मांग अधूरी रही तो विधानसभा के सत्र के दौरान भी इस मुद्दे को उठाएंगे. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है. इसलिए सरकार इन आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मियों से बातचीत कर कोई सर्वमान्य हल निकालें. इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी धरनास्थल पर पहुंच कर उनकी मांगों का समर्थन कर चुके हैं.
झासा ने भी अनुबंधित नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के आंदोलन के दिया नैतिक समर्थनः उधर, सरकारी डॉक्टरों के संगठन झारखंड हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) ने भी एनएचएम की अनुबंधित नर्सों की मांग को जायज बताते हुए उनके आंदोलन को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है.