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Tejashwi Yadav Jharkhand Visit: तेजस्वी यादव के आगमन से पहले रांची में सिपहसालारों की बैठक, महागठबंधन में उपेक्षा पर छलका राजद दर्द

राष्ट्रीय जनता दल झारखंड में अपना संगठन मजबूत करने में जुटा है. इसी को लेकर तेजस्वी यादव 12 फरवरी को झारखंड दौरे पर आ रहे हैं. जिसे लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साह है. तेजस्वी के दौरे की तैयारियों को लेकर पार्टी कार्यकर्ता जोर शोर से लगे हैं.

Meeting regarding Tejashwi Yadav Jharkhand visit
तेजस्वी यादव के दौरे को लेकर बैठक करते नेता
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Published : Feb 3, 2023, 5:54 PM IST

Updated : Feb 3, 2023, 6:06 PM IST

संजय यादव, आरजेडी नेता

रांचीः झारखंड में सत्ता में रहकर भी लालू प्रसाद की पार्टी राजद खुश नहीं है. तेजस्वी यादव लगातार सत्ता की जगह झारखंड में संगठन विस्तार पर जोर देते रहे हैं. बिहार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार 12 फरवरी को रांची दौरे पर आ रहे हैं. तेजस्वी के रांची दौरे से पहले शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय में उच्चस्तरीय बैठक हुई. प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में तेजस्वी यादव के रांची आगमन का एजेंडा तय किया गया.

ये भी पढ़ेंः Tejashwi Yadav Jharkhand Tour: तेजस्वी यादव का एजेंडा तय करने रांची आ रहे दो सिपहसालार! 2024 पर है पूरा फोकस

बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन कर प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश यादव ने कहा कि 1 फरवरी को पटना में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर राजद झारखंड के नेताओं के साथ बैठक हुई थी. इस बैठक में झारखंड में राजद संगठन की स्थिति, अपनी ताकत और कमजोरी तथा राज्य की समस्याओं पर चर्चा हुई थी. इसके बाद तेजस्वी यादव ने खुद रांची आने की बात कही थी. अब 12 फरवरी को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रांची आ रहे हैं.

जयप्रकाश यादव ने कहा कि संयुक्त बिहार के समय में भी झारखंड में हमारा मजबूत जनाधार रहा है और आज भी है. उसी जनाधार को समेटना है. झारखंड राजद प्रभारी ने कहा कि इसी जनाधार को समेटने के लिए स्वस्थ होकर लालू प्रसाद भी झारखंड आएंगे और तेजस्वी यादव भी झारखंड आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी सवालों का जवाब देना जरूरी है, अभी हमारा पूरा ध्यान तेजस्वी यादव के झारखंड आगमन और संगठन विस्तार पर है.

जो हमें कम आंकते हैं, उन्हें 2024 में पता चला जायेगाः संवाददाता सम्मेलन में भले ही प्रदेश झारखंड प्रभारी सत्ता में शामिल होने के बावजूद कांग्रेस-झामुमो की ओर से हो रही उपेक्षा पर खुलकर न बोल रहे हो, लेकिन पीसी के बाद प्रदेश राजद प्रधान महासचिव ने जमकर भड़ास निकाली. महागठबंधन में उपेक्षा से नाराज पूर्व विधायक और प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव ने कहा कि जो हमें कम आंकते हैं वह देख लें कि कितनी सीट ऐसी हैं जहां झामुमो-कांग्रेस के विधायक 4 हजार-5 हजार वोट से जीते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए हमारे नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने कुर्बानी दी. अपनी जनाधार वाली सीट भी महागठबंधन को दी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से महागठबंधन में व्यवहार हो रहा है, उससे सिर्फ हम नहीं बल्कि पूरा राजद परिवार नाराज है. उन्होंने कहा कि जो टास्क तेजस्वी यादव ने दिया है उस पर आगे बढ़कर झारखंड में राजद फिर 17 से 20 सीट प्राप्त करेगा.

शुक्रवार की बैठक में राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव, राष्ट्रीय महासचिव अभय कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष सुभाष यादव, युवा प्रदेश अध्यक्ष रंजन कुमार, पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर, महिला राजद के प्रदेश अध्यक्ष रानी कुमारी सहित बड़ी संख्या में पार्टी के प्रदेश प्रभारी उपस्थित थे. राष्ट्रीय जनता दल की पीड़ा इस बात को लेकर है कि महागठबंधन में समन्वय के लिए बनी कोऑर्डिनेशन कमेटी में राजद का एक भी सदस्य नहीं है.

