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आंध्र प्रदेश से पैदल चलकर रांची पहुंचे मजदूर, बताई अपनी दास्तां

आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी इलाके से कुछ प्रवासी मजदूर रांची के नामकुम पहुंचे थे. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम की नजर उन पर पड़ी, तो मजदूरों ने अपने यात्रा का दर्द बयां किया.

आंध्र प्रदेश से पैदल रांची पहुंचे मजदूर
Migrant workers reached ranchi from andhra pradesh on foot
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Published : May 22, 2020, 6:11 PM IST

रांची: लॉकडाउन 4 में भी अलग-अलग प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों का अपने-अपने घरों को लौटना जारी है. गुरुवार को ऐसे ही कुछ मजदूर रांची-टाटा हाइवे पर नजर आए, जो अपने आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी इलाके से अपने घर गया जिले के बाराचट्टी जा रहे थे. इन लोगों को ईटीवी भारत की टीम ने नामकुम के पास देखा.

देखें पूरी खबर

राजधानी से लगभग 17 किलोमीटर दूर ये लोग एक पेड़ के नीचे बैठे आराम कर रहे थे. झारखंड की सीमा में प्रवेश करते ही उन्हें गाड़ियों से उनके गंतव्य के लिए भेजा गया. आंध्र प्रदेश से लगभग 1 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर गुरुवार को ये मजदूर रांची पहुंचे थे. मजदूरों ने बताया कि झारखंड की सीमा में प्रवेश करते ही संबंधित जिला प्रशासन ने उन्हें बसों में बैठाया और रांची पहुंचाया. रांची के बाहर उन्होंने नामकुम के एक शिविर में उन्होंने खाना खाया था.

ये भी पढ़ें-वित्त मंत्री ने हाइवे कम्युनिटी किचन को लेकर सीएम हेमंत की तारीफ की, कहा- मुख्यमंत्री की बड़ी सोच का है यह बेहतर निर्णय

1 हजार किलोमीटर की यात्रा की 6 दिनों में तय की

मजदूरों ने बताया कि उन्हें लगभग 1 हजार किलोमीटर की दूरी तय करने में 6 दिन लगे. एक मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद रोजगार बंद हो गया. ऐसी स्थिति में घर लौटने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं बचा था. कई लोगों के साथ वह आंध्र प्रदेश से चला था, लेकिन रांची पहुंचते-पहुंचते उसके साथ सिर्फ 10 लोग ही बचे. बाकी लोग अपने-अपने जिलों की ओर चले गए. उसने बताया कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि झारखंड सरकार पैदल चलने वालों को गाड़ी की सुविधा दे रही है. नामकुम से लोगों ने एक ट्रक को रुकवा कर उन्हें राजधानी रांची के कांटा टोली से बस स्टैंड तक भिजवा दिया. वहां से वह गंतव्य के लिए चले गए.

सरकार ने की थी घोषणा पैदल नहीं चलेंगे झारखंड लौट रहे प्रवासी

बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में सड़क दुर्घटना में प्रवासी मजदूरों की मौत के बाद घोषणा की थी कि कोई भी मजदूर झारखंड में पैदल चलता हुआ नजर नहीं आएगा. उन्होंने साफ कहा था कि जिला प्रशासन ऐसे पैदल चल रहे मजदूरों को उपलब्ध वाहनों से उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था करें. इतना ही नहीं उन्होंने दूसरे राज्यों के मजदूरों को भी झारखंड से बिहार की सीमा तक जाने के लिए गाड़ियों के साधन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.

रांची: लॉकडाउन 4 में भी अलग-अलग प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों का अपने-अपने घरों को लौटना जारी है. गुरुवार को ऐसे ही कुछ मजदूर रांची-टाटा हाइवे पर नजर आए, जो अपने आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी इलाके से अपने घर गया जिले के बाराचट्टी जा रहे थे. इन लोगों को ईटीवी भारत की टीम ने नामकुम के पास देखा.

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राजधानी से लगभग 17 किलोमीटर दूर ये लोग एक पेड़ के नीचे बैठे आराम कर रहे थे. झारखंड की सीमा में प्रवेश करते ही उन्हें गाड़ियों से उनके गंतव्य के लिए भेजा गया. आंध्र प्रदेश से लगभग 1 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर गुरुवार को ये मजदूर रांची पहुंचे थे. मजदूरों ने बताया कि झारखंड की सीमा में प्रवेश करते ही संबंधित जिला प्रशासन ने उन्हें बसों में बैठाया और रांची पहुंचाया. रांची के बाहर उन्होंने नामकुम के एक शिविर में उन्होंने खाना खाया था.

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1 हजार किलोमीटर की यात्रा की 6 दिनों में तय की

मजदूरों ने बताया कि उन्हें लगभग 1 हजार किलोमीटर की दूरी तय करने में 6 दिन लगे. एक मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद रोजगार बंद हो गया. ऐसी स्थिति में घर लौटने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं बचा था. कई लोगों के साथ वह आंध्र प्रदेश से चला था, लेकिन रांची पहुंचते-पहुंचते उसके साथ सिर्फ 10 लोग ही बचे. बाकी लोग अपने-अपने जिलों की ओर चले गए. उसने बताया कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि झारखंड सरकार पैदल चलने वालों को गाड़ी की सुविधा दे रही है. नामकुम से लोगों ने एक ट्रक को रुकवा कर उन्हें राजधानी रांची के कांटा टोली से बस स्टैंड तक भिजवा दिया. वहां से वह गंतव्य के लिए चले गए.

सरकार ने की थी घोषणा पैदल नहीं चलेंगे झारखंड लौट रहे प्रवासी

बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में सड़क दुर्घटना में प्रवासी मजदूरों की मौत के बाद घोषणा की थी कि कोई भी मजदूर झारखंड में पैदल चलता हुआ नजर नहीं आएगा. उन्होंने साफ कहा था कि जिला प्रशासन ऐसे पैदल चल रहे मजदूरों को उपलब्ध वाहनों से उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था करें. इतना ही नहीं उन्होंने दूसरे राज्यों के मजदूरों को भी झारखंड से बिहार की सीमा तक जाने के लिए गाड़ियों के साधन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.

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