रांची: पूरे झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है. एक तरफ हेमंत सरकार इसे राजकीय समारोह के रूप में सेलिब्रेट कर रही है तो दूसरी ओर तमाम आदिवासी संगठन अपने-अपने तरीके से समाज की बातों को प्रकट कर रहे हैं. अरगोड़ा इलाके के आदिवासियों ने समस्त आदिवासी संगठन के हवाले से हरमू से अरगोड़ा चौक तक मार्च निकाला. संगठन के नेताओं ने चौक स्थित शहीद वीर बुधु भगत की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
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मार्च में शामिल महिलाओं ने यूसीसी कानून नहीं चलेगा, आदिवासियों के कस्टोडियन रांची उपायुक्त जाग जाओ, विश्व के आदिवासी एक हों, प्रकृति के रक्षक आदिवासी जिंदाबाद लिखी तख्तियों के साथ अपनी आवाज बुलंद की. वहीं राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा की ओर से हरमू रोड पर आक्रोश मार्च निकाला गया. सरना झंडा थामे और पारंपरिक लिबास पहने नौजवानों ने आदिवासियों के अधूरे हक की मांग की. एक तीर एक कमान, आदिवासी एक समान के नारे लगाए गये. अलग-अलग संगठनों के मार्च की वजह से हरमू रोड की ट्रैफिक व्यवस्था थोड़ी देर के लिए थम गई.
विश्व आदिवासी दिवस को खुशी के रूप में नहीं मनाने की घोषणा: बता दें कि आदिवासी जनपरिषद, आदिवासी समन्वय समिति, कोल्हान आदिवासी एकता मंच समेत कई संगठनों ने विश्व आदिवासी दिवस को खुशी के रूप में नहीं मनाने की घोषणा कर रखी है. उनकी दलील है कि यूएनओ ने आदिवासियों के अधिकार, सुरक्षा और एकता बरकरार रखने के लिए विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरूआत की थी. लेकिन दुर्भाग्य से राज्य के आदिवासियों को संविधान की 5वीं अनुसूची, पेसा कानून, सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट का हक नहीं मिल पा रहा है. मणिपुर में आदिवासी महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है. इसलिए इस दिवस को खुशी के रूप में नहीं मनाया जा सकता. हालांकि राज्य सरकार इस दिवस को धूमधाम से मना रही है. राज्य सरकार के आयोजन को भी कई आदिवासी संगठनों का समर्थन प्राप्त है.