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Ranchi News: जानिए, माननीयों की नजर से कैसा रहा झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र - झारखंड न्यूज

झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र समाप्त हो गया है. छह कार्यदिवस वाले इस सत्र में विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा देखने को मिला. इसी हंगामे के बीच अनुपुरक बजट पेश हुआ और प्रतियोगी परीक्षा में कदाचार रोकने वाले विधेयक पर जमकर बवाल मचा. दूसरी ओर बाबूलाल मरांडी और इरफान अंसारी के बयानों से सदन हंगामे की भेंट चढ़ गया.

Know how was monsoon session of Jharkhand Assembly for MLAs
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Published : Aug 5, 2023, 6:54 AM IST

Updated : Aug 5, 2023, 7:27 AM IST

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रांची: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. छह कार्यदिवस वाले इस सत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए कठोर बिल पारित हुआ. वहीं राज्य में हेल्थ यूनिवर्सिटी की स्थापना सहित कई निजी विश्वविद्यालय के प्रस्ताव को विधानसभा ने पारित कर दिया. इन सबके बीच मणिपुर हिंसा से लेकर झारखंड की विधि व्यवस्था, टीका विवाद, बाबूलाल पर इरफान अंसारी के बयान सहित कई ऐसे मौके आये जब सदन हंगामें की भेंट चढ़ता दिखा.

इसे भी पढ़ें- मानसून सत्र का समापन, सीएम हेमंत बोले 1932 पर हैं कायम, फिर से लाएंगे विधेयक, विपक्ष पर बरसे

ईटीवी भारत ने कुछ विधायकों से यह जानने की कोशिश की कि उनकी नजर में विधानसभा का यह मानसून सत्र कैसा रहा. इसको लेकर पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सदन फूहड़ संवाद और अप्रिय घटनाओं का गवाह बना. सरयू राय ने कहा कि इसके लिए सत्ता पक्ष ज्यादा जिम्मेदार रहा. संसदीय कार्यमंत्री ने स्थिति को संभालने की कोई कोशिश नहीं की. सत्र के बीच में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तक नहीं हुई.

पूर्व मंत्री और भाजपा के विधायक अमर बाउरी ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के विधायक ने अपने कृत्यों से झारखंड को शर्मसार किया है. आदिवासी समुदाय पर उनके कथन से पूरा जनजातीय समुदाय आहत है. मानसून सत्र के दौरान हेमंत सोरेन की सरकार द्वारा एक काला कानून पास कराने का जिक्र करते हुए अमर बाउरी ने कहा कि विपक्ष के चाहने के बावजूद जनहित के कोई काम मानसून सत्र में नहीं हुआ. रोजगार, गिरती विधि व्यवस्था, हत्या, महिला उत्पीड़न, सुखाड़ पर कोई चर्चा नहीं हुई.

पूर्व मंत्री ने कहा कि मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में प्रस्तुत एजी की रिपोर्ट से साफ है कि सरकार एक ओर बजट का राशि खर्च नहीं करती है और दूसरी ओर अनुपूरक लाती है. एजी की रिपोर्ट में मार्च के अंत में जिस तरह से बड़ी रकम निकासी हुई है. इसमें मार्च एंडिंग गाइडलाइन और पटना रूल का पालन नहीं किया गया है.

सरकार की गंभीरता में कमी दिखी- सुदेश महतोः पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सरकार की गंभीरता में कमी दिखी. सरकार चाहती तो छोटे सत्र को और अधिक उपयोगी बना सकती थी. लेकिन बिना वजह के विषय जैसे कभी टीका विवाद, कभी बाबूलाल मरांडी पर टिप्पणी और कभी कुछ अन्य बयान पर विवाद की भेंट चढ़ कर रह गया.

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रांची: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. छह कार्यदिवस वाले इस सत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए कठोर बिल पारित हुआ. वहीं राज्य में हेल्थ यूनिवर्सिटी की स्थापना सहित कई निजी विश्वविद्यालय के प्रस्ताव को विधानसभा ने पारित कर दिया. इन सबके बीच मणिपुर हिंसा से लेकर झारखंड की विधि व्यवस्था, टीका विवाद, बाबूलाल पर इरफान अंसारी के बयान सहित कई ऐसे मौके आये जब सदन हंगामें की भेंट चढ़ता दिखा.

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ईटीवी भारत ने कुछ विधायकों से यह जानने की कोशिश की कि उनकी नजर में विधानसभा का यह मानसून सत्र कैसा रहा. इसको लेकर पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सदन फूहड़ संवाद और अप्रिय घटनाओं का गवाह बना. सरयू राय ने कहा कि इसके लिए सत्ता पक्ष ज्यादा जिम्मेदार रहा. संसदीय कार्यमंत्री ने स्थिति को संभालने की कोई कोशिश नहीं की. सत्र के बीच में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तक नहीं हुई.

पूर्व मंत्री और भाजपा के विधायक अमर बाउरी ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के विधायक ने अपने कृत्यों से झारखंड को शर्मसार किया है. आदिवासी समुदाय पर उनके कथन से पूरा जनजातीय समुदाय आहत है. मानसून सत्र के दौरान हेमंत सोरेन की सरकार द्वारा एक काला कानून पास कराने का जिक्र करते हुए अमर बाउरी ने कहा कि विपक्ष के चाहने के बावजूद जनहित के कोई काम मानसून सत्र में नहीं हुआ. रोजगार, गिरती विधि व्यवस्था, हत्या, महिला उत्पीड़न, सुखाड़ पर कोई चर्चा नहीं हुई.

पूर्व मंत्री ने कहा कि मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में प्रस्तुत एजी की रिपोर्ट से साफ है कि सरकार एक ओर बजट का राशि खर्च नहीं करती है और दूसरी ओर अनुपूरक लाती है. एजी की रिपोर्ट में मार्च के अंत में जिस तरह से बड़ी रकम निकासी हुई है. इसमें मार्च एंडिंग गाइडलाइन और पटना रूल का पालन नहीं किया गया है.

सरकार की गंभीरता में कमी दिखी- सुदेश महतोः पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सरकार की गंभीरता में कमी दिखी. सरकार चाहती तो छोटे सत्र को और अधिक उपयोगी बना सकती थी. लेकिन बिना वजह के विषय जैसे कभी टीका विवाद, कभी बाबूलाल मरांडी पर टिप्पणी और कभी कुछ अन्य बयान पर विवाद की भेंट चढ़ कर रह गया.

Last Updated : Aug 5, 2023, 7:27 AM IST
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