महागठबंधन में राजद के संगठन को तव्वजो नहीं दी जाती है. हाल ही में राजद के कई पार्टी पदाधिकारियों की सिक्योरिटी वापस ले ली गई थी. जिसे आपत्ति जताने के बाद फिर वापस किया गया. सरकार में तो क्या, प्रशासन में भी अधिकारी सिर्फ कांग्रेस और झामुमो के नेताओं की सुनते हैं, राजद का कुछ नहीं चलता. ऐसे में राजद सत्ता में रहकर भी खुश नहीं है और अंदर ही अंदर वह 2024 में 18 से 20 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में है.

संजय यादव, आरजेडी नेता

रांचीः झारखंड में सत्ता में रहकर भी लालू प्रसाद की पार्टी राजद खुश नहीं है. तेजस्वी यादव लगातार सत्ता की जगह झारखंड में संगठन विस्तार पर जोर देते रहे हैं. बिहार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार 12 फरवरी को रांची दौरे पर आ रहे हैं. तेजस्वी के रांची दौरे से पहले शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय में उच्चस्तरीय बैठक हुई. प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में तेजस्वी यादव के रांची आगमन का एजेंडा तय किया गया.

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बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन कर प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश यादव ने कहा कि 1 फरवरी को पटना में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर राजद झारखंड के नेताओं के साथ बैठक हुई थी. इस बैठक में झारखंड में राजद संगठन की स्थिति, अपनी ताकत और कमजोरी तथा राज्य की समस्याओं पर चर्चा हुई थी. इसके बाद तेजस्वी यादव ने खुद रांची आने की बात कही थी. अब 12 फरवरी को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रांची आ रहे हैं.

जयप्रकाश यादव ने कहा कि संयुक्त बिहार के समय में भी झारखंड में हमारा मजबूत जनाधार रहा है और आज भी है. उसी जनाधार को समेटना है. झारखंड राजद प्रभारी ने कहा कि इसी जनाधार को समेटने के लिए स्वस्थ होकर लालू प्रसाद भी झारखंड आएंगे और तेजस्वी यादव भी झारखंड आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी सवालों का जवाब देना जरूरी है, अभी हमारा पूरा ध्यान तेजस्वी यादव के झारखंड आगमन और संगठन विस्तार पर है.

जो हमें कम आंकते हैं, उन्हें 2024 में पता चला जायेगाः संवाददाता सम्मेलन में भले ही प्रदेश झारखंड प्रभारी सत्ता में शामिल होने के बावजूद कांग्रेस-झामुमो की ओर से हो रही उपेक्षा पर खुलकर न बोल रहे हो, लेकिन पीसी के बाद प्रदेश राजद प्रधान महासचिव ने जमकर भड़ास निकाली. महागठबंधन में उपेक्षा से नाराज पूर्व विधायक और प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव ने कहा कि जो हमें कम आंकते हैं वह देख लें कि कितनी सीट ऐसी हैं जहां झामुमो-कांग्रेस के विधायक 4 हजार-5 हजार वोट से जीते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए हमारे नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने कुर्बानी दी. अपनी जनाधार वाली सीट भी महागठबंधन को दी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से महागठबंधन में व्यवहार हो रहा है, उससे सिर्फ हम नहीं बल्कि पूरा राजद परिवार नाराज है. उन्होंने कहा कि जो टास्क तेजस्वी यादव ने दिया है उस पर आगे बढ़कर झारखंड में राजद फिर 17 से 20 सीट प्राप्त करेगा.

शुक्रवार की बैठक में राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव, राष्ट्रीय महासचिव अभय कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष सुभाष यादव, युवा प्रदेश अध्यक्ष रंजन कुमार, पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर, महिला राजद के प्रदेश अध्यक्ष रानी कुमारी सहित बड़ी संख्या में पार्टी के प्रदेश प्रभारी उपस्थित थे. राष्ट्रीय जनता दल की पीड़ा इस बात को लेकर है कि महागठबंधन में समन्वय के लिए बनी कोऑर्डिनेशन कमेटी में राजद का एक भी सदस्य नहीं है.

महागठबंधन में राजद के संगठन को तव्वजो नहीं दी जाती है. हाल ही में राजद के कई पार्टी पदाधिकारियों की सिक्योरिटी वापस ले ली गई थी. जिसे आपत्ति जताने के बाद फिर वापस किया गया. सरकार में तो क्या, प्रशासन में भी अधिकारी सिर्फ कांग्रेस और झामुमो के नेताओं की सुनते हैं, राजद का कुछ नहीं चलता. ऐसे में राजद सत्ता में रहकर भी खुश नहीं है और अंदर ही अंदर वह 2024 में 18 से 20 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में है.

Last Updated : Feb 3, 2023, 6:06 PM IST
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